डॉ. बिधान चंद्र राय - चिकित्सक एवं स्वतंत्रता सेनानी | Dr. Bidhan Chandra Roy
जन्म- 1 July 1882 Bankipore
माता-पिता – Prakash Chandra Roy & Aghorkamini Devi
शिक्षा- Patna Collegiate School in 1897
Presidency College, Calcutta
Indian Institute of Engineering Science and Technology
Calcutta Medical College
St Bartholomew's Hospital
मृत्यू – 1 July 1962
डॉ. बिधान चंद्र रॉय: जीवन और योगदान
डॉ बिधान चंद्र रॉय, जिन्होंने 14 वर्षों तक बंगाल के मुख्य मंत्री के रूप मे अपनी सेवाएं प्रदान की, और जिनके जन्मदिन 1 जुलाई को doctor’s day के रूप मे मनाया जाता है। भारत माता द्वारा प्रस्तुत भारत रत्न संग्रह मे आज हम जानेंगे आधुनिक बंगाल के वास्तुकार डॉ बिधान चंद्र रॉय के बारे मे।
भारत रत्न पुरस्कार विजेता बिधान जी डॉक्टर होने के साथ-साथ शिक्षाविद (educationist), समाज सेवी, और स्वतंत्रता सेनानी भी थे। उनके जीवन का एक सिद्धांत था जो उन्हे कलकत्ता विश्व विद्यालय से मिला। वहाँ उन्होंने एक विचार पढ़ा “Whatsoever thy hand findeth to do, do it with thy might” जिसका मतलब था की जो भी काम आपके हाथ लगे उसे पूरी ताकत के साथ करो। इन शब्दों ने उन्हे पूरे जीवन प्रेरणा दी। चिकित्सा क्षेत्र मे पढ़ाई करने के लिए बिधान जी ब्रिटन गए थे। लेकिन वहाँ उनकी application निरस्त कर दी गई थी। पर बिधान जी ने हार नहीं मानी। वो लगातार आवेदन करते रहे और आखिर 30 applications के बाद उन्हे प्रवेश मिल गया। वहाँ उन्होंने honours डिग्री प्राप्त की, और फिर उन्हे Royal Colleges of Physicians और Royal Colleges of surgeons दोनों की fellowship प्राप्त हुई, जो उस समय के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
British medical journal ने डॉ बिधान चंद्र रॉय के बारे मे कहा था, “first medical consultant in the subcontinent of India, who towered over his contemporaries in several fields”. “At his peak, he may have had the largest medical practice in the world, and news of his visit to the city or even a railway station would lead to hordes of patients coming to meet him”.
भारत वापस आने के बाद वो प्रांतीय स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ गए। कहते हैं जैसे ही डॉक्टर बिधान के पास कोई मरीज आता था, वो सिर्फ उसका चेहरा देख कर इलाज बता देते थे। चिकित्सा सेवाओं के साथ-साथ वो कलकत्ता मेडिकल कॉलेज मे पढ़ाने भी लगे। फिर उन्हे कलकत्ता विश्वविद्यालय का vice chancellor नियुक्त किया गया। बिधान जी ने अनेक कॉलेज और संस्थाएं शुरू करने मे अहम योगदान दिया। जैसे की –
Pharmacy college
Jadhavpur TB hospital
Kamala Nehru memorial hospital
Victoria institution
Chitranajan cancer hospital
डॉ रॉय का मानना था की, “Independence from the colonial rule will remain a dream until and unless the people of India are healthy and strong in body and mind”.
चिकित्सा क्षेत्र में उपलब्धियां
जब तक लोग शरीर और मन से सशक्त नहीं होंगे तब तक स्वराज्य एक सपना ही है। ये तब तक नहीं होगा जब तक माताओं के पास अपने बच्चों की देख भाल करने के लिए अच्छा स्वास्थ्य और बुद्धि मत्ता नहीं होगी। इसीलिए बिधान जी ने महिलाओं और बच्चों के लिए चितरंजन सेवा सदन की स्थापना की। महिलाओं मे हिचकिचाहट देखते हुए डॉ रॉय ने महिलाओं के लिए nursing स्कूल खोला। इसी दौरान बिधान जी ने जनता की गरीबी और दुर्दशा को देखा। भारत वासियों के कल्याण के लिए वो चिकिस्ता और शिक्षा के अलावा राजनीति से भी जुड़ गए। बिधान जी के कार्य ऐसे थे की वो राजनीति मे भी सबके प्रिय बन गए और फिर कलकत्ता के मैअर भी बने।
राजनीतिक और सामाजिक सेवाएं
डॉ बिधान चंद्र रॉय की दार्जिलिंग मे गांधीजी से भेंट हुई, और सविनय अवज्ञा आंदोलन मे उन्होंने हिस्सा लिया। स्वतंत्रता के पश्चात बिधान जी को बंगाल का मुख्य मंत्री नियुक्त किया गया। उस समय बंगाल बहुत सी समस्याओं से घिरा हुआ था। लेकिन समय के साथ उन्होंने बंगाल को बदल दिया।
उनका मानना था की, “"WE HAVE THE ABILITY AND IF, WITH FAITH IN OUR FUTURE, WE EXERT OURSELVES WITH DETERMINATION, NOTHING, I AM SURE, NO OBSTACLES, HOWEVER FORMIDABLE OR INSURMOUNTABLE THEY MAY APPEAR AT PRESENT, CAN STOP OUR PROGRESS... (IF WE) ALL WORK UNITEDLY, KEEPING OUR VISION CLEAR
AND WITH A FIRM GRASP OF OUR PROBLEMS.”
फिर वर्ष 1961 मे भारत सरकार ने उन्हे भारत रत्न से सम्मानित किया। भारत रत्न पुरस्कार विजेता डॉ बिधान चंद्र रॉय के लिए जीवन का सर्व श्रेष्ठ कर्तव्य सेवा ही था। अपना पूरा जीवन इस देश और देश वासियों को समर्पित करने वाले डॉ बिधान चंद्र रॉय जी को भारत माता चैनल श्रद्धा सुमन अर्पित करता है।
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