स्वार्थ को त्याग कर्तव्यों का निर्वाह करते रहना चाहिए | सांवलिया सेठ | Swami Satyamitranand Maharaj
आज के समय में आस्था और निष्ठा का संकट है। लोग अपने आदर्शों को भुलाकर अपने आप को आदर्शवादी समझने की भूल कर रहा है। त्रेता का युग कितना सुंदर था, जब चक्रवर्ती साम्राज्य के लिए किसी भी दशरथ पुत्रों में लालच का भाव नहीं था। भारत भूमि पर ही ऐसा चमत्कार हुआ है। अगर आप भी श्रीराम के भक्त हैं तो कभी संपत्ति के लिए झगड़ा मत करना और ना ही अपने परिवार के प्रति बैर भाव रखना। भगवान की स्मृति और स्तुति सदैव करते रहना चाहिए। यदि एक बार हृदय से भगवान निकल गए तो विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ेगा। इसलिए सदैव ईश्वर का स्मरण करते रहना चाहिए। वह अपने भक्तों को बालक की तरह रखता है। ईश्वर सदैव अच्छे कर्मों का पुण्य फल देता है। स्वार्थ को त्याग कर अपने कर्तव्यों का निर्वाह करते रहना चाहिए।