हरि अनंत हरि कथा अनंता | Swami Satyamitranand Ji Maharaj | Adhyatam Ramayan | Pravachan

परमात्मा की कथा और उसका रहस्य

स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज ने भारत माता की प्रस्तुति में परमात्मा की कथा और उसके रहस्य के बारे में बहुत सुंदर और गहन विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि जैसे विद्वान लोग परमात्मा के गूढ़ रहस्यों को सरल भाषा में समाज तक पहुंचाते हैं, वैसे ही गांवों और छोटे स्थानों में साधारण लोग भी भगवान की पवित्र कथा सुनाते हैं।

साधारण कथावाचकों की महत्ता

श्रद्धा और भक्ति का महत्व

उनकी दृष्टि में, इन साधारण कथावाचकों की भी आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत महत्ता है। वे मानते हैं कि भले ही किसी के पास विद्वता न हो, लेकिन अगर वह श्रद्धा और भक्ति से भगवान की कथा करता है, तो उसका भी उतना ही महत्व है जितना किसी बड़े विद्वान का।

कथा का समाज में प्रभाव

समाज में हर स्तर पर भगवान की कथा का प्रचार-प्रसार आवश्यक है, क्योंकि यह मानव को आध्यात्मिक रूप से समृद्ध बनाती है।

परमात्मा की कथा की अनंतता

स्वामी जी आगे कहते हैं कि परमात्मा की कथा अनंत है। महर्षि वेदव्यास जी ने भी इस बात को बहुत सुंदर ढंग से समझाया है कि इसमें किसी को भी अहंकार नहीं करना चाहिए—चाहे वह विद्वान हो, प्रवक्ता हो, श्रोता हो, चिंतक हो या शोधकर्ता।

परमात्मा के गुणों की सीमा नहीं

परमात्मा की कथा और उनके गुणों की कोई सीमा नहीं है। जब भी कोई परमात्मा की कथा कहेगा, वह हमेशा अधूरी ही रहेगी, क्योंकि परमात्मा अनंत हैं और उनकी महिमा का कोई अंत नहीं है।

कथावाचकों का युग-युग में योगदान

संसार में जितने भी लोग भगवान की कथा कर चुके हैं, वे सब कभी न कभी अपने जीवन का अंत पाते हैं, लेकिन भगवान की कथा कभी समाप्त नहीं होती। यह निरंतर चलती रहती है, और हर युग में नए-नए अच्छे कथावाचक आते रहते हैं, जिनकी शैली और गायन से लोग प्रभावित होते हैं।

विज्ञान, तकनीक और आध्यात्मिक ज्ञान

स्वामी जी विज्ञान और तकनीक के विकास का भी उल्लेख करते हैं। वे कहते हैं कि आज के युग में संवाद बहुत आसान हो गया है—ईमेल, इंटरनेट और टेलीफोन के माध्यम से हम पलभर में अपनी बात दूर तक पहुंचा सकते हैं।

विज्ञान से संवाद सरल, पर ज्ञान सीमाहीन

पहले के समय में पत्र भेजने में कई दिन लग जाते थे, लेकिन आज विज्ञान ने सब कुछ आसान कर दिया है। फिर भी, वे यह स्पष्ट करते हैं कि विज्ञान चाहे कितना भी आगे बढ़ जाए, पृथ्वी के कण गिने जा सकते हैं, लेकिन परमात्मा के अनंत गुणों की गणना करना असंभव है।

अनुभवों द्वारा जीवन में शिक्षा

स्वामी जी ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि कैसे पर्वतीय क्षेत्रों में पोस्टमैन पत्र बांटते समय भाले के ऊपर घुंघरू बांधकर चलते हैं, ताकि जंगली जानवर उनसे दूर रहें। यह उदाहरण देकर वे यह समझाते हैं कि पहले संवाद में कितनी कठिनाई थी, लेकिन आज विज्ञान ने सब कुछ बदल दिया है।

कथा की गहराई बनाम बाहरी आयोजन

स्वामी जी ने कथा सुनने और केवल बाहरी दिखावे से प्रभावित होने के फर्क को भी स्पष्ट किया। वे कहते हैं कि कथा से प्रभावित व्यक्ति सच्चा आनंद पाता है, जबकि केवल पंडाल या आयोजन से प्रभावित लोग बाद में पछताते हैं। यह अपने-अपने जीवन की विधा है—किसी को कथा में रस आता है, तो किसी को आयोजन में।

कथा के उद्घाटन की सच्ची भावना

ईश्वरीय प्रेरणा और कथा का आरंभ

स्वामी जी ने यह भी कहा कि भगवान की कथा का उद्घाटन करने का अधिकार किसी को नहीं है। यह लौकिक बात है कि दीप प्रज्वलित करके कथा का उद्घाटन किया जाता है, लेकिन वास्तव में भगवान की कथा तो वही जितना और जैसे प्रकट करना चाहते हैं, उतना ही किसी के माध्यम से कराते हैं।

अंतरराष्ट्रीय उदाहरण: फादर कामिल बोलके

यदि परमात्मा की कथा अनंत न होती, तो एक विदेशी विद्वान फादर कामिल बोलके, जो ईसाई थे और भारत में पादरी बनकर आए थे, वे राम कथा से इतने प्रभावित न होते कि उन्होंने अपना पूरा जीवन राम के अध्ययन और लेखन में लगा दिया। इससे यह सिद्ध होता है कि भगवान की कथा की प्रेरणा और अनुभूति किसी भी व्यक्ति को, किसी भी समय, किसी भी स्थान पर हो सकती है।

मोह, ज्ञान और जीवन की दिशा

अंत में, स्वामी जी कहते हैं कि जीवन में मोह के कारण ही लोग कई व्यवस्थाएं करते हैं, लेकिन परमात्मा में कभी मोह या अज्ञान नहीं होता; वे सदा प्रकाश और ज्ञानस्वरूप हैं। संसार में जितनी भी रचनाएं होती हैं, वे अक्सर मोह के कारण होती हैं, लेकिन परमात्मा में अज्ञान की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

निष्कर्ष: कथा की अनुभूति ही जीवन का सार

इसलिए हमें अहंकार से बचकर, जितना समझ सकें, उतना ही परमात्मा की महिमा का अनुभव और आनंद लेना चाहिए। परमात्मा की कथा अनंत है, और उसकी अनुभूति भी अनंत है; इसे पूरी तरह कोई नहीं जान सकता, लेकिन जितना जाना जाए, वही जीवन को सार्थक बना देता है।

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स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज का आध्यात्मिक संदेश

(प्रस्तुति: Bharat Mata Channel | अधिक जानें: bharatmata.online | प्रवचन देखें: Pravachan Category)