Tamil Nadu | तमिलनाडु का पूरा इतिहास, संस्कृति और मंदिर! | India’s Cultural Superpower | South India

Where the Dravidian sun greets the dawn,
Land of timeless echoes and towering temple spires, 
Where festivals burst forth in a riot of saffron and gold,
And the language weaves tales of old and new.
From Kanyakumari’s embrace to the Nilgiris' lofty peaks,
In fields that shimmer like gold and by the ocean’s gentle caress,
Where dreams take flight, where sacred rivers etch ancient stories into the earth,
And the echoes of history sway with the rhythm of tomorrow’s hope.
Bharat mata channel welcomes you to the state of temples Tamil Nadu. 


तमिलनाडु का प्राचीन इतिहास

यह राज्य उत्तर में आंध्र प्रदेश और कर्नाटक से, पश्चिम में केरल से, पूर्व में बंगाल की खाड़ी से और दक्षिण में भारतीय महासागर से घिरा हुआ है। इस राज्य का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। सैकड़ों वर्षों तक भारत के दक्षिणी राज्यों पर चोला, चेराऔर पांड्याओं का प्रभुत्व रहा। पलवों ने लगभग चौथी सदी के दूसरे तिमाही से प्रभुत्व कायम किया। वे प्रसिद्ध द्रविड़ शैली की मंदिर वास्तुकला के प्रारंभकर्ता थे। अंतिम पलवा शासक अपराजिता थे, जिनके शासनकाल में विजयलय और आदित्य के तहत बाद के चोलों ने 10वीं सदी के आसपास अपने प्रभाव को स्थापित किया। 11वीं सदी के अंत में, तमिल नाडु कई राजवंशों जैसे चालुक्यों, चोलों और पांड्याओं के अधीन था। 
फिर समय के साथ मुग़ल अपनी स्थिति को मजबूत करने लगे, जिसके परिणामस्वरूप 14वीं सदी के मध्य में बहमनी सल्तनत की स्थापना हुई। इसी समय, विजय नगर साम्राज्य ने तेजी से सुसंगठित होकर पूरे दक्षिण भारत पर अपना प्रभाव बढ़ाया, और सदी के अंत में विजय नगर दक्षिण में सर्वोच्च शक्ति बन गया। हालांकि, 1564 में तालिकोटा की लड़ाई में दक्कन सुल्तानों की गठबंधन सेनाओं के सामने विजय नगर का पतन हो गया।


वर्ष 1611  मे ईस्ट इंडिया कंपनी ने मसुलीपट्टनम में अपना कारखाना स्थापित किया था, फिर अंग्रेजों ने धीरे-धीरे स्थानीय शासकों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देकर क्षेत्रों को अधिग्रहित किया।तमिल नाडु ब्रिटिश उपनिवेशों में से एक था। यह 1901 में दक्षिणी प्रायद्वीप के अधिकांश हिस्से को कवर करने वाले पुराने मद्रास प्रेसीडेंसी का उत्तराधिकारी है। बाद में संयुक्त मद्रास राज्य का पुनर्गठन किया गया, और वर्तमान तमिल नाडु का गठन हुआ।

वीरता, बलिदान और स्वतंत्रता संग्राम में तमिलनाडु

इस राज्य की भूमि पर जन्म लेने वाले वी. ओ. चिदंबरम पिल्लै, वीर पांडिया कट्टाबोमन, धीरन चिन्नामलाई, वीरन अझागुमुथु कोने, और सी. सुब्रमण्यन आदि स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी असाधारण वीरता, अदम्य साहस, और देशभक्ति से आजादी के संग्राम मे महत्वपूर्ण योगदान दिया। आजादी के बाद तमिलनाडु की स्थापना वर्ष 1956 में 13 ज़िलों के साथ हुई थी, और आज इस राज्य मे 38 ज़िले हैं। महान स्वतंत्रता सेनानियों के अतिरिक्त तमिल नाडु की भूमि सी. राजगोपालाचारी, श्रीनिवास रामानुजन, रानी वेलु नाचियार, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, और मार्शल नेसामोनी जैसी महान विभूतियों की जन्म स्थली भी है। तमिलनाडु में कई संतों का योगदान भी रहा है, जिनमेंसंत तिरुवल्लुवर, अधीनम, अलवार, और नयनार आदि प्रमुख हैं। 
इस राज्य के साहित्य का संवर्धन पाण्डिय राजाओं के संरक्षण में हुआ। उनकी राजधानी दक्षिण मदुरा थी जो सागर में विलीन हो गयी। उसके बाद उन्होंने अपनी राजधानी कपाटपुरम् नामक स्थान पर बनायी, तथा वहां दूसरे कविसंघ की स्थापना की। इसमें 59 सदस्य थे। इस संघ ने लगभग 3700 वर्षों तक साहित्य रचना की। यह संघ ईसा पूर्व 1850 में समाप्त हो गया जिसका कारण सागर की उथल-पुथल ही थी। इस काल के प्रमुख ग्रंथ हैं - तोलगाप्पियम्, महापुराणा, इसैनुणुक्कम्, तथा भूतपुराणम्।

तमिल साहित्य, कला और भक्ति परंपरा

तमिल साहित्य के कालों का विभाजन इस प्रकार है - संघपूर्व काल, संघ काल, संघोत्तर काल, भक्ति काल, कम्बन काल, मध्य काल तथा आधुनिक काल। पत्र-पत्रिकाओं के प्रसार के कारण तमिल में कहानी लेखन भी लोकप्रिय हुआ। पुराने कहानीकारों में अय्यर भारती तथा बंकटमणि प्रसिद्ध हैं। बाद के प्रमुख कहानीकार हुए – राजाजी, पुदुमैप्पित्तन, अकिलन, कल्की, जीवा, राजगोपालन और पिच्चमूर्ति। इस युग के प्रमुख आलोचकों में स्वामीनाद अय्यर, राघवय्यबर, राघवय्यर, का. पिल्लै, सोमसुन्दर भारती, वैयापुरि पिल्लै, ब. वरदराजन, श्रीनिवास राघवन, सेतुपिल्लै तथा मीनाक्षीसुन्दरम् पिल्लै।
तमिलनाडु की संस्कृति प्राचीन परंपराओं, कला, संगीत और साहित्य का समन्वय है।इस राज्य के लोग अपनी द्रविड़ संस्कृति पर गर्व करते हैं, जिसकी अपनी अलग भाषा तमिल है और वास्तुकला, कला और नृत्य की एक अनूठी शैली है।

तमिलनाडु, एक ऐसा राज्य जिसे देवताओं के प्रेम से आकार दिया गया है, धार्मिक पर्यटन स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। यह राज्य लगभग 33,000 प्राचीन मंदिरों का घर है, जो द्रविड़ वास्तुकला शैली में बने हैं। इस राज्य को "मंदिरों की भूमि" के रूप में जाना जाता है और यह दुनिया भर के यात्रियों के लिए आत्मिक पुनरुत्थान का सबसे बड़ा स्रोत रहा है।

तमिलनाडु के अद्वितीय मंदिर और पर्यटन स्थल

इस राज्य में श्री रंगनाथस्वामी मंदिर, तिल्लई नटराजा मंदिर, अन्नामलयार मंदिर, एकंबरेश्वर मंदिर, जंबुकेश्वर मंदिर, कैलासनाथर मंदिर, तिरुवरूर त्यागराज स्वामी मंदिर, वैधेश्वरन मंदिर आदि शांतिपूर्ण हिंदू मंदिरों के माध्यम से आध्यात्मिकता का अनुभव मिलता है।

मंदिरों के साथ-साथ, तमिलनाडु अपने दर्शनीय स्थलों के लिए भी प्रसिद्ध है। तमिलनाडु के प्रमुख पर्यटन स्थलों में होगेनक्कल waterfalls , कोथंडरमास्वामी मंदिर, बांदीपुर टाइगर रिजर्व, पैराडाइज बीच, मरिना बीच आदि शामिल हैं। इसके अलावा, चेन्नई, कोयंबटूर, सलेम, वेल्लोर, ऊटी, कांचीपुरम जैसी प्रमुख शहर भी तमिलनाडु के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में शामिल हैं। तमिलनाडु प्राकृतिक रूप से पूर्वी तट पर समतल प्रदेश तथा उत्तर और पश्चिम में पहाड़ी क्षेत्रों के बीच विभाजित है। इस राज्य की महत्वपूर्ण नदियों में कावेरी, पोन्नैयार, पलार, वैगई और तांब्रपर्णी शामिल हैं। ये सभी नदियां पहाड़ियों से पूर्व की ओर बहती हैं।

तमिलनाडु की वनस्पतियाँ राज्य के विविध परिदृश्यों और समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र का प्रमाण हैं। अपने विशाल भूभाग में फैले पौधों की लगभग 5,640 प्रजातियों के साथ, तमिलनाडु में वनस्पतियों की उल्लेखनीय विविधता है जो शुष्क से लेकर हरी-भरी तक फैली हुई है। तमिलनाडु का राज्य पशु नीलगिरि तहर है. यह भेड़ से बहुत करीब से संबंधित है और आनुवंशिक रूप से अन्य तहरों की तुलना में ओविस जीनस के सदस्यों के अधिक समान है.यहाँ का राज्य पक्षी आम पन्ना कबूतर और राज्य वृक्ष ताड़ का पेड़ है.तमिलनाडु में स्तनधारियों की विविधता देखने को मिलती है. यहां शुष्क और नम पर्णपाती वनों में अलग-अलग वातावरण पाए जाते हैं. इनमें बंगाल टाइगर, नीलगिरि तहर, और शेर-पूंछ वाले मैकाक जैसी कमज़ोर प्रजातियां भी शामिल है। तटीय क्षेत्र और आर्द्रभूमि में फ्लेमिंगो, गल्स, और टर्न जैसे सुंदर पक्षी पाए जाते हैं. जंगल में प्लोवर की आवाज़ और तितलियों की सुंदर उड़ान से गूंज होता रहता है.तमिलनाडु की जलीय विविधता में मीठे पानी की मछलियों की 165 से अधिक प्रजातियां शामिल हैं.
इस राज्य के त्योहारों की बात करें तो यहाँ पोंगल एक कृषि उत्सव है, जिसे किसान जनवरी में सूर्य, पृथ्वी और पशुओं की पूजा करके समृद्ध फसल के लिए मनाते हैं। यह उत्सव तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में जल्लीकट्टू (सांड की लड़ाई) के साथ आता है, जिसमें अलंगानल्लूर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है। 

आडिप्पेरुक्कु उत्सव, जो नदी के किनारे मनाया जाता है, नए कृषि कार्यों की शुरुआत का प्रतीक है। मामल्लापुरम में नृत्य उत्सव प्राचीन शहर में 13 शताब्दी पहले बनाए गए अद्भुत मोनोलिथिक शिल्पों के सामने मनाया जाता है, जिसमें भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी, कथकली और ओडिसी जैसे नृत्य रूप शामिल हैं। नट्यान्जलि नृत्य उत्सव, चिदंबरम में भगवान नटराज को विशेष श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

शिक्षा, पर्यावरण और आधुनिक पहचान

महामागम उत्सव हर 12 साल में कुम्बकोणम में श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। गर्मियों का उत्सव हर साल ऊटी, कोडाईकनाल और येरकौड में मनाया जाता है। कंथुरी उत्सव धर्मनिरपेक्ष है, जहाँ भक्त संत क़ादिरवाली की दरगाह पर इकट्ठा होते हैं। दसवें दिन संत की दरगाह पर चंदन का लेप किया जाता है, जिसे सभी में वितरित किया जाता है। वेलंकन्नी उत्सव, संत मैरी की चमत्कारी शक्तियों के लिए प्रसिद्ध है। नवरात्रि उत्सव, देवी शक्ति की पूजा के लिए मनाया जाता है। तमिलनाडु का कार्तिगई दीपम, दीपों और पटाखों से मनाया जाता है। 

तमिलनाडु के संगीत का सबसे महत्वपूर्ण पहलू कर्णातिक संगीत है। इसे दक्षिण भारतीय शास्त्रीय संगीत माना जाता है और यह आज भी प्रचलित सबसे प्राचीन संगीत परंपराओं में से एक मानी जाती है। संगीत के साथ-साथ, राज्य कुछ सबसे सुंदर और आकर्षक नृत्य शैलियों का जन्मस्थल है। भरतनाट्यम तमिलनाडु का आधिकारिक नृत्य रूप है, जिसे पूरे भारत और दुनिया भर में मान्यता प्राप्त है। तमिलनाडु के कई लोक नृत्य हैं जो राज्य की संस्कृति और परंपरा को प्रभावित करते रहे हैं। सबसे लोकप्रिय लोक नृत्यकुरवनजी, करगट्टम, कुम्मी, कोल्लट्टम, कावड़ी अट्टम, नोंदी नाटकम, पावई कुथु, काई सिलंबट्टम, मयिल अट्टम, अय्यट्टम, देवरत्तम, डमी हॉर्स, पीकॉक डांस आदिहैं।
कला तमिलनाडु की संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है, सुबह के समय प्रत्येक घर के प्रवेश द्वार पर बनाए जाने वाले कोलम से लेकर भव्य तंजोर पेंटिंग्स तक। परिवार की महिलाएं हर दिन एक जटिल और सुंदर कोलम बनाकर अपने घर के प्रवेश द्वार पर लटकाती हैं। तंजोर पेंटिंग्स और तंजोर गुड़ियों की पहचान उनके सुनहरे सजावट के कारण होती है, जो उन्हें बहुत लोकप्रिय बनाती है।

इस राज्य के लोग चावल के विभिन्न व्यंजन अपने मुख्य आहार के रूप में खाते हैं। राज्य में चावल को कई तरीकों से तैयार किया जाता है, जैसे कि साधारण सफेद चावल और अन्य चावल के विविध रूप जैसे नींबू चावल, थक्कली सोरु (टमाटर चावल), थेंगई सोरु (नारियल चावल) और परप्पु सोरु (दाल चावल)। राज्य में सबसे लोकप्रिय साइड डिशेज में सांबर, रसम, और नारियल चटनी शामिल हैं। 
अद्वितीय धार्मिकव पर्यटन स्थलों से साथ-साथ तमिल नाडु भारत के कुछ शीर्ष कॉलेजों का भी घर है। तमिल नाडु में IIT Madras, NIT Trichy, VIT Vellore. Madras Medical College, Anna University, Bharathiar University, Bharathidasan University, और कई अन्य प्रसिद्ध विश्वविद्यालय स्थित हैं।

तो ये थी दक्षिण भारत मे स्थित अद्वितीय राज्य तमिल नाडु की सम्पूर्ण जानकारी। आपको यहाँ के बारे मे क्या पसंद है ये हमे comment section मे बताए और subscribe करें भारत माता चैनल।

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