उत्तर प्रदेश एक नजर | Ayodhya, Kashi, Gokul के धार्मिक स्थल | UP Tourism & Heritage

श्री राम की अयोध्या, महादेव की काशी, गोपाल के गोकुल से लेकर राधा रानी के बरसाना तक, इस राज्य मे होती है भक्ति, शांति, और संस्कृति की अद्वितीय अनुभूति। ये है भारत का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य। 
भारत माता चैनल आपका स्वागत करता है उत्तर प्रदेश मे। 

उत्तर प्रदेश का इतिहास व धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व 

उत्तर वैदिक काल मे उत्तर प्रदेश का नाम ब्रह्मऋषि देश था। यह प्रदेश भारद्वाज, गौतम याज्ञवल्क्य, वशिष्ट, भृगु, व्यास, विश्ववामित्र और वाल्मीकि जैसी महानआत्माओं की तपोभूमि भी रहा है। उत्तर प्रदेश धर्म, साहित्य, संस्कृति और बुद्धिजीवियों के केंद्र भी रहा है। यहाँ के सारनाथ, कुशीनगर, अयोध्या, प्रयाग, वाराणसी, मथुरा, आदि शहरों ने दुनिया को धार्मिक ज्ञान प्रदान किया। उत्तर प्रदेश मे ही शंकराचार्य, रामानंद, कबीर, तुलसीदास, सूरदास आदि महान व्यक्तियों का जन्म हुआ। 

अब बात करें इस राज्य के इतिहास की तो ये 4000 साल पुराना है। सबसे पहले ये क्षेत्र आर्यों का था। आर्य काल में ही महाभारत और रामायण महाकाव्यों की रचना की गई थी। फिर ईसा पूर्व के मध्य मे यहाँ बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ। इतिहासकारों का मानना है कि यह शहर हर्षवर्धन के शासनकाल के दौरान अपने गौरव के शिखर पर था। इस प्रदेश की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर मुग़ल शासन के आगमन से काफी प्रभाव पड़ा था। फिर समय के साथ यहाँ मुग़ल शासन का पतन और अंग्रेजों का आगमन हुआ। स्वतंत्रता आंदोलन में उत्तर प्रदेश के लोगों का योगदान महत्वपूर्ण था।

उत्तर प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानी

इस वर्ष देश ने अपना 77वां स्वतंत्रता दिवस मानाया। लेकिन ये आजादी हमे इतनी आसानी से नहीं मिली थी। आज जो आनंदमय जीवन हम जी रहे हैं उसके लिए बड़ी संख्या में क्रांतिवीरों ने अपने जीवन का बलिदान दिया है। इन्ही क्रांतिकारियों मे ऐसे भी कुछ लोग हैं जिन्होंने आजादी की लड़ाई मे भारत माता की रक्षा की और उत्तर प्रदेश का मान बढ़ाया। जिनमे मंगल पांडे, रानी लक्ष्मी बाई, राम प्रसाद बिस्मिल, मोहम्मद अली जौहरी, आबादी बानो बेगम, चंद्रशेखर आजाद, अशफाकउल्ला खान, बख्त खान बरेच, महावीर त्यागी, पुरुषोत्तम दास टंडन, बेगम हज़रत महल, झलकारी बाई, और गोविंद वल्लभ पंत जैसे नाम शामिल हैं। उत्तर प्रदेश की मिट्टी पर जन्मे ये वो वीर हैं जिनके रणनीतिक फैसलों, निडर हौसलों और अपनी मातृभूमि के प्रति अपार प्रेम ने अंग्रेजी शासन को झकझोर दिया और अंग्रेजी हुकूमत को हार माननी पड़ी थी! 

भारत की आजादी के बाद 26 जनवरी 1950 को उत्तर प्रदेश नाम से इस राज्य का गठन किया गया और लखनऊ बनी इस प्रदेश की राजधानी। साथ ही इस राज्य को 18 डिवीजन और 75 जिलों में बांटा गया जिनमे कानपुर, आगरा; झाँसी, बाँदा, हमीरपुर, चित्रकूट, जालौन, जौनपुर, महोबा, ललितपुर, लखीमपुर खीरी, वाराणसी, गाजीपुर, प्रयागराज, मेरठ, गोरखपुर, संत कबीर नगर, नोएडा, मथुरा, मुरादाबाद, संभल, गाजियाबाद, अलीगढ़, सुल्तानपुर, अयोध्या, बरेली, बदायूँ, बुलंदशहर, आज़मगढ़, मऊ, बलिया, मुज़फ़्फ़रनगर, सहारनपुर यहाँ के मुख्य नगर हैं और वर्ष 2000 में इस प्रदेश से उत्तराखंड राज्य अलग हुआ। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में उत्तर प्रदेश के 8 ज़िले (मेरठ, गाज़ियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, हापुड़, बागपत, मुज़फ्फरनगर, और शामली) शामिल हैं। 

उत्तर प्रदेश और साहित्य 

जितना बड़ा यह राज्य है उतना ही लंबा इस राज्य का भाषाई और साहित्यिक इतिहास है। प्राचीन काल से ही इस राज्य के प्रसिद्ध साहित्यकार/कवि और लेखक अपना अविश्वसनीय योगदान देते आ रहे हैं। इस क्षेत्र की साहित्यिक प्रतिभाओं ने हिंदू धर्म के सुप्रसिद्ध संस्कृत महाकाव्यों, रामायण और महाभारत की रचना की। 

उत्तर प्रदेश को कवियों की भूमि कहना भी श्रेष्ठ होगा, क्योंकि इस क्षेत्र ने भारतीय साहित्य के इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह भूमि कवि कबीर, तुलसीदास, सूरदास और केशवदास जैसे महान साहित्यकारों का घर रही है, जिन्होंने अपनी कविता और भक्ति की शक्ति से समाज को गहरा प्रभावित किया।

इसके अलावा, उत्तर प्रदेश की साहित्यिक परंपरा में और भी कई प्रमुख व्यक्तित्व रहे हैं। जैसे अश्वघोष, जिन्होंने संस्कृत काव्य और नाटकों में महत्वपूर्ण योगदान दिया। बाणभट्ट, जो अपने लेखन में गहरी संवेदनशीलता और शिल्प के लिए जाने जाते हैं। मयूर, जिनकी काव्य रचनाएँ भारतीय साहित्य के सोने में योगदान देती हैं। दिवाकर और वाक्पति भवभूति जैसे साहित्यकार भी अपनी विशेष शैली और गहराई के लिए प्रसिद्ध हैं। 
राजशेखर, लक्ष्मीधर, श्री हर्ष और कृष्ण मिश्र जैसे साहित्यिक विद्वानों ने भी अपने काल के राजाओं के दरबार में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया और उनके लेखन ने उस समय की साहित्यिक संस्कृति को समृद्ध किया। इन सभी कवियों और साहित्यकारों ने मिलकर उत्तर प्रदेश को भारतीय साहित्य के मानचित्र पर एक अनमोल स्थान दिलाया।

उत्तर प्रदेश के त्योहार 

यहाँ होली, दिवाली, दशहरा, रक्षा बंधन आदि अनेक पर्व बड़ी धूम धाम से मनाए जाते हैं। प्रदेश के वृंदावन, मेरठ, मथुरा, खुर्जा, अलीगढ़ आदि ब्रज क्षेत्रों मे फाल्गुन मास में होली का त्योहार बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। इन्हीं क्षेत्रों में जन्माष्टमी के समय अगस्त माह में रास लीला का आयोजन होता है। चैत्र (मार्च-अप्रैल) माह में वृंदावन में ब्रह्मोत्सव मनाया जाता है। इस उत्सव में रंगजी अथवा रंगनाथ (विष्णु) तथा लक्ष्मी की मूर्तियों की बीस दिन तक शोभा यात्रा निकाली जाती है। वृंदावन में ही श्रावण मास में विष्णु को समर्पित त्योहार मनाया जाता है। अयोध्या में चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को रामजन्म उत्सव राम नवमी तथा वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को सीता जन्म का उत्सव सीता नवमी मनाई जाती है। कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत धारण करने की स्मृति में लोग भाद्रपद में बन यात्रा पर्व मनाते हैं। मथुरा और फतेहपुर सीकरी में कंस मेला पर्व मनाया जाता जिसके दौरान कंस का वध किया जाता है।

प्रदेश के प्रयागराज शहर में हर बारह वर्ष बाद विश्व का सबसे बड़ा मेला कुंभ मेला लगता है। इसके अतिरिक्त हरिद्वार में भी हर छह वर्ष बाद कुंभ मेला लगता है। इनके अतिरिक्त वृंदावन, मथुरा, अयोध्या गढ़मुक्तेश्वर, सोरण, राजघाट, काकोरा, बिठूर, कानपुर तथा वाराणसी में भी समय-समय पर बड़े-बड़े मेले लगते हैं। प्रदेश में सैंकड़ों पर्यटन स्थल हैं, जहाँ पूरे साल पर्यटक आते हैं साथ ही आनंद और भक्ति का अनुभव करते हैं।
इसके साथ ही यहाँ गनगौर, चैती पूर्णिमा, असमाई, अक्षय तृतीया, बट सावित्री व्रत, कुनघुसूँ पूर्णिमा, हरछठ आदि तीज व त्योहार भी मनाए जाते हैं। 

उत्तर प्रदेश की नदियां 

हम उस देश के वासी है जहाँ नदियों को माँ का दर्जा दिया जाता है। यही कारण है की नदियों के घाटों पर आरती होती है। अलग-अलग राज्यों में कई छोटी-बड़ी नदियों का प्रवाह होता है। लेकिन भौगोलिक, आर्थिक और राजनीतिक दृष्टि से भारत का अति महत्वपूर्ण राज्य है उत्तर प्रदेश। इस राज्य के विकास में यहां की नदियों का भी अहम योगदान हैं, जो कि कृषि से लेकर पीने के पानी के लिए उपयोगी है। राज्य में बहने वाली नदियों की बात करें, तो यहां लगभग 30 प्रमुख नदियां प्रवाहित होती हैं। जिनमे गंगा, यमुना, रामगंगा, गोमती, सरयू, शारदा , गंडक, राप्ती, चम्बल, बेतवा, कैन, सन आदि नदियां शामिल हैं। 

उत्तर प्रदेश का भोजन 

उत्तर प्रदेश का भोजन पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। देश-विदेश से लोग यूपी के व्यंजनों का स्वाद लेने आते हैं। जिसमे बाटी चोखा, बेधाई, पेड़ा , पेठा, फरा आदि जैसे व्यंजन शामिल हैं। 

उत्तर प्रदेश की नृत्य कला 

उत्तर प्रदेश विविध धार्मिक मान्यताओं के लोगों का भी घर है और विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजनों का आयोजन करता है। भारत के सबसे पुराने शास्त्रीय नृत्यों में से एक, कथक का निर्माण इसी राज्य में हुआ था। यह राज्य कई अन्य कलाओं और नृत्य रूपों का घर है। यहाँ के प्रमुख लोक नृत्य में चारकुला, कर्म, पांडव, पाई-डंडा, थारू, धोबिया, राय, शायरा आदि शामिल हैं। वहीं प्रमुख लोक कथाएं बिरहा, कजरी, फाग, रसिया, आल्हा, पूरन भगत, भर्तृहरि आदि हैं।

उत्तर प्रदेश के प्रत्येक जिले में अद्वितीय संगीत परंपराएं हैं। पारंपरिक लोक संगीत को कई तरीकों से परिभाषित किया गया है। राष्ट्रपिता का कथन है की, "लोक संगीत में, पृथ्वी गाती है, पहाड़ गाते हैं, नदियां बहती हैं और फसलें गाती हैं।" उत्तर प्रदेश के प्रमुख लोक गीत सोहर, कहरवा, चनैनी, नौका झक्कड़, बंजारा और जावा आदि हैं। वहीं ब्रज क्षेत्र के प्रमुख लोक गीतों की बात करें, तो झूला, होरी, फाग, लंगुरिया और रसिया ब्रज क्षेत्र के प्रमुख लोक गीत हैं। पूर्वांचल मे कजरी, झूमर, झूला, बिरहा और सोहर प्रमुख हैं। और यदि बुंदेलखंड के प्रमुख लोक गीतों की बात करें, तो हरदौल, पंवारा, ईसुरी फाग और आल्हा यहां के प्रमुख लोक गीत हैं।

उत्तर प्रदेश की प्रसिद्ध संस्थाएं 

इस राज्य मे उद्योग शहर कानपुर और 7 अजूबों मे से एक ताज महल के अलावा कुछ ऐसी संस्थाएं और कॉलेज हैं जो इसके गौरव मे वृद्धि करते हैं जैसे- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ शुगरकेन रिसर्च, सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर सबट्रॉपिकल हॉर्टिकल्चर, IIT कानपुर, लक्ष्मीपति सिंघानिया हृदय रोग संस्थान, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय आदि। साथ ही इस राज्य मे राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य, किशनपुर वन्यजीव अभयारण्य, कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य, सुर सरोवर पक्षी अभयारण्य, सोहागी बरवा वन्यजीव अभयारण्य, आदि भी हैं जिनसे विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों और जीवों के संरक्षण का कार्य होता है। 

उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थल 

अपनी कला और संस्कृति के लिए प्रसिद्ध राज्य, उत्तर प्रदेश में कई खूबसूरत स्मारक और दिलचस्प पर्यटन स्थल हैं। इस राज्य मे लोग जीवंत सद्भाव में एक साथ रहते हैं। इस राज्य मे आगरा, वाराणसी, वृंदावन, लखनऊ, प्रयागराज, सारनाथ, मथुरा, फतेहपुर सीकरी, विंध्याचल, अयोध्या, झांसी, दुधवा राष्ट्रीय उद्यान, हस्तिनापुर, सोनभद्र और मेरठ आदि जैसे कई पर्यटन स्थल हैं जो यहाँ आने वाले लोगों के मानस पटल पर सदा अपनी छाप छोड़ते हैं। 

उत्तर प्रदेश की वास्तुकला बौद्ध धर्म, हिंदू धर्म, इंडो-इस्लामिक और इंडो-यूरोपीय की विभिन्न वास्तुकला शैलियों को चित्रित करती है। जिसका पूर्ण प्रमाण दशावतार मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर, वृन्दावन में बांकेबिहारी मंदिर, राम जन्मभूमि मंदिर, सारनाथ – धमेक स्तूप, बटेश्वर नाथ मंदिर आदि मे देखा जा सकता है। 

उत्तर प्रदेश की कला और शिल्प

उत्तर प्रदेश में प्राचीन काल से प्रचलित प्रमुख कला रूप चित्रकारी, मूर्तिकला, धातु, लकड़ी, हाथी दांत, पत्थर और मिट्टी पर हस्त-शिल्पकारी है। यहाँ चित्रकला की परंपरा प्रागैतिहासिक काल से चली आ रही है। सोनभद्र और चित्रकूट की गुफाओं में शिकार, युद्ध, त्यौहार, नृत्य, और जानवरों के दृश्य देखने को मिलते हैं। मथुरा, गोकुल, वृंदावन और गोवर्धन की पेंटिंग भगवान कृष्ण के जीवन के दृश्यों को दर्शाती हैं। उत्तर प्रदेश की एक अन्य प्रमुख पूर्व-आधुनिक चित्रकला परंपरा गढ़वाल स्कूल के रूप में जानी जाती है जिसे गढ़वाल के राजाओं द्वारा संरक्षण दिया गया था।

उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण शिल्पों में से एक है चिकनकारी, जिसमें नाजुक और पारंपरिक हाथ की कढ़ाई शामिल है। हस्तशिल्प का यह रूप मुख्य रूप से लखनऊ में प्रचलित है। उत्तर प्रदेश के खुर्जा, चुनार और रामपुर में सफ़ेद पृष्ठभूमि और नीले और हरे रंग के पैटर्न वाले चमकीले मिट्टी के बर्तन बनाए जाते हैं। लखनऊ अपने आभूषणों और मीनाकारी के काम के लिए प्रसिद्ध है। शिकार के दृश्यों, साँपों और गुलाबों के पैटर्न वाले बेहतरीन चांदी के बर्तन बहुत लोकप्रिय हैं। 
उत्तर प्रदेश धर्म ज्ञान एवं सांस्कृतिक विविधताओं से परिपूर्ण राज्य है। 

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