Jagdish Chandra Bose | वो भारतीय Genius जिसने दुनिया को Wireless दिया! | The Real Story of J.C. Bose
“The true laboratory is the mind,
where behind illusions
we uncover the laws of truth.”
ये शब्द हैं उस महान भारतीय वैज्ञानिक के जिन्होंने अपने मस्तिष्क की शक्ति, अवलोकन क्षमता और वैज्ञानिक जिज्ञासा से सम्पूर्ण विश्व में भारत को गौरवान्वित किया। आज भी विज्ञान, technology और research के क्षेत्र में बोस जी के योगदान मानव जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहे हैं।
उनके जीवन, शोध और आविष्कारों की विस्तृत सूचनाएँ आप Bharat Mata Online पर भी पढ़ सकते हैं —
भारत के महान वैज्ञानिकों की सूची में बोस जी का स्थान सदैव सर्वोपरि रहा है। radio और microwave optics पर शुरुआती research करने वाले वे पहले वैज्ञानिकों में से थे। आज wireless technology, radio transmission और modern communication systems जिस नींव पर खड़े हैं, उसका पहला ईंट बोस जी ने ही रखा। उन्होंने radio waves के माध्यम से wireless connection का प्रदर्शन किया—जहाँ उन्होंने 23 मीटर की दूरी से बारूद के कणों को प्रज्ज्वलित किया और electric bell बजाई।
इसी अद्भुत उपलब्धि के बाद उन्हें “wireless तकनीक का जनक” कहा गया।
भारत के महान वैज्ञानिकों की और सूची देखने के लिए यह लिंक उपयोगी है—
बिक्रमपुर निवासी भगवान् चन्द्र बोस के घर 30 नवम्बर 1858 को एक अमूल्य रत्न ने जन्म लिया—जगदीश चन्द्र बोस। उस समय अंग्रेजी स्कूल में पढ़ना प्रतिष्ठा माना जाता था, परंतु उनके पिता ने deputy collector होते हुए भी उन्हें प्रारंभिक शिक्षा के लिए एक सामान्य बांग्ला विद्यालय भेजा। इसका उद्देश्य था—मातृभाषा, जड़ों और संस्कृति से जोड़ना।
आगे की शिक्षा उन्होंने St. Xavier’s School, कोलकाता विश्वविद्यालय और बाद में London के Christ College से प्राप्त की। उच्च शिक्षा के पश्चात वे भारत लौटे और Presidency College में भौतिकी के professor बने।
उस दौर में अंग्रेजी शासन भारतीय शिक्षकों को समान वेतन नहीं देता था। विरोधस्वरूप उन्होंने तीन वर्षों तक वेतन नहीं लिया—इसीलिए उन्हें सत्याग्रही वैज्ञानिक भी कहा गया।
Research के प्रति उनका प्रेम बचपन से ही था। उन्होंने प्रकृति, पक्षियों और पौधों के व्यवहार में अद्भुत रुचि दिखाई। यही जिज्ञासा उन्हें उस अद्भुत खोज तक ले गई जहाँ उन्होंने सिद्ध किया कि पौधों में भी संवेदनाएँ (plant feelings) होती हैं।
उनका सबसे प्रसिद्ध आविष्कार था crescograph, जिसके माध्यम से पौधों की वृद्धि को मापा जा सकता था।
इसी विषय पर आधारित उनके दो महत्त्वपूर्ण ग्रंथ—
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“Response in the Living and Non-Living” (1902)
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“The Nervous Mechanism of Plants” (1926)
J.C. Bose को ‘Bengali Science Fiction’ का जनक भी कहा गया। चंद्रमा के एक crater का नाम आज भी उनके नाम पर है।
विज्ञान में योगदान के कारण उन्हें—
• 1917 में knighthood
• 1920 में Royal Society की membership
• 1927 में Indian Science Congress की presidency
• Vienna Academy of Sciences तथा Finnish Society of Sciences के सदस्यता
जैसे कई प्रतिष्ठित सम्मान मिले।
भारत के अन्य प्रेरणादायक व्यक्तित्वों की divine list यहाँ उपलब्ध है—
जगदीश चन्द्र बोस ने diffraction, refraction और polarization के क्षेत्रों में भी उल्लेखनीय योगदान दिया। 1917 में उन्होंने Bose Institute की स्थापना की, जो एशिया की पहली आधुनिक जीव वैज्ञानिक research संस्था थी।
Rabindranath Tagore ने उनके सम्मान में अमर पंक्तियाँ लिखीं और कहा कि पश्चिम की विज्ञान की नगरी से भारत लोटकर बोस जी ने माँ भारती के माथे पर विजय का मुकुट सजाया है।
23 नवंबर 1937 को यह विलक्षण प्रतिभा संसार को अलविदा कह गई। परंतु उनके शोध, सिद्धांत और आविष्कृत तकनीकें आज भी आधुनिक विज्ञान की आधारशिला हैं।
भारत माता की ओर से भारत को गौरवान्वित करने वाले इस महामानव वैज्ञानिक—जगदीश चन्द्र बोस—को शत-शत नमन।