भारत ने दिया दुनिया का पहला प्लास्टिक सर्जन | महर्षि सुश्रुत | The Father of Indian Medical Surgery

लास्टिक सर्जरी, आर् के युग में होने वाली एक आम शल् य क्र िया, स्र्
सके बारे में अक्सर लोगों को और ज़् यादातर युवा पीढ़ी को लगता
है की ये आधुननक युग के ववज्ञ ान की तकनीक है, लेक्रकन नहीीं. भारत
वर् ज में इसकी शुरु आत प्र ाचीन काल में हो चुकी थी और इसकी
शुरु आत के श्रे य र् ाता है महवर्ज सुश्रु त को. हज़ारों साल पहले महवर्ज
सुश्रु त ने शल्य क्र िया को अींर्ाम ददया था. कौन थे ये महवर्ज सुश्रु त
और भारतीय और्धध ववज्ञान को कैसे इन्होने एक नयी ऊींचाई पर
पहुुँचाया, आईये र् ानते हैं.
महवर्ज सुश्रु त का र्न् म वैददक काल में छठवीीं या सातवीीं इसा पूवज के
आस पास माना गया है. इनके र्न् म इत् यादद के बारे में तो ज् यादा
वववरण प्र ाप्त नहीीं होते, लेक्रकन कशी में गींगा क्र कनारे ये और्धधयों पर
कायज क्र कया करते थे. सुश्रु त महान ज्ञ ानी थे इसससलए उन् हें महवर् ज कहा र्
ाने लगा था. सुश्रु त ने और्धीय ज्ञ ान काशी के रार्ा ददवोदास से प्र
ाप्त क्र कया था. ऐसा कहा र् ाता है की रार्ा ददवोदास को यह ज्ञ ान
देवताओीं के वैद्य कहे र् ाने वाले भग वान धन्वतरर ने ददया था.
सुश्रु त युद् ध में घायल सैननकों का इलार् क्र कया करते थे. इन घायल
सैननकों की चोिों और तकलीफ को देखकर सुश्रु त को शल् य क्र िया की प्रे
रणा समली. युद् ध में, अक्सर सैननकों के अींग नछन्न सभन्न हो र् ाते
थे और व् यस्क् त सम् पूणज र् ीवन के सलए लाचार हो र् ाता था. सुश्रु त ने
इन्ही अींगों को र् ोड़ने की र् दिल प्रक्र िया को मूतज रू प देने के सलए
शल्य क्र िया में टवयीं को ववशेर्ज्ञ बनाया और प्र ससद् ध हुए. वैसे सुश्रु त
का शास् ददक अथज भी सुप्र ससद् ध होता है और महवर् ज सुश्रु त के कायों ने
उनके नाम की साथजकता ससद्ध भी करदी. सुश्रु त के पहले भी शल्य क्र
िया भारत में होती थी, लेक्रकन सुश्रु त ने इसे एक अलग ही टथान
ददया. सुश्रु त ने लगभग 300 नए शल्य क्र िया प्रक्र ियाओीं को खोर्
करी. हर धचक्रकत्सक की कोई न कोई ववशेर् ता होती है और सुश्रु त की
ववशेर्ता नाससका सींधान यानन rhinoplasty अथाजत नाक की शल्य क्र
िया थी. इसके साथ-साथ सुश्रु त और भी बहुत सी र् दिल शल् य क्र
िया कर लेते थे, र्ै से की मोनतया बबन्द हिाना , ससर्ेररयन ववधध से
बच्चे का र्न् म , और वो भी तब र् ब उनके पास आर् के र्ै से
आधुननक उपकरण नहीीं उपलदध थे. क्र िया के दौरान र् ब उन् हें
उपकरणों की आवश्यकता महसूस हुयी तो उन् हों ने खुद ही उनका भी
अववष्कार क्र कया. आपको र् ानकार हैरानी होगी की सुश्रु त ने करीब
120 शल्य धचक्रकत्सा उपकरणों का अववष् कार क्र कया स्र् नमे से कुछ
आर् भी इटतेमाल क्र कये र् ाते हैं. इस उपकरणों में चाकू, धचमदियाीं,
और सुइयाीं इत् यादद हैं. सुश्रु त ने cosmetic surgery में ववशेर्
ननपुणता हाससल कर ली थी .
सुश्रु त की ख् यानत सुनकर लोग दूर-दूर से उनसे सशक्ष ा लेने आते थे,
उनके सशष्यों की ‘सौश्रु ता’ कहा र् ाता था. अभ्यास के सलए सुश्रु त
अपने सशष्यों को फलों , मृत र् ानवरों पर कायज करके समझाते थे
और मानव देह की अींदरूनी रचना को समझने के सलए मृत देह का
इटतेमाल करते थे.
शल्य क्र िया के दौरान होने वाले ददज को कम करने के सलए वे
मद्यपान या ववशेर् और्धधयाीं देते थे. मद्य सींज्ञा हरण का भी कायज
करता है इसससलए सुश्रु त को सींज्ञ ाहरण का वपतामह भी कहते हैं.
महवर्ज सुश्रु त ने अपने इस ज्ञ ान को टवयीं तक सीसमत नहीीं रखा
बस्ल्क ‘सुश्रु त सींदहता’ के रू प में सींकसलत कर अमर बना ददया .
उनके द् वारा सलखी गई सुश्रु त सींदहता में 300 से ज् यादा शल्य क्र ियाएीं
, 120 शल्य उपकरण और 1120 बबमाररयों और उनके उपचार का
ववटतृत वणजन समलता है. सुश्रु त के अनुसार कोई भी बबमारी हमारे
शरीर में अींदरूनी सींतुलन ना होने के कारण होती है, इसससलए एक
धचक्र कत् सक का सींतुसलत होना बेहद आवश् यक है, अथाजत उसे शाींत
टवाभाव का ववनम्र और मज़बूत होना ज़रू री है.
प्रचीन भारत के इस महान आयुवेदाचायज ने आयुवेद को पोवर् त क्र कया .
दुननया का कोई भी देश र् हाीं नहीीं पहुुँच सका था, सुश्रु त ने भारतीय
और्धीय ज्ञ ान को उस ऊींचाई पर पहुींचा ददया. आधुननक आववष्कार
मानते हैं, लेक्रकन सुश्रु त सींदहता के पन् ने पलिेंगे तो पाएींगे की महवर् ज
सुश्रु त द् वारा ये सभी क्र ियाएीं हज़ारों साल पहले ही खोर् ी र् ा चुकी ही