मथुरा - भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता का केंद्र
भगवान कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा यमुना नदी के किनारे बसा हुआ है. इसे धर्मनगरी भी कहते हैं. यह देश की प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है. मथुरा भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता का केंद्र रहा है. भारतीय धर्म, दर्शन कला एवं साहित्य के निर्माण तथा विकास में मथुरा का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है |
भगवान कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा यमुना नदी के किनारे बसा हुआ है। इसे धर्म नगरी भी कहते हैं। यह देश के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। मथुरा के धार्मिक स्थल देश और विदेशों में मशहूर है। इनमें बांके बिहारी मंदिर, इस्कॉन मंदिर, ठकुरानी घाट, निधिवन, प्रेम, मंदिर, रामघाट आदि शामिल है। प्रत्येक एकादशी और अक्षय नवमी को मथुरा में परिक्रमा होती है। देव सैनी और देव उठानी एकादशी को मथुरा गरुड़ गोविंद वृंदावन की एक साथ परिक्रमा की जाती है। यह परिक्रमा 21 को सी या तीन वन की भी कही जाती है। भारतीय धर्म दर्शन कला एवं साहित्य के निर्माण तथा विकास में मथुरा का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। महाकवि सूरदास संगीत के आचार्य स्वामी हरिदास स्वामी दयानंद के गुरु स्वामी विरजानंद कवि रसखान। आदि का नाम भी मथुरा से जुड़ा है। ब्रज में कई लाइन शायरियां प्रचलित हैं। रसिया ब्रज की प्राचीनतम गाय की कला है। भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं से संबंधित पद रसिया आदि गायकी के साथ-साथ रासलीला का आयोजन भी यहां होता है। धर्म के अलावा मथुरा के छोटे-बड़े उद्योग भी मथुरा की पहचान है। मथुरा में सैनिटरी फिटिंग के सामानों का निर्माण होता है। इस जिले में लगभग 50 सुक्त एवं लघु उद्योग सैनिटी फिटिंग के उत्पादन में शामिल हैं। यहां के कुटीर उद्योगों में भगवान श्रीकृष्ण की साज-सज्जा संबंधी उत्पाद साधू सन्यासियों द्वारा प्रयोग की जाने वाली कंट्री मालाओं का निर्माण प्रमुख है। मथुरा में वर्ष भर इन उत्पादों की मांग बनी रहती है।
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