इस प्रेरणादायक प्रवचन में स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी मानव जीवन की क्षणभंगुरता, वैराग्य, आत्मचिंतन और मोक्ष की ओर बढ़ने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हैं। यह प्रस्तुति आंतरिक शांति व सच्चे सुख की खोज का मार्ग दिखाती है।
स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज राम कथा का गूढ़ अर्थ बताते हैं, जो मोक्ष ही नहीं, सांसारिक सुख भी देती है। भगवान शंकर पार्वती जी को यह रहस्यमय ज्ञान सुनाते हैं और बताते हैं कि राम कथा भक्त और गृहस्थ—सभी के लिए लाभकारी है।
स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि जी द्वारा पार्वती जी की भगवान शिव के प्रति कृतज्ञता पर आधारित सुंदर व्याख्या। जानिए कैसे ईश्वर कृपा और संदेहों का अंत जीवन की वास्तविक धन्यता है।
स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी बताते हैं कि सच्चा साधक वही है जो भगवान को सबमें देखता है, द्वेष-भेदभाव छोड़ता है और आत्मा की एकता का अनुभव करता है। शांति पाने का सरल मार्ग है यह जानना कि भगवान सब प्राणियों के सुहृद हैं।
स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी बताते हैं कि ईश्वर हमारे अंतर्मन का साक्षी है। वह निर्लिप्त होकर सब देखता है, लेकिन करुणा से भरा है। यह प्रवचन आत्मबोध, साधना, और वास्तविक सुख की खोज का मार्ग दिखाता है।
भगवान श्रीराम की अयोध्या वापसी केवल एक ऐतिहासिक घटना नहीं, बल्कि ब्रह्मतत्त्व के प्रकटन का माध्यम थी। राम क्या हैं? वे न तो केवल धर्मराज हैं, न ही कर्म के कर्ता—वे आनंदमूर्ति, अचला, परिणामहीन, और माया के अधिष्ठाता परब्रह्म हैं।
नियमित साधना क्यों करना चाहिए — स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि जी रामकृष्ण परमहंस जी की शिक्षाओं के माध्यम से इस प्रश्न का उत्तर देते हैं, साथ ही अध्यात्म रामायण में भक्ति, अहंकार शुद्धि और भारत की आध्यात्मिक व वैज्ञानिक विरासत को भी उजागर करते हैं।
स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज द्वारा प्रस्तुत आध्यात्मिक प्रवचन में जानिए कि सच्चा भयमुक्त जीवन केवल परमात्मा की शरण से ही संभव है। पूतना वध और श्रीराम की लीलाओं से प्रेरणा लें और जीवन की तीन बाधाओं से मुक्ति का मार्ग जानें।
भारत माता की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महारज कहते हैं साधना का अर्थ है — अपने जीवन का आत्मनिरीक्षण करना, अपने दोषों को धीरे-धीरे सुधारते हुए, परमात्मा के चरणों में प्रेम विकसित करना, और एक शुद्ध जीवन जीते हुए, अंतर्मन में आनंद और संतुष्टि बढ़ाना। यही कार्य साधना के माध्यम से होता है।
भारत माता की इस प्रस्तुति में स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि जी ने बताया कि भगवान राम ने राज्याभिषेक के समय संतों की संगति को सर्वोपरि रखा, क्योंकि उनकी उपस्थिति में आचरण स्वतः शुद्ध होता है। राजा को भी संत की आवश्यकता होती है।
भारत माता की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज बताते हैं कि अंतः शुद्धि कैसे करें? स्वामी जी इस भावप्रवण प्रवचन में मानव जीवन की सार्थकता, विवेक, मोह और साधना के विविध पक्षों को अत्यंत सुंदर ढंग से प्रस्तुत करते हैं।
भारत माता द्वारा प्रस्तुत गीता ज्ञान श्रंखला के पंद्रहवें अध्याय - पुरुषोत्तम योग मे आत्मा और परमात्मा को समझने के सही मार्ग के बारे मे बताया गया है। इस अध्याय का विस्तृत सार, हर साधक के लिए मार्गदर्शक और प्रेरणादायक है।