क्या सच में हर रात Omkareshwar में भगवान शिव सोते हैं? || Omkareshwar Mandir रहस्य || Bharat Mata

क्या आपने कभी ऐसे स्थान के बारे में सुना है जहाँ हर रात भगवान शिव स्वयं आकर सोते हैं? क्या सच में कोई ऐसा मंदिर हो सकता है जहाँ शिव और पार्वती रात्रि में चौसर खेलते हों और सुबह खेल के पासे बिखरे मिलें? क्या आप जानते हैं कि नर्मदा नदी के किनारे एक ऐसा द्वीप है, जिसका आकार ‘ॐ’ के समान है और जिसे भगवान शिव का निवास माना जाता है? क्या यह सच है कि यहां जल चढ़ाए बिना आपकी तीर्थ यात्रा अधूरी मानी जाती है? क्या आप तैयार हैं उस रहस्यमयी और दिव्य स्थान की कहानी जानने के लिए जहाँ हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है?

जानिए और भी ऐसे पवित्र स्थलों के बारे में: Bharat Mata - Dharmik Sthal

ओंकारेश्वर मंदिर का धार्मिक महत्व

मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में ॐ के आकार में बने द्वीप पर स्थित ओंकारेश्वर मंदिर का क्या धार्मिक महत्व है और महाशिवरात्रि पर यहां पर पूजा करने पर क्या फल मिलता है, जानने के लिए विडिओ अंत तक जरूर देखें।

वीडियो देखें: Bharat Mata YouTube Channel

द्वादश ज्योतिर्लिंगों में ओंकारेश्वर का स्थान

भगवान शिव से जुड़े द्वादश ज्योतिर्लिंगों में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का चौथा स्थान आता है। यहां पर महादेव नर्मदा नदी के किनारे ॐ के आकार वाली पहाड़ पर विराजमान हैं।

प्रमुख मान्यताएं और चमत्कार

हिंदू धर्म में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिग को लेकर कई मान्यताएं हैं।

  • सबसे बड़ी मान्यता ये है कि भगवान भोलेनाथ तीनों लोक का भ्रमण करके प्रतिदिन इसी मंदिर में रात को सोने के लिए आते हैं।

  • यह भी मानना है कि इस पावन तीर्थ पर जल चढ़ाए बिना मनुष्य की सारी तीर्थ यात्राएं अधूरी मानी जाती है।

ओंकारेश्वर मंदिर की आरती और रहस्य

उज्जैन स्थिति महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की भस्म आरती की तरह ओंकारेश्वर मंदिर की शयन आरती विश्व प्रसिद्ध है। वैसे ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में भगवान शिव की सुबह, मध्य और शाम को तीन प्रहरों की आरती होती है। मान्यता है कि रात्रि के समय भगवान शिव यहां पर प्रतिदिन सोने के लिए लिए आते हैं।

महादेव और पार्वती का चौसर खेल

मान्यता यह भी है कि इस मंदिर में महादेव माता पार्वती के साथ चौसर खेलते हैं।
रात्रि के समय यहां पर चौपड़ बिछाई जाती है और आश्चर्यजनक तरीके से जिस मंदिर के भीतर रात के समय परिंदा भी पर नहीं मार पाता है, उसमें सुबह चौसर और उसके पासे कुछ इस तरह से बिखरे मिलते हैं जैसे रात्रि के समय उसे खेला हो।

मांधाता पर्वत की कथा

माना जाता है कि पुराने समय में ओंकारेश्वर मंदिर वाली पहाड़ी पर एक मांधाता नाम के राजा ने तप किया था। इस पर्वत को मांधाता पर्वत भी कहते हैं। राजा के तप से भगवान शिव प्रसन्न हुए और यहां प्रकट हुए। इसके बाद राजा ने शिव जी से वरदान मांगा कि वे अब से यहीं वास करें। शिव जी अपने भक्त की इच्छा पूरी करने के लिए ज्योति स्वरूप में यहां स्थापित शिवलिंग में समा गए।

ममलेश्वर मंदिर का संबंध

ओंकारेश्वर के साथ ही यहां के ममलेश्वर मंदिर में दर्शन-पूजन करने की परंपरा है।

ओंकारेश्वर मंदिर की वास्तुकला

ओंकारेश्वर मंदिर में नक्काशीदार पत्थरों के करीब 60 बड़े-बड़े खंभे हैं। ये मंदिर पांच मंजिला है। पांचों मंजिलों पर अलग-अलग देवी-देवताओं के मंदिर हैं। ओंकारेश्वर लिंग के ऊपर महाकालेश्वर मंदिर भी है। ठीक इसी तरह उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के ऊपर ओंकारेश्वर मंदिर स्थित है। इस वजह से ओंकारेश्वर में दर्शन करने से भक्तों को महाकालेश्वर दर्शन का पुण्य लाभ भी मिल जाता है।

परमार राजाओं का योगदान

माना जाता है कि पुराने समय में मालवा के परमार राजाओं ने ओंकारेश्वर मंदिर का जिर्णोद्धार कराया और मंदिर को भव्य बनाया था।

आध्यात्मिक महत्व: “ॐ” के आकार का द्वीप

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग जिस द्वीप पर स्थित है, उसका आकार पवित्र हिंदू प्रतीक “ॐ” जैसा है, जो इसके आध्यात्मिक महत्व को बढ़ाता है। यहां स्थित भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही कई मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। ओंकारेश्वर धाम किसी मोक्ष स्थल से कम नहीं है।

भारत माता परिवार का उद्देश्य

Bharat Mata परिवार का प्रयास है कि हमारे पवित्र पावन तीर्थों की महत्ता और पावनता का संदेश जन जन तक प्रेषित हो और इनमें निहित मानव कल्याण के संदेशों से भावी पीढ़ियां प्रेरित एवं लाभान्वित हों।

अधिक जानें: Bharat Mata Official Website