किसी विकलांग की सहायता करके उसे बैसाखी देकर उसके चलने में सहारा दिया जा सकता है किन्तु उस विकलांग के मन मस्तिष्क में एक पीड़ा सदैव रहती है कि वो कभी कितना स्वस्थ हुआ करता था
स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज (Amrit Vachan in hindi )ने इसी बात पर सांसारिकता में बंधे मनुष्यों की आसक्ति पर विश्लेषण करते हुए कहा है
प्रस्तुत Video मे स्वामी सत्यमित्रा नन्द जी महाराज द्वारा दिए गए अमृत वचन (Amrit Vachan in hindi ) मे स्वयं को कैसे जानें? विस्तार से बताया गया हैं
भारत के प्रत्येक नागरिक के ह्रदय में व्याप्त इस विश्वास से ही हम भारत में सदाचार की पुनर्स्थापना कर सकते हैं, भ्रष्टाचार का अंत कर सकते हैं, घृणा और ईर्ष्या को मिटा सकते हैं, उन्नति के मार्ग पर बढ़ सकते हैं एवं मानव मात्र में ही परमात्मा के दर्शन प्राप्त कर सकते हैं | ये समस्त सिद्धांत केवल ग्रन्थ तक नहीं अपितु समाज में क्रियान्वित होने चाहिए, तभी अध्यात्म के शिखर की प्राप्ति हो सकेगी |
जब-जब मैं उपासना के क्षणों मे परमात्मा के चरणों मे बैठता हूँ, तब-तब मेरी यही प्रार्थना रहती है की परमात्मा मेरे राष्ट्र को सर्वविधि समृद्ध एवं सम्पन्न बना दें। आत्महत्या नहीं आत्मदर्शन | Aatmhatya Nhi Aatmdarshan | Swami Satyamitranand Giri Ji Maharaj
प्रस्तुत अमृत वचनों के माध्यम से स्वामी सत्यामित्र नन्द जी महाराज बताते हैं जब-जब मैं उपासना के क्षणों मे परमात्मा के चरणों मे बैठता हूँ, तब-तब मेरी यही प्रार्थना रहती है की परमात्मा मेरे राष्ट्र को सर्वविधि समृद्ध एवं सम्पन्न बना दें।
प्रस्तुत वीडियो में ब्रहमलीन स्वामी सत्यामित्रानंद गिरि जी महाराज जी कहते हैं कि छोटी सी संपत्ति को अपना मानकर अहंकार की परिधि में निरंतर अपने को बांधने का प्रयत्न करना कोई बुद्धिमानी की बात नहीं हो सकती है |