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अमर्त्य सेन | Amartya Sen | Capability Approach, Idea of Justice | अमर्त्य सेन जी का जीवन परिचय

जब कोई व्यक्ति सिर्फ अपनी सोच से पूरी दुनिया की दिशा तय कर देता है, तो वह केवल विद्वान नहीं, बल्कि एक युग का मार्गदर्शक बन जाता है। अमर्त्य सेन ऐसे ही एक महान विचारक हैं — जिनकी सोच ने यह साबित किया कि अर्थशास्त्र सिर्फ पैसे, उत्पादन या विकास के आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका असली मकसद मानव जीवन की गरिमा और स्वतंत्रता को समझना है। उन्होंने कहा है:

“If you can’t make economics serve humanity, then it’s meaningless।”

यह लेख अमर्त्य सेन जीवनी, उनके आर्थिक दर्शन (Capability Approach), समाजवाद, असमानता और उनके योगदान पर केंद्रित है। यदि आप अमर्त्य सेन के जीवन पर गहराई से जानना चाहते हैं, तो यह लेख SEO दृष्टि से भी बेहतर संरचित किया गया है।

प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि

  • जन्म और पारिवारिक परिवेश
    अमर्त्य सेन का जन्म 3 नवंबर 1933 को पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन में हुआ था। उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि सांस्कृतिक और शैक्षिक रूप से समृद्ध थी: उनके पिता अशुतोष सेन, ढाका विश्वविद्यालय में केमिस्ट्री के प्रोफेसर थे, और उनकी माता अमिता सेन संस्कृत एवं साहित्य की शिक्षिका थीं। उनके नाना जी क्षितिमोहन सेन संस्कृत और भारतीय सांस्कृतिक इतिहास के विद्वान थे।

  • बाल्यकाल में समाज का अनुभव
    शांतिनिकेतन में बड़े होते समय, अमर्त्य सेन ने सामाजिक असमानता और अन्याय को व्यक्तिगत रूप से महसूस किया। उन्होंने देखा कि समाज में अवसर समान नहीं होते — कुछ लोगों के पास सब कुछ होता है, जबकि कुछ को जीने का अधिकार भी मुश्किल से मिलता है। यह अनुभव उनके बाद-के आर्थिक दर्शन की नींव बना।

शिक्षा और Academic Career

  • शिक्षा
    अमर्त्य सेन ने अपनी अंडरग्रेजुएट पढ़ाई Presidency College, कोलकाता से की। इसके बाद उन्होंने Trinity College, Cambridge में दाखिला लिया, जहाँ से उन्होंने Bachelor’s, Master’s और Ph.D. की डिग्रियाँ हासिल कीं।

  • शिक्षक और शोधकर्ता के रूप में करियर
    उनकी अकादमिक यात्रा विविध रही:

    • उन्होंने Jadavpur University, Delhi School of Economics, London School of Economics, Oxford University, और Harvard University में पढ़ाया।

    • वे MIT, Stanford, Berkeley, और Cornell में विज़िटिंग प्रोफेसर भी रहे।

    • उनका शोध हमेशा मानव कल्याण (human well-being) के इर्द-गिर्द रहा।

अर्थशास्त्र में उनका दृष्टिकोण — Capability Approach

  • “Poverty and Famines” का विश्लेषण
    अमर्त्य सेन की प्रसिद्ध पुस्तक Poverty and Famines ने यह स्पष्ट किया कि अकाल केवल भोजन की कमी का मुद्दा नहीं है, बल्कि entitlement failure (अधिकारों की विफलता) का परिणाम है। यानी लोग भूखे इसलिए मर सकते हैं क्योंकि उनके पास भोजन पाने के साधन या अधिकार नहीं हैं।

  • Capability Approach का विचार
    उनकी यह अहम अवधारणा बताती है कि किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता और जीवन की गुणवत्ता इस बात पर निर्भर करती है कि वह क्या कर सकता है और क्या बन सकता है, न कि सिर्फ उसके पास कितनी धन-संपत्ति है। यह विचार आगे चलकर United Nations की Human Development Report की नींव बना।

समाज, असमानता और मानवीय स्वतंत्रता पर उनकी सोच

  • लिंग असमानता और “Missing Women”
    अमर्त्य सेन ने अपने अध्ययन Missing Women में यह दिखाया कि एशिया के कुछ हिस्सों में महिलाओं की संख्या कम होने का कारण सिर्फ जन्म दर नहीं है, बल्कि सामाजिक भेदभाव, पोषण की कमी, और स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव भी है।

  • लोकतंत्र और स्वतंत्रता
    उनके अनुसार लोकतंत्र और स्वतंत्रता तभी सार्थक होती हैं, जब हर व्यक्ति को निर्णय लेने का अधिकार, स्वर व्यक्त करने की आज़ादी, और विचारों पर बहस का अवसर मिले। उन्होंने यह जोरदार आवाज़ उठाई कि समाज तभी मजबूत बनता है जब असहमति को समझा जाए और बहस की जाए।

पुरस्कार, सम्मान और विरासत

  • नॉबेल पुरस्कार और भारत रत्न

    • 1998 में, अमर्त्य सेन को Nobel Prize in Economic Sciences से सम्मानित किया गया, उनके welfare economics, social choice theory, और गरीबी व अकाल पर काम के लिए।

    • 1999 में, भारत सरकार ने उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया — पहली बार किसी अर्थशास्त्री को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार मिला।

  • लेखन और विचार-दर्शन
    उनकी प्रमुख पुस्तकें जैसे Development as Freedom, The Idea of Justice, और The Argumentative Indian लोकतंत्र, मानव अधिकार और सामाजिक न्याय की गहराइयों पर विस्तृत विमर्श प्रस्तुत करती हैं।

  • निरंतर योगदान
    आज उनकी उम्र 90 से अधिक हो गई है, लेकिन वे अभी भी हार्वर्ड और Trinity College, Cambridge से जुड़े हैं और लगातार समाज, राजनीति और विकास पर अपने विचार साझा करते हैं।

अमर्त्य सेन की शिक्षा-दर्शन की आधुनिक प्रासंगिकता

  • स्वतंत्रता और गरिमा
    अमर्त्य सेन ने यह सिखाया कि असली स्वतंत्रता सिर्फ बोलने या सोचने की आज़ादी नहीं है, बल्कि अपने जीवन के फैसले खुद लेने की क्षमता में निहित होती है।

  • विकास का असली अर्थ
    उनका जीवन हमें याद दिलाता है कि विकास का असली अर्थ ऊँची इमारतों या आर्थिक आंकड़ों में नहीं, बल्कि हर व्यक्ति के चेहरे पर सम्मान और गरिमा के साथ जीने का अवसर मिलने में है।

निष्कर्ष

अमर्त्य सेन का जीवन और उनकी विचारधारा यह दिखाती है कि ज्ञान तब तक अधूरा है जब तक वह समाज की भलाई के लिए न हो। उन्होंने अर्थशास्त्र को सिर्फ एक तकनीकी विषय नहीं, बल्कि मानवता की सेवा का माध्यम बनाया। उनका योगदान न सिर्फ अकादमिक जगत में, बल्कि समाज और मानव अधिकारों की दिशा में भी अमूल्य है।

भारत समन्वय परिवार की ओर से, हम इस युग के सबसे संवेदनशील विचारक और भारत रत्न — प्रोफेसर अमर्त्य सेन — को शत-शत नमन