गौतम बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी

मानवता.. करुणा एवं प्रेम की प्रतिमूर्ति.. महात्मा बुद्ध के जीवन काल में ऐसे अनेकों प्रसंग हैं.. जिनसे मानवमात्र अपनी जीवन यात्रा को सुगम एवं सहज बना सकता है। ऐसा ही एक प्रसंग है.. जब महात्मा गौतम बुद्ध.. एक गाँव में जीवन के सत्य तथा सारगर्भिता पर उपदेश दे रहे थे। वहां उपस्थित सभी व्यक्ति.. भगवान बुद्ध से अपने जीवन की समस्याओं का उपाय प्राप्त कर रहे थे।

उसी गाँव का एक निर्धन व्यक्ति.. सभी व्यक्तियों को उस उपदेश शिविर में दुखी मनोदशा से जाते हुए देखता.. किन्तु वहां से आते हुए.. उनके मुख पर व्याप्त हर्ष एवं शांति से चकित हो जाता था। उसने सोचा “क्यूँ न मैं भी.. अपने जीवन के दुखों से मुक्त होने का उपाय जान लूँ..!”

जब वो.. महात्मा बुद्ध के समक्ष अपनी समस्या के निवारण के लिए पहुंचा.. तो उसने कहा “प्रभु.. इस गाँव में अधिकतर सभी व्यक्ति अत्यंत सुखी और समृद्ध हैं.. फिर मैं ही क्यूँ निर्धन हूँ..?”

भगवान बुद्ध ने कहा – “तुम निर्धन इस कारण हो.. क्यूंकि तुमने आज तक कभी किसी को कुछ दिया ही नहीं!”

उस व्यक्ति ने आश्चर्यचकित होते हुए कहा – “भगवान भला मेरे पास दूसरों के देने के लिए क्या होगा.. ? मैं किसी प्रकार अपना जीवन यापन करता हूँ.. मैं तो भिक्षा याचना करके.. अपना पेट भरता हूँ..!”

महात्मा बुद्ध ने गंभीरतापूर्वक कहा – “अज्ञानतावश तुमको ईश्वर ने जो दिया है.. उसे तुम भूल चुके हो! संसार में प्रसन्नता वितरित करने के लिए.. ईश्वर ने तुम्हें अधरों पर स्मिता प्रदान की है..

मुख दिया है.. जिससे तुम करुणामयी तथा प्रेममयी शब्दों का उच्चारण कर सको.. दो भुजाएं दी हैं जिनसे तुम अपने जीवन में सभी की सहायता कर सको.. इतनी अमूल्य निधि होने पर कोई निर्धन कैसे हो सकता है..! निर्धनता का भाव त्याग कर.. जीवन को सार्थक बनाने का प्रयत्न करो।“

महात्मा बुद्ध के इस ज्ञान रुपी सन्देश से उस व्यक्ति की मनोदशा ही नहीं.. उसका जीवन भी परिवर्तित हो गया। भगवान गौतम बुद्ध के जीवन का ये प्रेरक प्रसंग तथा उनके द्वारा प्रतिपादित ज्ञान.. वास्तव में आदर्श एवं सुखमय जीवन का आधार है।