कैसे हुई थी रुद्राक्ष की उत्पत्ति? | भगवान शिव और रुद्राक्ष का सम्बन्ध | Story of Rudraksha in Hindi

रुद्राक्ष: शिव के आंसुओं का वरदान

रुद्राक्ष को आप सबने देखा होगा और इसके महत्व को जानते होंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रुद्राक्ष और भगवान शिव के बीच गहरा संबंध है? इस कथा को समझने से पहले, आइए रुद्राक्ष के महत्व और इसकी उत्पत्ति पर नजर डालें।

रुद्राक्ष का महत्व और प्रकार

हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, रुद्राक्ष धारण करने से भगवान शिव और अन्य देवी-देवताओं की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

रुद्राक्ष के आकार के अनुसार उसकी श्रेणियाँ:

  • उत्तम श्रेणी का रुद्राक्ष: आकार आंवले के फल के बराबर
  • मध्यम श्रेणी का रुद्राक्ष: आकार बेर के फल के बराबर
  • निम्न श्रेणी का रुद्राक्ष: आकार चने के बराबर

रुद्राक्ष की पौराणिक उत्पत्ति

भगवान शिव के आंसुओं से रुद्राक्ष का जन्म

हिंदू धर्मग्रंथों में वर्णित है कि:

  • भगवान शिव जब गहरे ध्यान से बाहर आए और अपनी आँखें खोलीं, तो उनकी आँखों से जल की बूंदें पृथ्वी पर गिरीं।
  • जहां ये बूंदें गिरीं, वहां रुद्राक्ष के पेड़ प्रकट हो गए।

विष्णु पुराण में रुद्राक्ष की उत्पत्ति

एक अन्य कथा के अनुसार:

  • त्रिपुरासुर दैत्य के अत्याचारों से परेशान होकर सभी देवता भगवान शिव की शरण में गए।
  • भगवान शिव ध्यान में लीन हो गए और जब उन्होंने आँखें खोलीं, तो उनकी आँखों से आंसुओं की कुछ बूंदें पृथ्वी पर गिरीं।
  • इन आंसुओं से रुद्राक्ष का जन्म हुआ।

रुद्राक्ष: शिव का स्वरूप

रुद्राक्ष शब्द को रुद्र और अक्ष में विभाजित किया जा सकता है:

  • रुद्र: भगवान शिव का एक नाम
  • अक्ष: भगवान शिव की आँखें

इसलिए, रुद्राक्ष को भगवान शिव का अंश और साक्षात स्वरूप माना गया है।

रुद्राक्ष का सम्मान

यदि आप रुद्राक्ष धारण करते हैं, तो उसे भगवान शिव का अंश मानकर उतना ही सम्मान दें जितना भगवान शिव को दिया जाता है।

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