पवित्र और रहस्यमय कैलाश पर्वत के राज - Mount Kailash Mystery |Bharat Mata
कैलाश पर्वत एक प्रमुख धार्मिक स्थल है इस पर्वत को 'शिव कैलाश' भी कहा जाता है हिन्दू धर्म मे कैलाश पर्वत को महादेव का घर माना जाता है। कहते हैं की भगवान शिव और माँ पार्वती यहाँ विराजित हैं। इस पर्वत की जितनी धार्मिक महत्वता है, यह उतना ही पवित्र और रहस्यमय भी है। हमारी पृथ्वी के एक तरफ उत्तरी ध्रुव है दूसरी तरफ दक्षिणी ध्रुव, और इन दोनों ध्रुवों के मध्य में है हिमालय और हिमालय का केंद्र है Mount kailash। यह एक ऐसा केंद्र है जिसे एक्सिस मुंडी भी कहा जाता है। एक्सिस मुंडी अर्थात दुनिया की नाभि। यह आकाश और धरती के मध्य का बिन्दु है जहाँ सभी दिशाएं मिल जाती हैं।
कैलाश पर्वत पर कोई क्यों नहीं चढ़ा?
कैलाश पर्वत की ऊंचाई 6600 मीटर से अधिक है, जो दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एवरेस्ट से लगभग 2200 मीटर कम है। परंतु माउंट एवरेस्ट पर अब तक 7 हजार से अधिक लोग चढ़ाई कर चुके हैं लेकिन कैलाश पर्वत आज भी अजेय है। अनेक प्रयासों के पश्चात भी अभी तक कोई भी कैलाश पर्वत पर नहीं चढ़ सका है। कई पर्वतारोहियों का दावा है कि कैलाश पर्वत पर चढ़ना असंभव है। “रूस के एक पर्वतारोही, सरगे सिस्टियाकोव ने बताया कि, 'जब मैं पर्वत के बिल्कुल पास पहुंच गया तो मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा। मैं उस पर्वत के बिल्कुल सामने था, जिस पर आज तक कोई नहीं चढ़ सका। अचानक मुझे बहुत कमजोरी महसूस होने लगी और मन में ये ख्याल आने लगा कि मुझे यहां और नहीं रुकना चाहिए। उसके बाद जैसे-जैसे हम नीचे आते गए, मन हल्का होता गया” कैलाश पर्वत पर चढ़ने की आखिरी कोशिश वर्ष 2001 में की गई थी। जब चीन ने स्पेन की एक टीम को कैलाश पर्वत पर चढ़ने की अनुमति दी थी।
कैलाश पर्वत की चढ़ाई पर रोक का मुख्य कारण:-
यति के साक्ष्य | यह यति कौन है
समस्त संसार मे कैलाश पर्वत को एक प्रमुख धार्मिक स्थल माना गया है, इसलिए इस पर्वत की चढ़ाई पर रोक लगा दी गई। इस प्रतिबद्धता का एक कारण यति मानव भी हैं। जी सही सुना आपने, यति मानव जिन्हे लोग कल्पना मे ही जीवित मानते हैं। कहते हैं की यति मानव कैलाश पर्वत पर मिलते हैं। कुछ लोग इन्हे जंगली मानव कहते हैं तो कुछ लोग हिम मानव। यति मानवों को लेकर सभी के मन मे यह धारणा है की ये जीवित व्यक्ति को मार कर खा जाते हैं। अब इस तथ्य मे कितना सत्य है, कितनी मिथ्या यह प्रमाणित नहीं है। कुछ लोग तो यह भी मानते हैं की यति मानव मात्र कैलाश पर्वत की रक्षा करते हैं।
कैलाश पर्वत झीलों का रहस्य
कैलाश पर्वत वहाँ स्थित सरोवरों के लिए भी अत्यंत प्रसिद्ध है। यहाँ मुख्यतः दो सरोवर हैं। पहला - मानसरोवर, जिसका आकार सूर्य के समान है, और जिसे शुद्ध पानी की उच्चतम झीलों मे से एक माना जाता है। दूसरी राक्षस नामक झील है जो चंद्र के आकार की है, यह झील खारे पानी की उच्चतम झीलों मे से एक है। ये दोनों सरोवर सूर्य और चंद्रमा को प्रदर्शित करते है, वास्तव मे ये सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक हैं। यही कारण है की मानसरोवर झील के दर्शन के लिए लोगों का गढ़ जाता है, परंतु राक्षस झील के पास कोई नहीं जाता। राक्षसताल के बारे में यह आस्था है कि यह रावण से सम्बन्धित है, कहते हैं इस ताल के तट पर रावण ने महादेव की आराधना की थी, जिस कारणवश इसे रावणताल भी कहते हैं। जहाँ मानसरोवर का पानी मीठा है, वहाँ राक्षसताल का खारा है। कहते हैं की मानसरोवर झील के निकट जाने पर “डमरू”, या “ॐ” की ध्वनि आती रहती है। वैज्ञानिक मतों के अनुसार यह बर्फ के पिघलने की आवाज होती है। लोगों की माने तो इन झीलों का निर्माण आज भी एक रहस्य है।
कहते हैं की इस पर्वत पर समय अत्यंत शीघ्रता से बढ़ता है। इस पर्वत की चढ़ाई करने वाले लोगों का कहना है की यहाँ पर चढ़ाई करते समय उन्हे यह आभास हो रहा था की उनके नाखून, बाल यहाँ तक आयु भी तेजी से बढ़ रही है। इस तथ्य का वैज्ञानिक कारण क्या है यह आज तक कोई नहीं जानता।
Mount kailash की चार दिशाओं से चार नदियों का उद्गम होता है, जिनका नाम ब्रमहपुत्र, सतलज, करनाली, और सिंधु है। कैलाश की चार दिशाओं मे चार जानवरों के मुख हैं, पश्चिम मे हाथी का मुख है, पूरब मे अश्व का, उत्तर मे सिंह का मुख है तो वहीं दक्षिण मे मोर का।
कैलाश पर्वत की वास्तविकता क्या है?
एक तथ्य यह भी है की कभी-कभी Mount kailash पर सात रंगों की रौशनियाँ चमकती हुई दिखती हैं। वैज्ञानिक कहते हैं की यह चुंबकीय बल के कारण होता है परंतु वास्तविकता क्या है यह आज भी अज्ञात है।
तो ये थी कैलाश पर्वत के रहस्यों की कहानी। सबस्क्राइब करिए भारत माता चैनल और जानिए ऐसे अन्य धार्मिक स्थलों के रहस्यों बारे मे।
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