मथुरा: भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमि, धार्मिक और ऐतिहासिक नगर

मथुरा: एक धार्मिक और ऐतिहासिक नगर

मथुरा उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्रमुख शहर है, जो भारतीय संस्कृति और इतिहास का अहम हिस्सा है। यह नगर यमुना नदी के किनारे बसा हुआ है और हिंदू धर्म में भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमि के रूप में प्रसिद्ध है। मथुरा का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व अत्यधिक है, जिसे पूरी दुनिया में सम्मान और श्रद्धा से देखा जाता है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

मथुरा का इतिहास अत्यंत प्राचीन है और इसे हिंदू पुराणों में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। इसे महाभारत और रामायण में भी उल्लेखित किया गया है। मथुरा को पहले "मधुपुरी" या "मधुनगरी" के नाम से जाना जाता था। पुराणों के अनुसार, मथुरा शूरसेन जनपद का हिस्सा था और यहीं भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। इसके अलावा, मथुरा का संबंध अनेक ऐतिहासिक घटनाओं से भी है, जिसमें मौर्य, गुप्त और अन्य प्राचीन शासकों के समय की महत्वपूर्ण घटनाएं शामिल हैं।

मथुरा में भगवान श्री कृष्ण के जन्म से जुड़ी अनेक कथाएं प्रचलित हैं, जो इसे तीर्थस्थल और पर्यटन स्थल का दर्जा प्रदान करती हैं। यहाँ भगवान कृष्ण के जन्म के समय की अनेक मूर्तियाँ और स्थल हैं, जो श्रद्धालुओं के लिए पवित्र माने जाते हैं।

धार्मिक महत्व

मथुरा को भगवान कृष्ण की जन्मभूमि के रूप में अत्यधिक महत्व प्राप्त है। यहाँ स्थित श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर में भगवान कृष्ण के जन्म के समय के प्रतीक रूप में मूर्तियाँ और अन्य धार्मिक प्रतीक प्रदर्शित किए जाते हैं। इस मंदिर को करोड़ों श्रद्धालु श्रद्धा और आस्था के साथ दर्शन करने आते हैं, खासकर जन्माष्टमी के समय यह स्थान विशेष रूप से भीड़-भाड़ वाला रहता है।

मथुरा का धार्मिक महत्व सिर्फ कृष्ण जन्मभूमि तक सीमित नहीं है, बल्कि यहां स्थित अनेक अन्य मंदिर भी इस नगर को धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बनाते हैं। जैसे:

  • द्वारकाधीश मंदिर: यह भगवान कृष्ण को समर्पित एक प्रमुख मंदिर है। इस मंदिर का वास्तुशिल्प अत्यधिक आकर्षक है और यह मथुरा में एक प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में प्रतिष्ठित है।

  • गोविंद देव जी मंदिर: यह मंदिर भगवान कृष्ण के एक रूप को समर्पित है और इसकी मूर्तियाँ भक्तों के बीच प्रसिद्ध हैं।

  • वृंदावन: मथुरा से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह स्थान भगवान कृष्ण के बाल्यकाल का महत्वपूर्ण स्थल है। यहाँ स्थित बैंके बिहारी मंदिर, राधा रमण मंदिर जैसे मंदिर कृष्ण और राधा के प्रेम को दर्शाते हैं।

सांस्कृतिक महत्व

मथुरा का सांस्कृतिक महत्व भी अत्यधिक है। यह नगर भारतीय कला और संस्कृति का अहम केंद्र रहा है। मथुरा स्कूल ऑफ आर्ट की मूर्तियाँ और चित्रकला आज भी भारतीय कला में अद्वितीय मानी जाती हैं। यहाँ की मूर्तिकला मौर्य काल से लेकर गुप्त काल तक के विभिन्न शैलियों को दर्शाती है। मथुरा से प्राप्त यक्ष और यक्षिणी की मूर्तियाँ भारतीय कला की उत्कृष्टता को प्रदर्शित करती हैं।

मथुरा में आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी विशिष्ट महत्व है। यहाँ की होली, विशेष रूप से लठमार होली, विश्वभर में प्रसिद्ध है। होली के दौरान लोग मथुरा और वृंदावन में एकत्रित होते हैं और रंगों के साथ भगवान कृष्ण और राधा की पूजा करते हैं। इसके अलावा, कृष्ण जन्माष्टमी भी यहाँ बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है।

पर्यटन स्थल

मथुरा न केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। यहाँ आने वाले पर्यटकों के लिए कई आकर्षक स्थल हैं। प्रमुख पर्यटन स्थलों में शामिल हैं:

  • गोवर्धन: मथुरा से लगभग 22 किलोमीटर दूर स्थित यह स्थान भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की घटना से जुड़ा हुआ है। यहां परिक्रमा करने से पुण्य प्राप्त होता है।

  • बरसाना: यह राधा रानी का जन्म स्थान है और यहाँ हर वर्ष लठमार होली का आयोजन किया जाता है। यह स्थान भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

  • वृंदावन: यह स्थान कृष्ण की बाल्यावस्था और राधा के साथ उनके प्रेम से जुड़ा हुआ है। यहाँ स्थित विभिन्न मंदिर और कृष्ण-राधा की लीलाओं से संबंधित स्थल पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

आर्थिक और सामाजिक स्थिति

मथुरा की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि, पर्यटन, और कुटीर उद्योगों पर निर्भर है। यहाँ के प्रमुख कृषि उत्पादों में गेहूं, धान, मक्का, दालें और दूध शामिल हैं। मथुरा का दूध और दूध से बने उत्पाद, जैसे माखन, पेड़ा, दही, आदि विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं। ये उत्पाद न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी निर्यात किए जाते हैं।

कुटीर उद्योगों में भगवान कृष्ण की मूर्तियाँ, मंदिरों में इस्तेमाल होने वाली सजावट और अन्य धार्मिक सामग्री का निर्माण किया जाता है। इन उत्पादों की मांग देश-विदेश में बनी रहती है।

निष्कर्ष

मथुरा, न केवल एक तीर्थ स्थल है, बल्कि भारतीय संस्कृति, कला और इतिहास का भी महत्वपूर्ण केंद्र है। यह नगर भगवान कृष्ण के जन्मस्थल के रूप में प्रसिद्ध है और यहां की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर आज भी लोगों के दिलों में बसी हुई है। मथुरा का महत्व सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि भारतीय सभ्यता के प्रतीक के रूप में भी है। यह नगर हर उम्र, वर्ग और धर्म के व्यक्ति को आकर्षित करता है और उनकी आत्मिक शांति और आनंद के लिए एक आदर्श स्थान है।