CV Raman - Indian Scientist | भारत रत्न से सम्मानित होने वाले पहले वैज्ञानिक

“I am the master of my failure, if I never fail how will I ever learn?”

ये शब्द उस महान वैज्ञानिक के हैं, जिसके जीवन मे एक ऐसा समय आया था, जब वह विज्ञान छोड़ने पर विवश था। लेकिन भारत माता (भारतीय संस्कृति, इतिहास, धर्म का दर्पण) की पावन धरा पर जन्म लेने वाले हर व्यक्ति मे यह विशेषता है, की वो जो ठान ले, वो कर के ही रहता है। सी वी रमन वही व्यक्ति हैं, जिन्हे विज्ञान मे ही भारत रत्न और नोबेल प्राइज़ दिया गया। तो कैसा था सी वी रमन से ‘Master of Physics’ तक का सफर आईए जानते हैं। 

सीवी रमन - जीवनी | Who is C.V. Raman?

वर्ष 1888, दिनांक 7 नवंबर, दक्षिण भारत के थिरुचिरपल्ली मे जन्म हुआ चंद्रशेखर वेंकट रमन का। उनके पिता का नाम चन्द्रशेखर रामनाथन अय्यर और माता का नाम पार्वती अम्मल था। रमन बचपन से ही पढ़ाई मे तेज़ थे। मात्र 13 साल आयु मे ही उन्होंने 12th क्लास पास कर के सभी को अचंभित कर दिया था। रमन की बुद्धि इतनी तीव्र थी की उन्होंने अपने से बड़ी उम्र के बच्चों को पीछे छोड़ दिया था। फिर उन्होंने 16 वर्ष की आयु मे graduation और 18 वर्ष मे post-graduation पास कर लिया था।

वर्ष 1906 मे उनका पहला scientific पेपर Unsymmetrical Diffraction bands due to a rectangular aperture एक ब्रिटिश जर्नल मे छपा। वर्ष 1907 में, उन्होंने लोकसुंदरी अम्मल से विवाह किया और उनके दो बेटे थे, जिनके नाम चंद्रशेखर और राधाकृष्णन थे। 

About C.V. Raman | सीवी रमन की उपलब्धियाँ / शिक्षा

कॉलेज मे सी.वी. रमन के एक प्रोफेसर उनकी वैज्ञानिक उपलब्धियों से इतने प्रभावित थे, की उन्होंने रमन से अपनी आगे की पढ़ाई इंग्लैंड मे करने का सुझाव दिया। फिर क्या रमन ने विदेश जाने का मन बना लिया। लेकिन नियति के आगे किसी का बस नहीं चलता। विदेश जाने के पहले किये जाने वाले मेडिकल टेस्ट मे पता चला की सी.वी. रमन शारीरक रूप से कमजोर थे, और वो इंग्लैंड की ठंड नहीं सह पाते। ये वही समय था जब एक गुणवान से उसका मूल गुण दूर हो रहा था। चूंकि उस समय वैज्ञानिक करियर में सर्वोत्तम संभावनाएं नहीं थीं, इसलिए वर्ष 1907 मे रमन भारतीय वित्त विभाग (Indian Finance Department) में शामिल हो गए। यह वो समय था जब एक आम इंसान अपने सपनों से समझौता कर लेता, लेकिन रमन कहाँ आम थे। वो तब भी अपने सपनों को साकार करने के लिए मेहनत करते रहे। नौकरी के कारण उनका स्थानांतरण (transfer) कोलकाता मे हुआ, लेकिन उन्होंने विज्ञान को पीछे नहीं छोड़ा। वो दिन मे Indian Finance services मे अपना काम करते थे, और रात मे Indian Association for the cultivation of Science मे अपनी वैज्ञानिक खोज मे व्यस्त रहते। सी.वी. रमन IACS से पेपर छापने वाले पहले व्यक्ति थे। फिर वो समय आया जब रमन की इतने वर्षों की मेहनत और दृढ़ निश्चय ने उनके जीवन मे सकारात्मक प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया था। 

सीवी रमन (भारतीय वैज्ञानिक) योगदान - Discovery of C.V. Raman 

विज्ञान मे अपने योगदान के लिए रमन को वर्ष 1917 में Physics के प्रोफेसर के रूप में कलकत्ता विश्वविद्यालय में शामिल होने का अवसर मिला। लेकिन प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति के लिए उन्हे Ph.d की डिग्री की आवश्यकता थी। जिसके लिए वो इंग्लैंड जाने वाले थे, लेकिन स्वास्थ्य के कारण नहीं जा सके थे। लेकिन इस बार उनका भाग्य उन्हे science से दूर नहीं ले गया। कलकत्ता विश्वविद्यालय के vice chancellor आशुतोष मुखर्जी ने सी वी रमन की प्रतिभा को समझा और सराहा। वर्ष 1921 मे मुखर्जी ने रमन को Honorary Doctorate of Science की degree दी। फिर सी.वी. रमन ने विज्ञान के प्रोफेसर के रूप मे कार्य करना शुरू किया। वर्ष 1926 मे सी वी रमन ने Indian Journal of Physics की शुरुआत की। जिसमे उनका मशहूर article ‘A new radiation’ छपा, और यही से दुनिया को ‘Raman effect’ के बारे मे पता चला। फिर वर्ष 1928 में, उन्होंने Handbuch der Physik के 8वें खंड (volume) के लिए संगीत वाद्ययंत्रों (musical instruments) के सिद्धांत पर एक लेख लिखा। उन्होंने 1922 में ""Molecular Diffraction of Light" पर अपना काम प्रकाशित किया, जिसके परिणामस्वरूप 28 फरवरी, 1928 को radiation effect की उनकी अंतिम खोज हुई। इसी खोज के लिए उन्हे वर्ष 1930 मे physics के नोबेल प्राइज़ (Nobel prize) से सम्मानित किया गया।

ये वही सी.वी. रमन थे जो एक समय पर विदेश नहीं जा सके थे, लेकिन फिर पूरी दुनिया मे भारत देश का नाम रौशन कर रहे थे। कलकत्ता में 15 वर्षों के बाद, वह 1933 से 1948 तक बैंगलोर में भारतीय विज्ञान संस्थान में प्रोफेसर बने और 1948 से, वह बैंगलोर में रमन इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च (Raman Institute of Research) के निदेशक (director) रहे, जिसे उनके द्वारा ही स्थापित और संपन्न किया गया था। 

सीवी रमन के अविष्कार (सीवी रमन के कार्य) - CV Raman Inventions

डॉ. सी.वी. रमन द्वारा की गई बाकी research - diffraction of light by acoustic waves of ultrasonic and hypersonic frequencies और the effects produced by X-rays on infrared vibrations in crystals exposed to ordinary light पर थी। वर्ष 1948 में उन्होंने crystal dynamics की  fundamental problems पर भी research की। उनकी प्रयोगशाला (laboratory)  diamonds की  structure और properties, और pearls, agate, opal, आदि जैसे कई इंद्रधनुषी पदार्थों (iridescent substances) के structure और optical behaviour से भी deal करती थी। सी वी रमन को optics of colloids, electrical and magnetic anisotropy, और the physiology of human vision जैसे विषयों मे भी रूचि थी।  

फिर देश आजाद हुआ और CV Raman को भारत के प्रथम National Professor होने का सम्मान प्राप्त हुआ। फिर आया वर्ष 1954 जब भारत सरकार ने उन्हे भारत रत्न से सम्मानित किया। इतनी उल्लेखनीय उपलब्धियों को प्राप्त करने के बाद भी सी वी रमन ने विज्ञान के लिए अपना काम जारी रखा। वर्ष 1961 मे वो Pontifical Academy of Science के सदस्य बने। उन्होंने अपने समय में लगभग हर भारतीय शोध संस्थान (Indian research institution) के निर्माण में योगदान दिया, इंडियन जर्नल ऑफ फिजिक्स (Indian Journal of Physics) और इंडियन एकेडमी ऑफ साइंसेज (Indian Academy of Sciences) की स्थापना की, और सैकड़ों छात्रों को प्रशिक्षित किया, जिन्हें भारत में विश्वविद्यालयों और सरकार में महत्वपूर्ण पद प्राप्त हुए। 

सी वी रमन को दिए गए पुरस्कार एवं सम्मान-

  • 1924 में, उन्हें रॉयल सोसाइटी के फेलो के रूप में चुना गया और 1929 में उन्हें नाइट की उपाधि दी गई। 
  • वर्ष 1930 मे उन्होंने Physics में नोबेल पुरस्कार जीता।
  • वर्ष 1941 में उन्हें Franklin Medal से सम्मानित किया गया।
  • वर्ष 1954 में उन्हे भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
  • वर्ष 1957 में उन्हें लेनिन शांति पुरस्कार (Lenin Peace Prize) से सम्मानित किया गया।
  • वर्ष 1998 में The American Chemical Society और the Indian Association for the Cultivation of Science ने रमन की खोज को एक International Historic Chemical Landmark के रूप में मान्यता दी।
  • प्रति वर्ष 28 फरवरी को, भारत उनके सम्मान और Raman Effect की खोज की याद में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (National Science Day) मनाता है।

वर्ष 1970 दिनांक 21 नवंबर, Raman Research Institute मे ही सी.वी. रमन ने अपनी अंतिम सांस ली। 

"जयशंकर प्रसाद" जी की पंक्तियाँ हैं की,

वह पथ क्या, पथिक कुशलता क्या, जिस पथ पर बिखरे शूल न हों,
नाविक की धैर्य परीक्षा क्या, जब धाराएं प्रतिकूल न हों!

भारत रत्न डॉ. सी.वी. रमन का जीवन संघर्षों से भरा हुआ था, लेकिन इस देश और विज्ञान के लिए उन्होंने जो भी किया, उसके लिए भारत समन्वय परिवार उनका अभिनंदन करता है।

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