Ram Janmabhoomi | History of Ram Mandir | अतीत के झरोखे से राम जन्मभूमि | Bharat Mata
प्रसिद्ध आदि ग्रंथ रामायण के बालकाण्ड मे गुरु वशिष्ट द्वारा श्री राम का सम्पूर्ण कुल वर्णित है। ब्रह्मा जी से मारीचि का जन्म हुआ, और मारीचि से कश्यप का। कश्यप के पुत्र विवस्वान थे और विवस्वान के पुत्र वैवस्तमनु। वैवस्तमनु के दस पुत्र थे। वैवस्तमनु के सभी पुत्रों ने विभिन्न वंशों की स्थापना की और प्रत्येक वंश की अनेक रोचक कथाएं हैं। इन्ही पुत्रों मे से एक थे इक्ष्वाकु। कौशल देश के राजा इक्ष्वाकु से इक्ष्वाकु वंश की उत्पत्ति हुई, और इस साम्राज्य की राजधानी थी धर्मनगरी अयोध्या।
रघुवंश का विवरण - Raghuvansh Ki Katha
पराक्रमी राज वंश के इस क्रम मे रघु का जन्म हुआ, रघु अत्यंत पराक्रमी और तेजस्वी सम्राट थे। उनके अद्वितीय प्रताप के कारण ही उनके वंश को रघुवंश की संज्ञा दी गई। इस प्रतिष्ठित श्रंखला मे दिलीप, मान्धाता, भरत और भागीरथ जैसे महापुरुषों का जन्म हुआ, जिन्होंने पूरी निष्ठा से राजकीय परंपराओं के अतिरिक्त सनातन धर्म की रक्षा और आदर्शों को जन-जन तक पहुंचाया। कुछ पीढ़ियों के पश्चात चक्रवर्ती राजा दशरथ के चार पुत्रों का जन्म हुआ जिनका नाम राम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न था। मान्यता है की जब भगवान श्री राम अपने कर्तव्य पूर्ण करने के पश्चात अपने धाम चले गए थे, तब कुछ समय तक अयोध्या नगरी शांत और सूनी होगई थी, परंतु राम जन्म भूमि पर निर्मित महल अपने वास्तविक स्वरूप मे ही था। कुछ समय पश्चात श्री राम जी के पुत्र कुश ने अयोध्या का पुनः निर्माण करवाया। इस निर्माण के पश्चात सूर्यवंश की अगली 44 पीढ़ियों का राज रहा।
अतीत के झरोखे से राम जन्मभूमि
इसके बाद ईसा के लगभग 100 वर्षों पूर्व उज्जैन के चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य का उल्लेख प्राप्त होता है। मान्यता है की जब विक्रमादित्य अयोध्या गए थे तब उन्हे उस पावन स्थान पर कुछ अलौकिक अनुभव प्राप्त हुए थे इसलिए उन्होंने श्री राम जन्मभूमि पर काले रंग के कसौटी पत्थर वाले 84 स्तंभों पर विशाल मंदिर का निर्माण करवाया था। विक्रमादित्य के पश्चात अनेक राजाओं ने इस मंदिर की देख-रेख का कार्यभार संभाला।
कालांतर मे भारत पर आक्रान्ताओं के आक्रमण मे वृद्धि हुई जिसके परिणाम स्वरूप असुरक्षा का वातावरण उत्पन्न हुआ और इन्होंने काशी, मथुरा के साथ ही अयोध्या मे भी लूटपाट की और मूर्तियाँ तोड़ने का क्रम जारी रखा। परंतु 14वीं सदी तक अयोध्या के राम मंदिर को तोड़ने मे विफल रहे। 14वीं शताब्दी मे भारत मे मुग़लों का अधिकार हो गया। अंततः 1527-28 मे इस भव्य मंदिर को तोड़ दिया गया और उसके स्थान पर बाबरी ढांचा खड़ा किया गया। मंदिर को तोड़कर जो मस्जिद बनवाई गई थी, वो 1992 तक विद्यमान रही।
स्वतंत्रता के पश्चात यह सम्पूर्ण मुद्दा न्यायालय तक गया, और अनेक भक्तों के अनंत प्रयासों, बलिदानों, और संघर्षों के पश्चात वर्ष 2019 मे सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया गया। जिसके परिणाम स्वरूप 22 जनवरी 2024 को राम लला की प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न होगी।
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