डॉ. होमी जहांगीर भाभा | Father of Indian Nuclear Program

YOU NEVER REALISE HOW STRONG YOU ARE.
UNTIL BEING STRONG IS THE ONLY CHOICE YOU HAVE!
IF YOU CAN DREAM IT.
YOU CAN DO IT.
ये मात्र शब्द नहीं हैं.. एक महान वैज्ञानिक ने इन शब्दों को अपने जीवन का आधार बनाया और ये सिद्ध किया कि सपनों को निष्ठा और लगन से साकार भी किया जा सकता है। सम्पूर्ण जीवन मातृभूमि को समर्पित करने वाले इस वैज्ञानिक का नाम है डॉ. होमी जहाँगीर भाभा जिनको भारत के परमाणु उर्जा कार्यक्रम का जनक माना जाता है। 
आज भारत का स्थान संसार के अग्रगणी परमाणु संपन्न देशों में है। डॉ. भाभा की दूरदृष्टि और भावी संभावनाओं के आंकलन की उनकी क्षमता के कारण ही ये संभव हो सका। 
नाभिकीय विज्ञान के क्षेत्र में उनका कार्यकाल उस समय का है जब ‘अविछिन्न श्रृंखला अभिक्रिया’ का ज्ञान अपने शैशव काल में था और इसकी तथ्य परक जानकारी उपलब्ध नहीं थी। चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी उन्होंने अपने अनुसंधान को आगे बढ़ाया और अत्यंत विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी निष्ठा और आत्मविश्वास को कम नहीं होने दिया और अंततः सफलता प्राप्त की। 
“कास्केट थ्योरी औफ़ इलेक्ट्रान” का उनके द्वारा प्रतिपादन किया गया और साथ साथ उन्होंने कॉस्मिक किरणों पर भी कार्य किया। अपने प्राथमिक प्रयासों में उन्होंने “Tata Institute of Fundamental Research” और “Atomic Research Centre” की स्थापना में अत्यंत सकारात्मक और महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 
“Atomic Energy Commission” के वो पहले यशस्वी अध्यक्ष भी बने। डॉ. होमी जहाँगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 को मुंबई में हुआ था। उनके पिता जहाँगीर भाभा एक प्रतिष्ठित वकील थे। प्रारंभिक शिक्षा मुंबई में पूरी करने के बाद वो उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड गए और उन्होंने कैंब्रिज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने 1930 में स्नातक की उपाधि अर्जित की और सन 1934 में कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट की उपाधि भी प्राप्त की। 
सन 1939 में जब सारा विश्व दूसरे विश्व युद्ध की चपेट में था उन्होंने भारत वापस आने का निर्णय लिया और Banglore के Indian School of Science से जुड़ गए। उन्होंने यहाँ कॉस्मिक रेज़ के अनुसंधान के लिए एक अलग विभाग की भी स्थापना की। Indian School of Science के तत्कालीन अध्यक्ष और Noble पुरुस्कार विजेता प्रो. सी.वी.रमन होमी भाभा की प्रतिभा और लगन से बहुत प्रभावित थे। 
वर्ष 1941 में मात्र 31 वर्ष की आयु में डॉ. भाभा को रॉयल सोसाइटी का सदस्य चुना गया जिसे अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि कहा जा सकता है। 
 डॉ. होमी ने जे.आर.डी.टाटा की मदद से मुंबई में “Tata Institute of Fundamental Research” की स्थापना की और वर्ष 1945 में वे इसके निदेशक बने। वर्ष 1948 में डॉ. भाभा ने “भारतीय परमाणु उर्जा आयोग” के अध्यक्ष की क्षमता से कई international मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व किया। एक सफल वैज्ञानिक होने के साथ साथ डॉ. भाभा की अभिरुचि शास्त्रीय संगीत.. मूर्तिकला.. चित्रकला तथा नृत्य आदि क्षेत्रों में भी थी। शायद यही कारण था कि सर सी.वी.रमन उन्हें भारत का “लियोनार्डो डी विन्ची” कहते थे। 
वर्ष 1955 डॉ. भाभा और भारत के लिए एक अति-महत्वपूर्ण और निर्णायक वर्ष था। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा इस वर्ष में एक सम्मलेन का आयोजन किया गया जिसका विषय था “शांति पूर्ण कार्यों के लिए परमाणु उर्जा का उपयोग”।
इस सम्मलेन में भारत का प्रतिनिधित्व डॉ. भाभा द्वारा किया गया था और उन्हें सभापति चयनित किया गया। पश्चिमी देशों के अधिकांश वैज्ञानिकों का मत था कि अल्पविकसित देशों की प्राथमिकता औद्योगिक विकास तक सीमित होनी चाहिए और तब तक उन्हें परमाणु शक्ति से दूर रहना चाहिए। डॉ. भाभा ने इस अपमानजनक अवधारणा का ज़ोरदार खंडन करते हुए कहा कि अल्पविकसित राष्ट्र परमाणु उर्जा का प्रयोग शांति पूर्ण कार्यों एवं औद्योगिक विकास के लिए कर सकते हैं। 
डॉ. भाभा का नामांकन 5 बार फिजिक्स के Noble prize के लिए किया गया परन्तु इस महान पुरूस्कार से वो वंचित रह गए। विज्ञान के क्षेत्र में अपने अभूतपूर्व योगदान के लिए सन 1954 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मभूषण से अलंकृत किया। 
ये एक अत्यंत दुर्भाग्य का विषय है कि मातृभूमि के लिए समर्पित इस महान वैज्ञानिक और स्वप्न दृष्टा का निधन स्विट्ज़रलैंड में एक विमान दुर्घटना में 24 जनवरी 1966 को हो गया। ये एक विवादस्पद दुर्घटना थी। 
डॉ. होमी जहाँगीर भाभा ने भारत को एक परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बनाने का जो सपना देखा था और जिसके लिए वो सारा जीवन समर्पित भी रहे वो अपने विस्तृत रूप में आगे बढ़ रहा है। परमाणु शक्ति संपन्न भारत के पास कई परमाणु मिसाइलें हैं जैसे अग्नि और पृथ्वी आदि। इसके अतिरिक्त भारत के करीब 7 परमाणु संयत्र भी हैं और आज भारत में परमाणु उर्जा का प्रयोग कृषि और उद्योग जैसे विभिन्न क्षेत्रों में किया जा रहा है। 
डॉ. होमी द्वारा भारत को एक सशक्त और स्वाभिमानी राष्ट्र बनाने के प्रयासों को भारत समन्वय परिवार की ओर से शत शत नमन और उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि। हमारा प्रयास है कि माँ भारती के इस सपूत का स्वप्न भारत की युवा शक्ति की प्रेरणा बने और विश्व में भारत और अधिक शक्तिशाली और संपन्न होने का गौरव प्राप्त करे।  
 

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