Kurukshetra: कुरुक्षेत्र: धर्मक्षेत्र की गौरवशाली गाथा और महाभारत युद्ध के अमर साक्ष्य | Bharat Mata
महाभारत का रणक्षेत्र: कुरुक्षेत्र
चल रहा महाभारत का रण,
जल रहा धरित्री का सुहाग,
फट कुरुक्षेत्र मे फैल रही,
नर के भीतर की कुटिल आग।
भारत की धरती मानव की महान गाथाओं की जननी और परंपराओं की प्रेरणा है। यह भूमि असंख्य धर्मग्रंथों और ऐतिहासिक घटनाओं की साक्षी रही है। धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थल के संदर्भ में आज हम चर्चा करेंगे एक ऐसे पवित्र स्थल की, जिसे ‘ब्रह्म क्षेत्र’, ‘उत्तरोंदेवी’, ‘ब्रह्म देवी’ और ‘धर्म क्षेत्र’ जैसे पावन नामों से जाना जाता है – यह स्थान है कुरुक्षेत्र।
कुरुक्षेत्र का ऐतिहासिक महत्व
कई पुरातात्विक सर्वेक्षणों से यह प्रमाणित हुआ है कि कुरुक्षेत्र हड़प्पा सभ्यता से भी प्राचीन है। इसे पहले थानेसर या स्थानेश्वर कहा जाता था। संस्कृत में 'स्थानेश्वर' का अर्थ "भगवान का स्थान" है। कुरुक्षेत्र न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि ऐतिहासिक रूप से भी भारत के सबसे प्राचीन नगरों में से एक है।
कुरुक्षेत्र: हिंदू धर्म का पवित्र तीर्थ
यह वह भूमि है जहां भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भगवद गीता का उपदेश दिया और जहाँ ऋग्वेद की रचना हुई थी। यही नहीं, मनुस्मृति की रचना भी यहीं पर हुई थी।
कर्नाटक के मैसूर स्थित यड़तोरे मठ के शंकराचार्य योगानंदेश्वर पीठाधिपति शंकर भारती महास्वामी ने कहा था कि कुरुक्षेत्र विश्व की आध्यात्मिक राजधानी है। यही वह स्थान है जहाँ अर्जुन ने भगवान कृष्ण के विराट स्वरूप के दर्शन किए थे।
महाभारत युद्ध की गूंज
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' ने कुरुक्षेत्र के धर्मयुद्ध को इन शब्दों में व्यक्त किया:
धर्मयुद्ध छिड़ गया, स्वर्ग
तक जाने के सोपान लगे,
सद्गतिकामी नर-वीर खड्ग से
लिपट गँवाने प्राण लगे।छा गया तिमिर का सघन जाल,
मुँद गये मनुज के ज्ञान-नेत्र,
द्वाभा की गिरा पुकार उठी,
"जय धर्मक्षेत्र! जय कुरूक्षेत्र!"
कुरुक्षेत्र की भूमि पर हुए धर्मयुद्ध के कारण यह स्थान सनातन संस्कृति का केंद्र बना हुआ है। इस युद्ध से मानवता को जो सबसे बड़ा उपहार मिला, वह था भगवद गीता का ज्ञान, जिसने सम्पूर्ण विश्व को कर्म योग और धर्म का मार्ग दिखाया।
कुरुक्षेत्र के प्रमुख दर्शनीय स्थल
1. ज्योतिसर: गीता उपदेश स्थल
कुरुक्षेत्र का ज्योतिसर वह स्थान है जहां श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया। यह स्थान सनातन धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है।
- यहाँ स्थित वट वृक्ष को वही वृक्ष माना जाता है जो गीता उपदेश का साक्षी रहा था।
- श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को गीता का उपदेश देते हुए संगमरमर के तट पर एक विशाल मूर्ति बनाई गई है।
2. भीष्म कुंड: बाणों की शय्या
कुरुक्षेत्र में स्थित भीष्म कुंड का अत्यंत धार्मिक और पौराणिक महत्व है।
- यही वह स्थान है जहाँ महाभारत के दसवें दिन अर्जुन ने भीष्म पितामह को बाणों की शय्या पर लिटाया था।
- जब भीष्म प्यासे थे, तब अर्जुन ने तीर चलाकर धरती से जल निकाला और उनकी प्यास बुझाई।
3. भद्रकाली मंदिर: 51 शक्ति पीठों में से एक
यह मंदिर भारत के 51 शक्ति पीठों में से एक है।
- मान्यता है कि यहीं पर माता सती का टखना गिरा था।
- इस कारण यह स्थान श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
4. कर्ण का किला: महाभारत कालीन धरोहर
कर्ण का किला कुरुक्षेत्र के प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों में से एक है।
- यह किला महाभारत काल में राजा कर्ण द्वारा बनवाया गया था।
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इसे संरक्षित किया है और यह प्राचीन भारतीय वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है।
निष्कर्ष
कुरुक्षेत्र केवल एक युद्ध स्थल नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों का केंद्र है। यहाँ की भूमि महाभारत के अद्भुत क्षणों को सहेजे हुए है और आज भी हर सनातनी के लिए श्रद्धा का स्थल बनी हुई है।
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