लाल किला सिर्फ लाल पत्थर से बनी कोई इमारत नहीं है | History of Red Fort | Facts About Lal Qila

लाल किला एक ऐसी जगह जिसका नाम सुनते ही प्रत्येक भारतीय के मानस में एक लाल इमारत उभरती है। जिसकी प्राचीर पर भारत का राष्ट्रीय ध्वज पूरे गर्व के साथ फहरा रहा होता है। लाल किला यानी एक ऐसी जगह जिसका इतिहास मुगल काल से शुरू होकर अंग्रेजों के शासन और फिर उस शासन को जड़ से उखाड़ फेंकने वाले स्वाधीनता संग्राम आंदोलन से जुड़ता है। 

लाल किले का निर्माण और वास्तुकला

राजधानी दिल्ली में स्थित भारतीय और मुगल वास्तु शैली से बने इस भव्य ऐतिहासिक कलाकृति लाल किला का निर्माण पाँचवे मुगल शासक शाहजहां ने करवाया था। लाल किले की नींव 16 अप्रैल 1838 में रखी गई थी। करीब एक दशक में तैयार होने वाली इस इमारत को बनाने में कुल एक करोड़ रुपए खर्च हुआ था। यह शाही किला सभी मुगल बादशाहों का राजनीतिक केंद्र हुआ करता था, जिस पर करीब 200 सालों तक मुगल वंश के शासकों का राज रहा था। 

लाल किले का इतिहास 

मुगल काल में लाल किला को किला-ए-मुबारक के नाम से जाना चाहता था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अनुसार इस इमारत के कई हिस्से चूना पत्थर से बनाए गए थे, जिसकी वजह से इसका असली रंग अलग था। वक्त के साथ जब किले के कई हिस्से खराब होकर गिरने लगे तो ब्रिटिश सरकार ने किले को लाल रंग से रंगवा दिया। इसी वजह से बाद में इसे लाल किला कहा जाने लगा। लाल किला मुगल बादशाह शाहजहां की नई राजधानी शाहजहानाबाद का महल था। देश की जंगे आजादी का गवाह रहा, लाल किला, मुगलकालीन वास्तुकला, सृजनात्मकता और सौंदर्य का अनुपम और अनूठा उदाहरण है। लाल किले का निर्माण पारसी, यूरोपीय और भारतीय कला के संयोजन को दर्शाता है जिसके परिणाम स्वरुप शाहजहानी शैली का विकास हुआ। 

लाल किले की प्रमुख इमारतें 

लाल किले में कई प्रमुख इमारतें हैं। दीवाने आम और दीवाने खास के अलावा मोती मस्जिद, हीरा महल, रंग महल, खास महल और हयात वक्ष बाघ समेत 15 प्रमुख स्थल है। खास वास्तुकला को दर्शाती ये इमारतें दर्शकों को आकर्षित करती हैं।

ब्रिटिश शासन और स्वतंत्रता संग्राम

मुगल सल्तनत के पतन और 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेजों ने इस किले में आर्मी हेड क्वार्टर बना लिया। लाल किले में रहने वाले आखिरी मुगल बहादुर शाह द्वितीय थे। 1857 के विद्रोह में लाल किले और बहादुर शाह द्वितीय का भी योगदान था। जब 1897 की क्रांति असफल रही तब अंग्रेजों ने बहादुर शाह द्वितीय को गिरफ्तार कर यहां एक बंदी के रूप में रखा। अंग्रेज यहां रखे सभी कीमती सामानों को लूट कर ले गए। यहां तक कि उन्होंने यहां बने ज्यादातर महलों, इमारतों और बगीचों को नष्ट कर दिया। दुनिया का सबसे बड़ा कोहिनूर हीरा भी एक वक्त पर इसी इमारत में रखा हुआ था। दरअसल शाहजहां जिस तख्त पर बैठा करते थे, ये हीरा उसी मे लगा हुआ था। उनका सिंहासन सोने से बना हुआ था, और उसपर बेहद कीमती पत्थर लगे हुए थे। अंग्रेजों के कब्जे के बाद कोहिनूर हीरा ब्रिटेन भेज दिया गया था। लाल किले मे कई सैन्य बैरीकें भी हैं, जिन्हे अंग्रेजों ने बनाया था। लाल और सफेद बलुआ पत्थर से निर्मित ये बैरक औपनिवेशिक वास्तुकला के बेहतरीन नमूने हैं। इनमे से कुछ बैरकों को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के सहयोग से संग्रहालयों और कला दीर्घाओं मे बदल दिया। 

स्वतंत्रता दिवस पर लाल किला पर ध्वजारोहण 

15 अगस्त 1947 को जवाहरलाल नेहरू ने प्रिन्सेस पार्क मे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया था। लाल किले पर ध्वजारोहण इस बात का प्रतीक था की भारत ने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से किले को प्राप्त कर भारत की संप्रभुता एवं पहचान को पुनः प्राप्त कर लिया है। इसके बाद हर साल स्वतंत्रता दिवस पर भारतीय प्रधान मंत्री गेट के प्राचीर से राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं। प्रत्येक देशवासी को गौरवान्वित करते ये क्षण लाल किले को देश के सबसे महत्वपूर्ण स्मारकों मे से एक बनाते हैं। भारत की जंग-ए-आजादी का गवाह रह चुका लाल किला दुनिया भर मे अपनी भव्यता और आकर्षण की वजह से मशहूर है। ये अपनी बेहतरीन कारीगरी और शानदार बनावट के लिए विश्वभर मे जाना जाता है।

भारत समन्वय परिवार आप सभी को भारतीय इतिहास एवं संस्कृति से परिचित कराने के लिए बहुत सारी जानकारियाँ लेकर आता रहा है और आगे भी आता रहेगा। 

See More: Bharat Mata Channel