कर्म करो, फल की चिंता मत करो | Swami Satyamitranand Ji Maharaj | Bhagwad Geeta | Pravachan
गीता ज्ञान और योगी की स्थिति – स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज
भारत माता की इस प्रस्तुति में स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज बताते हैं कि जो योगी परमात्मा से जुड़ा होता है, उसे "युक्त" कहा जाता है। इस ज्ञान में भगवान श्री कृष्ण ने गीता में अर्जुन को कर्म, फल, और शांति के मार्ग को समझाया। स्वामी जी ने बताया कि जब हम परमात्मा से जुड़कर अपने कर्मों को भगवान के चरणों में अर्पित करते हैं, तो हमारी आत्मा शांति और मुक्ति की दिशा में अग्रसर होती है।
कर्मयोग और शांति का मार्ग
स्वामी जी ने गीता के श्लोकों के माध्यम से यह भी समझाया कि बिना फल की चिंता किए कर्म करना, और अपने कर्मों का फल भगवान को समर्पित करना, शांति प्राप्त करने का सबसे सशक्त मार्ग है। उन्होंने कहा कि संसार की हर वस्तु अस्थायी है, और उसमें आसक्ति से ही दुख और बंधन उत्पन्न होते हैं। श्री कृष्ण ने गीता में बताया कि जब हम परमात्मा के प्रति अपनी निष्ठा और ध्यान केंद्रित करते हैं, तो हमें शांति मिलती है जो किसी भी संसारिक सुख से अधिक मूल्यवान है।
सांसारिक बंधनों से मुक्ति का मार्ग
स्वामी जी ने कई उदाहरणों के माध्यम से यह भी बताया कि संसार की आसक्ति से मुक्ति कैसे प्राप्त की जा सकती है, और किस तरह हम अपने जीवन में भगवान से जुड़कर हर बंधन से मुक्त हो सकते हैं।
प्रेरणादायक मार्गदर्शन – देखें भारत माता चैनल पर
यह वीडियो हमारे जीवन के उद्देश्य को समझने और परमात्मा के साथ जुड़ने की दिशा में एक गहरी और प्रेरणादायक मार्गदर्शन है। अधिक आध्यात्मिक ज्ञान और प्रवचनों के लिए भारत माता यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें।