सारनाथ का इतिहास और दर्शनीय स्थल
वो भूमि.. जहाँ धर्म.. परम्पराओं.. आचार-विचार.. भाषाओँ आदि में अनेकता होते हुए भी.. विशाल समावेशी संस्कृति दृष्टव्य है.. वो अलौकिक भूमि – भारत भूमि है। यही अनेकता में एकता तथा विभिन्नता का समावेशन भाव.. भारत को सम्पूर्ण विश्व में अद्वितीय एवं महान देश के रूप में सुशोभित करता है।
भारत की इसी अद्भुत विविधता एवं महानता में बहुमूल्य योगदान के लिए.. सारनाथ.. सम्पूर्ण विश्व में प्रसिद्ध है। भारत के सर्वाधिक जनसँख्या वाले राज्य.. उत्तरप्रदेश में स्थित सारनाथ.. शांति एवं सौन्दर्य से परिपूर्ण नगर है.. जिसमें कई बौद्ध स्तूप.. संग्रहालय.. प्राचीन स्थल और सुंदर मंदिर हैं। अपनी रहस्यमयी एवं शांतियुक्त आभा तथा आस्था के कारण.. ये ऐतिहासिक स्थल.. पर्यटकों के लिए अत्यधिक आश्चर्य और विस्मय का स्रोत सिद्ध होते हैं।
विविध क्यारियों से सुसज्जित उद्यान रुपी भारत में.. सारनाथ दिव्य पुष्प के समान समस्त मानवजाति को अपनी ओर आकर्षित करता है। भारत की आध्यात्मिक राजधानी.. वाराणसी के निकट स्थित सारनाथ.. प्रसिद्ध प्राचीन बौद्ध तीर्थ स्थल है। प्राचीन काल में यहाँ सघन वन था.. जहाँ मृग-विहार किया करते थे तथा ऋषि-मुनि तपस्या करते थे। इसी कारण सारनाथ को 'ऋषिपत्तन' तथा 'मृगदाय' की संज्ञा भी अर्जित है। सारनाथ का आधुनिक नामकरण.. ‘सारंगनाथ’ अर्थात मृगों के नाथ.. जिसका तात्पर्य गौतम बुद्ध से है.. उनके आधार पर हुआ। प्रसिद्ध भारतीय पुरातत्ववेत्ता दयाराम साहनी के अनुसार भगवान शिव को भी पौराणिक साहित्य में सारंगनाथ कहा गया है तथा महादेव शिव की नगरी काशी की समीपता के कारण.. यह स्थान शिवोपासना की भी स्थली बन गया। वर्तमान में इस तथ्य की पुष्टि करता.. सारंगनाथ महादेव नामक शिवमंदिर.. हिन्दुओं के लिए एक पवित्र स्थल है.. जहाँ सावन माह में मेले का आयोजन होता है।
प्राकृतिक सौन्दर्य तथा मानव-निर्मित ऐतिहासिक स्थलों का अद्भुत संगम.. सारनाथ.. हिंदू.. बौद्ध और जैन संस्कृतियों का समन्वित गंतव्य है। ऐतिहासिक मान्यता है कि सारनाथ वो स्थान है.. जहां महात्मा गौतम बुद्ध ने सर्वप्रथम धर्म की शिक्षा दी थी.. जिसके पश्चात् बौद्ध संघ की उत्पत्ति हुई।
ज्ञान प्राप्त करने के पश्चात.. भगवान बुद्ध द्वारा प्रथम उपदेश यहाँ दिए जाने के कारण.. सारनाथ.. बौद्धों के चार सर्वाधिक पवित्र स्थानों में से एक है। इतिहास में इस घटना को धर्म चक्र प्रवर्तन के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त है। सारनाथ जैन धर्म के लिए भी अत्यधिक पवित्र स्थल है.. सारनाथ के निकट सिंहपुर नामक ग्राम है.. जहाँ ग्याहरवें तीर्थंकर श्रेयांसनाथ का जन्म हुआ था।
सारनाथ की अधिकांश वास्तुकलाएं.. देश पर आक्रमण करने वाले तुर्कों द्वारा नष्ट कर दी गई थीं.. किन्तु कुछ ऐसी भी हैं.. जो कालखंड की सीमाओं से बद्ध न होकर.. वर्तमान में भी अद्भुत वास्तुकला को प्रदर्शित करती हैं। इसी कारण से.. विभिन्न ऐतिहासिक मंदिरों तथा वास्तु चमत्कारों से युक्त सारनाथ.. न केवल तीर्थस्थल के रूप में विद्यमान है.. अपितु पर्यटक स्थल के रूप में भी पर्यटकों को आकर्षित करता है।
सारनाथ में भगवान बुद्ध का मन्दिर.. धमेक स्तूप.. अशोक का चतुर्मुख सिंहस्तम्भ.. चौखन्डी स्तूप.. राजकीय संग्राहलय.. जैन मन्दिर.. मूलंगधकुटी और नवीन विहार इत्यादि दर्शनीय स्थल हैं। सारनाथ का मुख्य स्थल.. धमेक स्तूप.. उस स्थान पर स्थित है जहाँ महात्मा बुद्ध ने सर्वप्रथम उपदेश दिया था। इस स्तूप के विस्तृत चित्र.. उत्कृष्ट कलाकृति तथा लघु संग्रहालय.. महात्मा बुद्ध की शिक्षाओं की अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।
सारनाथ में स्थित.. चौखंडी स्तूप.. बौद्ध संस्कृति का अत्यधिक दिव्य तथा महत्वपूर्ण स्मारक है। पवित्र एवं अलौकिक आभा से युक्त.. ये स्तूप उसी स्थान पर स्थित है.. जहाँ भगवान बुद्ध ने सर्वप्रथम अपने पाँच शिष्यों को दर्शन दिए थे। स्मारक को इस महत्वपूर्ण घटना के स्मरणोत्सव के रूप में निर्मित गया है.. जिसने अंततः बौद्ध धर्म के उदय में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
सारनाथ का प्रसिद्ध आकर्षण.. थाई मंदिर.. थाई वास्तुकला की शैली को प्रदर्शित करता है। शांतिपूर्ण वातावरण प्रदान करता.. थाई मंदिर.. सुंदर उद्यानों के मध्य में स्थित है तथा इसका प्रबंधन थाई बौद्ध भिक्षुओं द्वारा किया जाता है।
सारनाथ में स्थित.. तिब्बती चित्रकला थान्ग्सा से सुसज्जित.. तिब्बती मंदिर तथा गुप्त राजवंश में निर्मित.. अत्यंत प्राचीन महाबोधि मंदिर.. धार्मिक आस्था के केंद्र हैं। तिब्बती मंदिर में शाक्यमुनि अर्थात महात्मा बुद्ध की एक दिव्य मूर्ति प्रतिष्ठापित है तथा महाबोधि मंदिर में महाबोधि वृक्ष.. स्वयं महात्मा बुद्ध के अवशेष के रूप में प्रतिष्ठित है। मूलगंधकुटी विहार तथा नवीन विहार.. सारनाथ की सुन्दरता में वृद्धि के समान.. पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र हैं।
महात्मा बुद्ध के जन्म.. ज्ञान एवं मोक्ष के उत्सव के रूप में मनाया जाने वाला त्यौहार.. बुद्ध पूर्णिमा.. बौद्ध धर्म का अत्यंत महत्वपूर्ण त्यौहार है.. जिसे मनाने हेतु.. हर वर्ष सम्पूर्ण विश्व से तीर्थयात्री सारनाथ आते हैं।
सारनाथ के क्षेत्र के उत्खनन से.. गुप्तकालीन अनेक कलाकृतियां तथा बुद्ध प्रतिमाएं प्राप्त हो चुकी हैं.. जो वर्तमान में पुरातत्व संग्रहालय में सुरक्षित हैं। गुप्तकाल में सारनाथ की मूर्तिकला की एक अनुपम शैली प्रचलित थी.. जो भगवान बुद्ध की मूर्तियों के आत्मिक सौंदर्य तथा शारीरिक सौष्ठव की सम्मिश्रित भावयोजना के लिए.. भारतीय मूर्तिकला के इतिहास में प्रसिद्ध है। सारनाथ में एक प्राचीन शिव मंदिर तथा ग्याहरवें तीर्थंकर श्रेयांसनाथ को समर्पित एक जैन मंदिर भी स्थित है।
सारनाथ अपने आध्यात्मिक.. धार्मिक एवं पर्यटन के महत्व के अतिरिक्त.. भारत के राष्ट्रीय चिन्ह की स्थली के रूप में भी प्रतिष्ठित है। यहाँ पर स्थित अशोक स्तम्भ.. चक्रवर्ती सम्राट अशोक की सारनाथ यात्रा का प्रतीक है.. जिसे भारत के राष्ट्रीय चिन्ह के रूप में सम्मान प्राप्त है। अशोक स्तम्भ का चिन्ह.. सम्राट अशोक के राष्ट्र प्रेम के कारण.. भारत के राष्ट्रीय चिन्ह के रूप में भारतीय ध्वज में सुशोभित है।
पत्थर से निर्मित अशोक स्तंभ.. एक अद्भुत वास्तुकला एवं प्रभावशाली संरचना है.. जिसके शीर्ष पर चार सिंह की आकृतियाँ हैं। 50 मीटर ऊंचा.. अशोक स्तंभ.. केवल बौद्ध धर्म के लिए ही नहीं.. अपितु सम्पूर्ण भारत के लिए गौरव का प्रतीक है। भारत का प्राचीनतम पुरातात्विक संग्रहालय.. इस परिसर की परिधि में निर्मित.. अत्यंत उपयोगी संग्रहालय है।
समय के चक्र तथा आक्रमण के दंश से ग्रसित सारनाथ का जीर्णोद्धार.. 1905 में पुरातत्व विभाग द्वारा उत्खनन करने से आरम्भ हुआ.. और वर्तमान में सारनाथ अपने गौरवशाली अतीत के समान ही.. भारत के अतुलनीय गौरव के रूप में विराजमान है।
भारत समन्वय परिवार की ओर से.. पवित्रता.. शांति तथा आध्यात्म के प्रतीक.. सारनाथ को कोटि-कोटि प्रणाम।