सबरीमाला मंदिर | Sabarimala Ayyappa Temple - Religious Place

कहां स्थित है - सबरीमाला मंदिर (Sabarimala Ayyappa Temple)

भारतीय राज्य केरल में सबरीमाला  में अय्यप्पा स्वामी का प्रसिद्ध मंदिर है जहां विश्व भर से लोग शिव के पुत्र के मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं। इस मंदिर के पास मकर संक्रांति की रात घने अंधेरे में रह रहकर एक ज्योति देखती है। इस ज्योति के दर्शन के लिए दुनिया भर से करोड़ों श्रद्धालु हर साल यहां आते हैं।

सबरीमाला मंदिर(Sabarimala Temple History) 

सबरीमाला का नाम शबरी के नाम पर पड़ा है। वहीं शबरी जिसने भगवान राम को झूठे फल खिलाए थे और राम ने उसे नवधा भक्ति का उपदेश दिया था। बताया जाता है कि जब जब यह रोशनी दिखती है, इसके साथ चोर भी सुनाई देता है। भक्त मानते हैं कि यह दीपज्योति है और भगवान इसे जलाते हैं। मंदिर प्रबंधन के पुजारियों के मुताबिक मकर माह के पहले दिन आकाश में दिखने वाले इतिहास तारा मकर ज्योति है। अय्यप्पा ने शेर और वैष्णव के बीच एकता कायम कि उन्होंने अपने लक्ष्य को पूरा किया था और सबरीमाला में उन्हें दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। यह मंदिर पश्चिमी घाटी में पहाड़ियों की श्रंखला शहजादी के बीच में स्थित है। घने जंगलों की पहाड़ियों और तरह-तरह के जानवरों को पार करके यहां पहुंचना होता है। इसीलिए यहां अधिक दिनों तक कोई ठहरता नहीं है। यहां आने का इतिहास मौसम और समय होता है जो लोग यहां तीर्थ यात्रा के उद्देश्य से आते हैं। उन्हें 41 दिनों का कठिन व्रत आम का पालन करना होता है। तीर्थ यात्रा में श्रद्धालुओं को ऑक्सीजन से लेकर प्रसाद के प्रीपेड कूपन तक उपलब्ध कराए जाते हैं। मंदिर 914 मीटर की ऊंचाई पर है और केवल पैदल ही वहां पहुंचा जा सकता है। चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ यह मंदिर केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से 150।किलोमीटर दूर पहाड़ियों पर स्थित धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थल है।

इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 18 पावन चिड़ियों को पार करना पड़ता है जिनके अलग-अलग अर्थ भी बताए गए हैं। पहली पांच पीढ़ियों को मनुष्य की पांच इंद्रियों से जोड़ा जाता है। इसके बाद वाली आठ चिड़ियों को मानवीय भावनाओं से जुड़ा जाता है। अगली तीन सीढ़ियों को मानवीय गुण और आखिरी दो चिड़ियों को ज्ञान और अज्ञान का प्रतीक माना गया है। इसके अलावा यहां आने वाले श्रद्धालु सिर पर पोटली रखकर ऊपर पहुंचते हैं। यह पोटली नैवेद्य यानि भगवान को चढ़ाए जाने वाली चीजे झुनी प्रसाद के तौर पर पुजारी घर ले जाने को देते हैं। से भरी होती हैं। यहां मान्यता है कि तुलसी या रुद्राक्ष की माला पहनकर व्रत रखकर और सिर पर नैवेद्य कर जो भी व्यक्ति आता है, उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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