जानिए कैसे पड़ा माता आदि शक्ति का नाम दुर्गा | Maa Durga | Bharat Mata

दुर्गति नाशिनी दुर्गा जय जय,

काल विनाशिनी काली जय जय,

उमा, रमा, ब्रह्माणी जय जय,

भुवनेश्वरी भवानी जय जय

दुर्गा दुर्गति को नाश करने वाली शक्ति का नाम है, जिसके स्मरण मात्र से शारीरिक ही नहीं वरन् मानसिक रोगों व कष्टों का भी नाश होता है।

देवी का एक नाम दुर्गा क्यूँ है? मां दुर्गा शब्द का अर्थ 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार  'द' का अर्थ है जो स्थिर है, रुका हुआ है और 'ग' का अर्थ है जिसमें गति है जो चलता है। 'उ' का अर्थ है स्थिर और गतिमान के बीच का संतुलग और 'अ' का अर्थ है अजन्मे ईश्वर की, परमात्मा की शक्ति, यानि दुर्गा का अर्थ हुआ परमात्मा की वह शक्ति जो स्थिर भी है, गतिमान भी है और संतुलित भी है उसे दुर्गा कहते हैं।

इसके अलावा 'दु' शब्द का अर्थ अंधकार भी होता है। 'दु' का अर्थ कठिनाई भी होता है और 'दु' का अर्थ बुराई व कष्ट भी होता है। 'ग' का अर्थ ईश्वरीय ज्योति यानि प्रकाश तथा दुखों, पापों और बुराइयों को हरने वाला होता है। 'अ' का अर्थ अजन्मा ईश्वर, अनन्त परमात्मा और उसकी शक्ति। बीच में रेफ यानि 'र' का अर्थ है पहले से दूसरे की ओर ले जाने की शक्ति। तो दूसरे शब्दों दुर्गा का अर्थ हुआ परमात्मा की वह शक्ति जो अंधकार, कठिनाइयों दुखों, बुराइयों व कष्टों का नाश करके हमें प्रकाश, सुख तथा आनन्द की ओर ले जाती है उसे दुर्गा कहते हैं।

दुर्गा माता की शक्ति के असंख्य स्वरूप | Do you know the history of Navratri, when and how it originated?

क्या आप जानते हैं नवरात्रि का इतिहास, इसकी शुरुआत कब और कैसे हुई? वेद पुराणों के अनुसार, दुर्गा माता की शक्ति के असंख्य स्वरूप हैं क्योंकि यह ब्रह्म व पकृति स्वरुप हैं। जिस प्रकार ब्रह्मा, विष्णु, महेश, रजो, सतो, तमो गुण प्रधान हैं। उसी प्रकार माता शक्ति में तीनों गुण प्रधान हैं, महाकाली रौद्र तमो, महालक्ष्मी सतो और महासरस्वती रजो गुण प्रधान हैं। महाकाली दुष्टों का संहार करती हैं, महालक्ष्मी संसार का पालन-पोषण और महासरस्वती जगत की उत्त्पत्ति व ज्ञान का संचार करती हैं।  दुर्गा करुणामयी है, बुराईयों का नाश करती है और अच्छाईयों का निर्माण करती है। भक्त माँ दुर्गा का पूजन जिस इच्छा से करते हैं,माँ उसे अवश्य पूर्ण करती है। नवरात्रि, मां दुर्गा की पूजा और आराधना के लिए समर्पित एक महत्वपूर्ण और प्रमुख व्रत एवं त्योहार है

मां दुर्गा की उत्पत्ति कैसे हुई?

देवी का नाम ‘दुर्गा’ क्यूँ पड़ा इस विषय मे एक कथा प्रचलित है – 

प्राचीन समय मे दुर्गम नाम का एक भयानक दैत्य था जो ब्रह्मा जी का वरदान पाकर महाबली हो गया था। वह पृथ्वी पर उत्पात मचाता था। ना कहीं यज्ञ होता था ना हवन और पृथ्वी पर वर्षा तक बंद हो गई थी। सरोवर, सरिताएं सूख गई थी। चारों ओर त्राहि त्राहि मची थी। पृथ्वी लोक के अलावा देवलोक मे भी दुर्गम राक्षस का अत्याचार बढ़ने लगा था। तब सभी देवता एकत्रित होकर माँ भवानी की शरण मे गए और हाथ जोड़कर प्रार्थना करने लगे। 

हे देवी, जिस प्रकार आपने शुंभ-निशुंभ, चंड-मुंड, महिषासुर तथा मधुकैटभ का वध कर के सारे विश्व की रक्षा की, उसी प्रकार हे माँ दुर्गम नामक दैत्य से हम सब की रक्षा करो। हे माँ घोर अकाल पड़ा है, हम सब आपकी शरण मे है, हमारी रक्षा करो। अपने भक्तों की ऐसी स्थिति देखकर माँ का हृदय करुणा से भर गया और माता नौ दिन और नौ रात रोती रहीं। उन्होंने अपने सैकड़ों नेत्रों से अश्रु जल की सैकड़ों धराएं प्रवाहित की। उसी से नौ दिनों तक त्रिलोक मे महान वृष्टि होती रही, इस जल से पृथ्वी की जलन मिट गई। नदियों मे पानी भर गया। देवताओं ने कृतज्ञ होकर माँ से प्रार्थना की – माँ दुर्गम दैत्य का वध करके वेदों को पुनः प्राप्त करवाईए। माता ने दुर्गम दैत्य से घमासान युद्ध किया और उसका वध करके वेदों को मुक्त कराया। दुर्गम दैत्य का वध करने के कारण ही माँ का नाम ‘दुर्गा’ पड़ा। नौ दिन, नौ रात अश्रुओं की अविरल धारा बहने का संकेत यही है की जो नवरात्रों मे माँ की पूजा-अर्चना करेगा, उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। आश्विन शुक्ल पक्ष मे नवरात्रि मे माँ दुर्गा की पूजा, धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष ये चारों फल देने वाली है। 

Kanya Poojan का विशेष महत्व | चैत्र नवरात्रि का महत्व

दुर्गा माँ, हिमालय की पुत्री भी मानी जाती है, उन्हे घर बुलाने के लिए उनकी माँ ने प्रार्थना की तो दुर्गापति भगवान शिव ने केवल नौ दिनों के लिए ही आज्ञा दी। इन नौ दिनों मे भगवती देवी सम्पूर्ण विश्व मे विचरण करती हैं, इसलिए नवरात्रि मे कन्या पूजन का विशेष महत्व है। 

भारत समन्वय परिवार की ओर से देवी दुर्गा के श्री चरणों में शत शत नमन। भारत माता चैनल का यह प्रयास है कि मातृभूमि की प्राचीनतम गौरवशाली संस्कृति की ये पावन गंगा.. अपनी अविरल पवित्रता से जनमानस के लिए कल्याणकारी हो और जन जन के ह्रदय में सदा जीवंत और अमर रहे।

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