भारत माता की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महारज कहते हैं साधना का अर्थ है — अपने जीवन का आत्मनिरीक्षण करना, अपने दोषों को धीरे-धीरे सुधारते हुए, परमात्मा के चरणों में प्रेम विकसित करना, और एक शुद्ध जीवन जीते हुए, अंतर्मन में आनंद और संतुष्टि बढ़ाना। यही कार्य साधना के माध्यम से होता है।
भारत माता की इस प्रस्तुति में स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि जी ने बताया कि भगवान राम ने राज्याभिषेक के समय संतों की संगति को सर्वोपरि रखा, क्योंकि उनकी उपस्थिति में आचरण स्वतः शुद्ध होता है। राजा को भी संत की आवश्यकता होती है।
भारत माता की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज बताते हैं कि अंतः शुद्धि कैसे करें? स्वामी जी इस भावप्रवण प्रवचन में मानव जीवन की सार्थकता, विवेक, मोह और साधना के विविध पक्षों को अत्यंत सुंदर ढंग से प्रस्तुत करते हैं।
भारत माता द्वारा प्रस्तुत गीता ज्ञान श्रंखला के पंद्रहवें अध्याय - पुरुषोत्तम योग मे आत्मा और परमात्मा को समझने के सही मार्ग के बारे मे बताया गया है। इस अध्याय का विस्तृत सार, हर साधक के लिए मार्गदर्शक और प्रेरणादायक है।
भारत माता की इस प्रस्तुति मे महादेव से जानिए राम का तत्व क्या है? इस प्रस्तुति में पार्वती भगवान राम के गूढ़ आध्यात्मिक स्वरूप के बारे में जानना चाहती हैं।
भारत माता की इस प्रस्तुति मे पूज्य स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज कहते हैं कि ईश्वर प्राप्ति के लिए भक्ति से सरल कोई साधन नही है।
भारत माता की इस प्रस्तुति मे पूज्य स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज कहते हैं कि भक्ति मार्ग मे विनम्रता का सर्वोच्चय स्थान है। स्वामी जी के अनुसार आध्यात्म रामायण केवल कथा नहीं है, यह जीवन के बंधनों से मुक्ति की साधना है।
भारत माता चैनल की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज आध्यात्म रामायण का सार प्रस्तुत करते हुए कहते हैं कि वर्तमान समय में धर्म के प्रति आस्था कम होती जा रही है, लेकिन जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है।
भारत माता चैनल की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज आध्यात्म रामायण का सार प्रस्तुत करते हुए बताया है कि विश्व की रचना कैसे हुई?
भारत माता की इस प्रस्तुति में स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज ने वर्णित किया है कि भजन का अर्थ क्या है? उनके अनुसार भजन का अर्थ जीवन के प्रत्येक क्षण में ईश्वर की अनुभूति करना है।
भारत माता की इस प्रस्तुति में स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज ने वर्णित किया है कि मनुष्य को प्रतिकूलता मे भी प्रसन्न रहना चाहिए। क्योंकि जब जीवन में प्रतिकूलताएं आती हैं, तो वे केवल हमारे कर्मों का ऋण चुकाने का अवसर होती हैं।
भारत माता की इस प्रस्तुति में स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज ने गीता के माध्यम से बताया है कि ईश्वर किसे कहते हैं। श्रीमद्भगवद्गीता एक ऐसा दिव्य ग्रंथ है, जो जीवन के हर मोड़ पर हमें मार्गदर्शन करता है।