भारत माता की इस प्रस्तुति मे पूज्य स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज कहते हैं कि भक्ति मार्ग मे विनम्रता का सर्वोच्चय स्थान है। स्वामी जी के अनुसार आध्यात्म रामायण केवल कथा नहीं है, यह जीवन के बंधनों से मुक्ति की साधना है।
भारत माता चैनल की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज आध्यात्म रामायण का सार प्रस्तुत करते हुए कहते हैं कि वर्तमान समय में धर्म के प्रति आस्था कम होती जा रही है, लेकिन जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है।
भारत माता चैनल की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज आध्यात्म रामायण का सार प्रस्तुत करते हुए बताया है कि विश्व की रचना कैसे हुई?
भारत माता की इस प्रस्तुति में स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज ने वर्णित किया है कि भजन का अर्थ क्या है? उनके अनुसार भजन का अर्थ जीवन के प्रत्येक क्षण में ईश्वर की अनुभूति करना है।
भारत माता की इस प्रस्तुति में स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज ने वर्णित किया है कि मनुष्य को प्रतिकूलता मे भी प्रसन्न रहना चाहिए। क्योंकि जब जीवन में प्रतिकूलताएं आती हैं, तो वे केवल हमारे कर्मों का ऋण चुकाने का अवसर होती हैं।
भारत माता की इस प्रस्तुति में स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज ने गीता के माध्यम से बताया है कि ईश्वर किसे कहते हैं। श्रीमद्भगवद्गीता एक ऐसा दिव्य ग्रंथ है, जो जीवन के हर मोड़ पर हमें मार्गदर्शन करता है।
भारत माता की इस प्रस्तुति में स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज कहते हैं कि मनुष्य ही अपना शत्रु एवं मित्र होता है। यदि कोई व्यक्ति अपने विवेक का सही उपयोग करता है तो वह अपना मित्र बन जाता है, लेकिन यदि वह बिना विवेक के कार्य करता है तो वही उसका शत्रु बन जाता है।
भारत माता की इस प्रस्तुति में स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज बताते हैं कि श्रीमद भगवद गीता मे श्री कृष्ण ने कहा है कि चलाओ बाण मिलेगा निर्वाण।
भारत माता की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज बताते हैं कि गीता केवल बुद्धि से समझी नहीं जा सकती, इसके लिए भावनात्मक और आध्यात्मिक अनुभव की आवश्यकता होती है।
भारत माता की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज कहते हैं कि जीवन मे सत्य का स्मरण और सत्य की स्तुति अति महत्वपूर्ण है।
भारत माता चैनल की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज कहते हैं कि कर्म करो फल की चिंता, मत करो। अपने कर्मों का फल भगवान को समर्पित करना, शांति प्राप्त करने का सबसे सशक्त मार्ग है।
भारत माता की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज बताते हैं कि गीता का कृष्ण अध्यात्म का परब्रह्म है। स्वामी जी कहते हैं कि संन्यास का मतलब है अपने भीतर के संसार से मुक्त हो जाना, बिना किसी आकांक्षा या द्वेष के कर्म करना।