जब भी भारत की धरती पर वीरता और बलिदान की बात होती है, तो परमवीर चक्र का नाम सबसे ऊपर आता है। यह न केवल एक सैन्य अलंकरण है, बल्कि हर भारतीय के दिल में देशभक्ति की भावना को प्रज्वलित करने वाला प्रतीक है। परमवीर चक्र उन सैनिकों को दिया जाता है, जिन्होंने युद्धभूमि में दुश्मनों के सामने अद्भुत साहस, वीरता और आत्म-बलिदान का परिचय दिया है। यह सम्मान न केवल उनकी व्यक्तिगत बहादुरी का, बल्कि पूरे देश की अस्मिता और सुरक्षा का प्रतीक बन चुका है।
परमवीर चक्र: इतिहास और महत्व
· स्थापना: 26 जनवरी 1950 को।
· किसे दिया जाता है: भारतीय थलसेना, नौसेना और वायुसेना के किसी भी रैंक के अधिकारी या जवान को, जो युद्ध के दौरान असाधारण वीरता दिखाए।
· डिज़ाइन: गोलाकार कांस्य पदक, केंद्र में राष्ट्रीय प्रतीक और चारों ओर इंद्र के वज्र की आकृति, बैंगनी रिबन के साथ।
सभी 21 परमवीर चक्र विजेताओं की सूची और उनकी वीरता की कहानियाँ
क्रम |
नाम |
रेजीमेंट/यूनिट |
वर्ष/युद्ध |
वीरता की संक्षिप्त कहानी |
1 |
मेजर सोमनाथ शर्मा (मरणोपरांत) |
4 कुमाऊँ रेजीमेंट |
1947, कश्मीर |
दुश्मन के भारी हमले के बीच अंतिम सांस तक लड़ाई, साथियों को बचाया। |
2 |
नायक जदुनाथ सिंह (मरणोपरांत) |
1 राजपूत रेजीमेंट |
1948, नौशेरा |
अकेले दुश्मन पर हमला, पोस्ट की रक्षा करते हुए शहीद। |
3 |
सेकंड लेफ्टिनेंट राम राघोबा राणे |
बम डिफ्यूज़ल यूनिट |
1948, कश्मीर |
दुश्मन की गोलाबारी में सड़क बनाते हुए टैंक आगे बढ़ाए। |
4 |
कंपनी हवलदार मेजर पीरु सिंह (मरणोपरांत) |
6 राजपूताना राइफल्स |
1948, तिथवाल |
अकेले दुश्मन के बंकर पर हमला करते हुए शहीद। |
5 |
हवलदार अब्दुल हमीद (मरणोपरांत) |
4 ग्रेनेडियर्स |
1965, खेमकरण |
दुश्मन के कई टैंकों को नष्ट किया, शहीद हुए। |
6 |
मेजर धन सिंह थापा |
1/8 गोरखा राइफल्स |
1962, लद्दाख |
पोस्ट की रक्षा में अद्भुत साहस दिखाया। |
7 |
सूबेदार जोगिंदर सिंह (मरणोपरांत) |
1 सिख |
1962, तवांग |
दुश्मन के भारी हमले को रोकते हुए शहीद। |
8 |
लेफ्टिनेंट अरुण खेतरपाल (मरणोपरांत) |
17 पूना हॉर्स |
1971, बसंतर |
टैंक युद्ध में अद्भुत साहस, शहीद। |
9 |
मेजर शैतान सिंह (मरणोपरांत) |
13 कुमाऊँ |
1962, रेजांग ला |
पोस्ट की रक्षा में अद्भुत वीरता, शहीद। |
10 |
नायक करम सिंह |
1 सिख |
1948, तिथवाल |
पोस्ट की रक्षा में कई हमलों को विफल किया। |
11 |
सेकंड लेफ्टिनेंट अरुण खेतरपाल (मरणोपरांत) |
17 पूना हॉर्स |
1971, शकरगढ़ |
टैंक युद्ध में अद्भुत साहस, शहीद। |
12 |
फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों (मरणोपरांत) |
18 स्क्वाड्रन, वायुसेना |
1971, श्रीनगर |
दुश्मन के विमानों से अकेले मुकाबला, शहीद। |
13 |
मेजर होशियार सिंह |
ग्रेनेडियर्स |
1971, शकरगढ़ |
पोस्ट पर कब्जा दिलाने में अद्भुत साहस। |
14 |
लांस नायक अल्बर्ट एक्का (मरणोपरांत) |
14 गार्ड्स |
1971, गंगासागर |
दुश्मन के बंकर पर हमला कर पोस्ट पर कब्जा दिलाया, शहीद। |
15 |
ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव |
18 ग्रेनेडियर्स |
1999, टाइगर हिल, कारगिल |
गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद चोटी पर चढ़कर दुश्मन के बंकर नष्ट किए। |
16 |
राइफलमैन संजय कुमार |
13 जम्मू-कश्मीर राइफल्स |
1999, कारगिल |
अकेले दुश्मन के बंकर पर हमला कर पोस्ट पर कब्जा दिलाया। |
17 |
कैप्टन विक्रम बत्रा (मरणोपरांत) |
13 जम्मू-कश्मीर राइफल्स |
1999, कारगिल |
बिंदु 5140 पर कब्जा करते हुए "ये दिल मांगे मोर" के नारे के साथ शहीद। |
18 |
लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे (मरणोपरांत) |
1/11 गोरखा राइफल्स |
1999, कारगिल |
दुश्मन की चौकियों पर कब्जा करते हुए शहीद। |
19 |
सूबेदार मेजर (मानद कैप्टन) बाना सिंह |
8 जम्मू-कश्मीर लाइट इंफेंट्री |
1987, सियाचिन |
दुश्मन की पोस्ट पर कब्जा कर सियाचिन में भारत का झंडा फहराया। |
20 |
हवलदार भैरों सिंह |
14 राजपूताना राइफल्स |
1971, लोंगेवाला |
दुश्मन के टैंकों को नष्ट किया, पोस्ट की रक्षा की। |
21 |
सूबेदार संदीप उन्नीकृष्णन (मरणोपरांत) |
राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड |
2008, मुंबई |
ताज होटल में आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद। |
भारत के प्रमुख वीरता पुरस्कार और उनकी विशेषताएँ
1. अशोक चक्र
· महत्व: शांति काल में सर्वोच्च वीरता के लिए दिया जाने वाला सम्मान, जैसे आतंकवाद, आपदा या अन्य संकट के समय।
· कुल विजेता: 86 से अधिक
2. महावीर चक्र
· महत्व: युद्ध के दौरान असाधारण साहस के लिए दिया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा सैन्य सम्मान।
· कुल विजेता: 218 से अधिक
3. कीर्ति चक्र
· महत्व: शांति काल में असाधारण साहस के लिए दिया जाने वाला द्वितीय सर्वोच्च सम्मान।
· कुल विजेता: 480 से अधिक
4. वीर चक्र
· महत्व: युद्ध के दौरान विशिष्ट वीरता के लिए दिया जाने वाला तीसरा सबसे बड़ा सैन्य सम्मान।
· कुल विजेता: 1322 से अधिक
5. शौर्य चक्र
· महत्व: शांति काल में विशिष्ट वीरता के लिए दिया जाने वाला तीसरा सबसे बड़ा सम्मान।
· कुल विजेता: 2000 से अधिक
इन पुरस्कारों का महत्व
इन वीरता पुरस्कारों का महत्व केवल एक पदक तक सीमित नहीं है, बल्कि ये देश के नागरिकों को प्रेरित करने, सेना के मनोबल को ऊँचा रखने और राष्ट्र के लिए बलिदान की भावना को प्रोत्साहित करने का कार्य करते हैं। हर पुरस्कार अपने-अपने स्तर पर वीरता की अलग-अलग परिभाषा और मिसाल पेश करता है। परमवीर चक्र जहां युद्ध के मैदान में सर्वोच्च बलिदान की पहचान है, वहीं अशोक चक्र शांति काल में अदम्य साहस का प्रतीक है।
परमवीर चक्र के अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
· अब तक 21 सैनिकों को यह सम्मान मिला है, जिनमें 14 को मरणोपरांत दिया गया।
· सबसे पहले मेजर सोमनाथ शर्मा को 1947-48 के कश्मीर ऑपरेशन में शहीद होने के बाद यह सम्मान मिला।
· पुरस्कार के साथ नकद राशि, पेंशन तथा अन्य सरकारी सुविधाएँ भी दी जाती हैं।
· यह सम्मान राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाता है, और चयन की प्रक्रिया बेहद कठोर है।
परमवीर चक्र की चयन प्रक्रिया: कैसे चुने जाते हैं भारत के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार विजेता
परमवीर चक्र भारत का सर्वोच्च सैन्य वीरता पुरस्कार है, जो युद्ध के दौरान शत्रु के सामने अद्वितीय साहस, वीरता और बलिदान के लिए दिया जाता है। इसकी चयन प्रक्रिया बेहद कठोर, पारदर्शी और कई स्तरों पर आधारित होती है, जिससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि केवल सबसे असाधारण वीरता का प्रदर्शन करने वाले सैनिक ही इस सम्मान के पात्र बनें।
चयन प्रक्रिया की मुख्य चरण
1. योग्यता और नामांकन
· परमवीर चक्र के लिए केवल वे सैनिक पात्र होते हैं, जिन्होंने युद्ध या शत्रु की उपस्थिति में असाधारण वीरता और आत्म-बलिदान का प्रदर्शन किया हो।
· ऐसे वीरता कार्यों के बाद, संबंधित यूनिट के कमांडिंग ऑफिसर द्वारा उस सैनिक का नामांकन किया जाता है। नामांकन के साथ घटना का पूरा विवरण, गवाहों के बयान और अन्य प्रमाण संलग्न किए जाते हैं।
2. प्रारंभिक समीक्षा
· यूनिट स्तर पर नामांकन की समीक्षा होती है, जहां वरिष्ठ अधिकारी यह जांचते हैं कि नामांकित सैनिक का कार्य पुरस्कार के मानकों पर खरा उतरता है या नहीं।
· यदि नामांकन उचित पाया जाता है, तो इसे उच्चतर सैन्य मुख्यालय को भेजा जाता है।
3. रक्षा मंत्रालय को भेजना
· सभी नामांकन रक्षा मंत्रालय के पास भेजे जाते हैं। यहां एक विशेषज्ञ समिति होती है, जिसे केंद्रीय सम्मान एवं पुरस्कार समिति कहा जाता है।
· यह समिति सभी नामांकनों की गहन समीक्षा करती है, जिसमें घटना की गंभीरता, वीरता का स्तर और प्रस्तुत प्रमाणों का मूल्यांकन किया जाता है।
4. समिति द्वारा चयन
· समिति तय मानकों के आधार पर पात्र नामांकनों की अंतिम सूची बनाती है। इसमें केवल उन्हीं नामों को शामिल किया जाता है, जो असाधारण साहस के मापदंडों पर खरे उतरते हैं।
5. राष्ट्रपति की स्वीकृति
· समिति द्वारा तैयार की गई अंतिम सूची राष्ट्रपति के पास भेजी जाती है।
· राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद ही परमवीर चक्र विजेताओं की आधिकारिक घोषणा की जाती है।
6. घोषणा और सम्मान
· विजेताओं के नाम सार्वजनिक किए जाते हैं और उन्हें राष्ट्रपति द्वारा औपचारिक रूप से सम्मानित किया जाता है। अधिकतर मामलों में यह गणतंत्र दिवस या स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर होता है।
चयन प्रक्रिया की खास बातें
· परमवीर चक्र का चयन पूरी तरह से निष्पक्ष और प्रमाण-आधारित होता है।
· यह पुरस्कार मरणोपरांत भी दिया जा सकता है, अर्थात यदि कोई सैनिक वीरगति को प्राप्त हो जाता है, तो भी उनके परिवार को यह सम्मान दिया जाता है।
· यदि कोई सैनिक दो बार असाधारण वीरता दिखाता है, तो उसे ‘रिबैंड बार’ (Riband Bar) से सम्मानित किया जाता है, जो उसके पहले परमवीर चक्र के साथ जोड़ा जाता है।
(FAQs)
1. परमवीर चक्र कब और क्यों स्थापित किया गया था?
परमवीर चक्र 26 जनवरी 1950 को स्थापित किया गया था, ताकि भारतीय सैनिकों की असाधारण वीरता और बलिदान को सम्मानित किया जा सके।
2. अब तक कितने लोगों को परमवीर चक्र मिला है?
अब तक कुल 21 वीरों को यह सम्मान मिला है, जिनमें से अधिकांश को मरणोपरांत दिया गया।
3. परमवीर चक्र किसे दिया जाता है?
यह भारतीय थलसेना, नौसेना और वायुसेना के किसी भी रैंक के अधिकारी या जवान को युद्ध के दौरान अद्भुत साहस दिखाने पर दिया जाता है।
4. क्या परमवीर चक्र के साथ कोई आर्थिक लाभ भी मिलता है?
हां, विजेताओं (या उनके परिवारों) को नकद राशि, पेंशन, और अन्य सरकारी सुविधाएँ दी जाती हैं।
परमवीर चक्र न केवल वीरता का सम्मान है, बल्कि हर भारतीय के लिए गर्व और प्रेरणा का स्रोत भी है। यह उन सैनिकों के अदम्य साहस और बलिदान की गाथा है, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया।
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