गुरुजी की कवितायें

श्री स्वामी शरणाष्टकम् | गुरु देव स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज जी को नमन | Bharat Mata

गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर भारत माता की यह विशेष प्रस्तुति स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज को समर्पित है। जिसमे गुरु की महिमा, त्याग, व महत्व वर्णित है।

जयति ब्रह्माकार की | Jayati Brahmaakaar Ki | Swami Satyamitranand Maharaj | ओढ़ली चादर प्रकृति ने

जयति ब्रह्माकार की | Jayati Brahmaakaar Ki | Swami Satyamitranand Maharaj | ओढ़ली चादर प्रकृति ने ओढ़ली चादर प्रकृति ने, कालिमा हट गई सारी। निष्कलंकित रूप धारे, शांत सी निशब्द कारी।।

विष अमृत मिश्रित जीवन | Vish Amrit Mishrit Jeevan | Swami Satyamitranand Giri Ji Maharaj | Kavita

विष अमृत मिश्रित जीवन | Vish Amrit Mishrit Jeevan | Swami Satyamitranand Giri Ji Maharaj | Kavita

उत्तर कुछ आसान नहीं है (कविता) | Uttar Kuch Asan Nahi Hai (Kavita) | Bharat Mata

उत्तर कुछ आसान नहीं है (कविता) | Uttar Kuch Asan Nahi Hai (Kavita) स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज द्धारा रचित कविता ।

आत्म भाव देना | Aatm Bhav Dena | Bharat Mata

स्वामी सत्यामित्रानंद जी महाराज द्वारा रचित कविता आत्म भाव देना । कर्म के कंधों पर थी, पापों की पोटली। अच्छा हुआ किसी ने लूट ली, खसोट ली। जितना बढ़ता बोझ, उतना ही दबता । कैसे फिर मेरे नाथ ! उसे उठाय

देही बन जाओ | Dehi Ban Jao | Bharat Mata

देही बन जाओ- स्वामी सत्यामित्रानंद जी महाराज । पक्षियों ने देखा मुझे और मुस्कुराए। बोले प्रतीक्षा बाद, आज तुम हो आए।। पतझड़ का मौसम है, पल्लव हैं झरते। जीवन के दिन भी तो, ऐसे हैं गुजरते।।

मेरा गान अमर हो जाए | Mera Gaan Amar Ho Jaye | Bharat Mata

मैं गाता हूं इसलिए कि मेरा गान अमर हो जाए, मेरे अंतर की ध्वनि यह म्रियमांण ना होेने पाए. मैं गाता हूं इसलिए कि मेरा गान अमर हो जाए, जब एकाकी सा जीवन नीरस सा लगने लगता है.

चीन के विरोध में ऐसी अदभुत कविता | सावधान चीन | ओ मदांध रे चीन | O Madhandh Re China | Bharat Mata

सावधान हो कदम बढ़ाना, ओ मदांध चीन रे। चालीस कोटी सुतों के आगे, भूमि न सकता छीन।। भारत सभी देशों के साथ शांति और सौहार्द का रिश्ता कायम रखना चाहता है।

बिना दाग जीवन | Bina Daag Jeevan | Bharat Mata

बिना दाग जीवन जो जी ले, उसका बड़ा कमाल है। अब कबीर की कहां है चदरिया, मछुआरे का जाल है। यह “तरंग” काव्य संग्रह पाठकों, काव्य - रसिकों के लिए आनंददायी होगा।

ना तुम कही पास हो ना तुम कही दूर हो | Na Tum Kahi Paas Ho| Bharat Mata (Swami ji ke Swar)

ना तुम कही पास हो ना तुम कही दूर हो | Na Tum Kahi Paas Ho| Bharat Mata (Swami ji ke Swar)

अभिलाषा | Abhilasha | Bharat Mata

कविता ह्रदय की एक धारा है, समय समय पर रचित इन कविताओं एवम् भजनो का साहित्यिक मूल्य नहीं है स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि जी महाराज

अभी गतिमान हूँ | Abhi Gatimaan Hoon | Bharat Mata

अभी गतिमान हूँ कविता ह्रदय की एक धारा है, समय समय पर रचित इन कविताओं एवम् भजनो का साहित्यिक मूल्य नहीं है स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि जी महाराज