Vinoba Bhave: भूदान आंदोलन के जनक

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख सेनानी.. सामाजिक कार्यकर्ता एवं प्रसिद्ध गाँधीवादी नेता विनायक नरहरी भावे.. जिन्हें सम्पूर्ण विश्व आचार्य विनोबा भावे के नाम से जानता है.. अपनी लोक कल्याण एवं जनहित नीतियों के कारण प्रसिद्ध थे | भूदान आन्दोलन के जनक.. आचार्य विनोबा भावे के जीवन के ऐसे कई प्रसंग हैं जिनसे हर व्यक्ति को बहुत कुछ सीखने को मिल सकता है | ऐसा ही एक प्रसंग उस समय का है जब आचार्य विनोबा भावे गाँवों में घूम-घूमकर भूदान यज्ञ के लिए भूमि एकत्र कर रहे थे | उनके पास न धन था.. न कोई सत्ता की शक्ति.. फिर भी उनके आवाहन पर करोड़ों देशवासी उनके साथ हो जाते थे |

एक गाँव का जमींदार विनोबा भावे जी के इस लोक कल्याणकारी मनोरथ को जानकर उनसे मिलना बार-बार टाल रहा था | उस जमींदार के दोस्त ने उससे ऐसा करने का कारण पूछा तो जमींदार ने जवाब दिया - “अगर मैं आचार्य जी से मिलूँगा तो वे मुझसे ज़मीन मांगेंगे और मुझे ज़मीन देनी पड़ जाएगी |” इस पर उनके दोस्त ने कहा - “ऐसा क्यों..? तुमको अगर अपनी ज़मीन नहीं देना चाहते तो मना कर देना | इसमें कोई ज़बरदस्ती थोड़ी है.. विनोबा जी केवल प्रेम से ही तो ज़मीन मांगते हैं |”  

इस पर ज़मींदार ने कहा - “अरे.. वही तो सबसे बड़ी ताक़त है न..! आचार्य जी प्रेम से मांगते हैं और उनकी बात सही भी है तो उसे टाला भी नहीं जा सकेगा |”

आचार्य विनोबा भावे को जब ये बात पता चली तो उन्होंने कहा - “बस.. उसकी ज़मीन मुझे मिल गयी | भूदान आन्दोलन के माध्यम से हमारा उद्देश्य सामंतवादी विचारों को ही तो समाप्त करना है न !”

इस प्रकार आचार्य विनोबा भावे ने मानवता के समक्ष उदारवादी विचारधारा का प्रतिपादन किया | भारत के राष्ट्रीय अध्यापक की उपाधि से विभूषित आचार्य विनोबा भावे जी को भारत समन्वय परिवार की ओर से शत शत नमन |