राजा जनक ने राजा दशरथ को स्वयंवर का निमंत्रण क्यों नहीं दिया? | सीता स्वयंवर की अनसुनी कथा
इस तथ्य से समस्त संसार अवगत है की जनकपुरी मे सीता स्वयंवर का आयोजन हुआ था, और श्री राम ने शिव धनुष उठाने के पश्चात माता सीता से विवाह किया था। परंतु सोचने वाले बात है की आखिर श्री राम और लक्ष्मण गुरु वशिष्ठ के साथ क्यूँ गए थे? जबकि अन्य सभी राजाओं को स्वयंवर का निमंत्रण दिया गया था, लेकिन राजा दशरथ को नहीं। राजा जनक द्वारा निमंत्रण ना भेजे जाने का कारण एक घटना थी।
गौ-श्राप की घटना और एक व्यक्ति का जीवन बदल देने वाला निर्णय
एक बार राजा जनक के शासनकाल में एक व्यक्ति का विवाह हुआ, और वह पहली बार सज-सँवरकर अपनी ससुराल जा रहा था। कुछ दूर जाने पर रास्ते में एक जगह उसको दलदल मिला। उसने थोड़ा पास जाकर देखा, तो उसमें एक गाय फँसी हुई थी। जो मरने की दशा में आ गयी थी।
उस व्यक्ति के मन में गाय को बचाने का विचार आया। परन्तु उसने यह भी सोचा- "ये गाय तो कुछ देर में मरने वाली ही है। अगर मैं इसको यहाँ से बाहर निकालने इस दलदल में घुसा! तो मेरे कपड़े तथा जूते खराब हो जाएँगे और मैं अपनी ससुराल में ऐसी हालत में कैसे जा पाउँगा। यह सोचकर वह गाय के ऊपर पैर रखकर आगे बढ़ गया। जैसे ही वह आगे बढ़ा! गाय ने उस व्यक्ति को श्राप दे दिया कि जिसके लिए तू जा रहा है उसे देख नहीं पाएगा। यदि तू उसे देखेगा भी तो वह तत्काल ही मृत्यु को प्राप्त हो जाएगी। यह कहकर उस गाय की मृत्यू हो गई।
उस श्राप को सुनकर वह व्यक्ति दुविधा में फँस गया। अब वह व्यक्ति गौ-श्राप से मुक्त होने का विचार करने लगा। अत्यंत परेशानी मे वह ससुराल पहुंचा, फिर सोचने लगा की अगर मेरी दृष्टि मेरी पत्नी पर पड़ी तब क्या होगा? कुछ समय बाद परिवार के अन्य सदस्यों ने उसे घर के अन्दर चलने का अनुरोध किया, किन्तु वह नहीं गया। उसके मस्तिष्क में गाय के द्वारा दिया गया श्राप बार-बार गूँज रहा था। जब उसकी पत्नी को उसके घर के अन्दर न आने की बात पता चली। तो उसने कहा- "मैं ही चलकर उन्हें घर के अन्दर लेकर आती हूँ।"
पत्नी के काफ़ी बार पूछने और अनुरोध करने के बाद उस व्यक्ति ने अपनी पत्नी को सारा वृतान्त सुनाया। पत्नी ने कहा- "मैं भी पतिव्रता स्त्री हूँ। आप मेरी ओर तो देखो।" अपनी पत्नी की बात मानकर जैसे ही उसने नज़र उठाकर अपनी पत्नी की ओर देखा! वैसे ही उसकी आँखों की रोशनी चली गई। उस व्यक्ति की पत्नी भी पतिव्रता थी। इसी कारण उसकी मृत्यु नहीं हुयी।
राजा जनक का न्याय और पतिव्रता स्त्री की परीक्षा
यह देखकर पत्नी अपने पति को साथ लेकर राजा जनक के दरबार में गई। वहाँ जाकर उसने सारा वृत्तांत कह सुनाया। राजा जनक ने राज्य के सभी विद्वानों को सभा में बुलाकर समस्या बताई। उन्होंने अपने दरबार में बैठे हुए ब्राह्मणों को कहा- "हे ब्राह्मण देव! गौ- श्राप से निवृत्ति का कोई सटीक उपाय हो तो बतायें।"
सभी विद्वानों ने कहा- "कि यदि कोई पतिव्रता स्त्री छलनी में गंगाजल लाकर! उस जल के छींटे इस व्यक्ति की दोनों आँखों पर मारे। तो गौ-श्राप से मुक्ति मिल सकती है, तथा इसकी आँखों की रोशनी पुनः लौट सकती है। अपने राज्य के साथ ही राजा ने आस-पास के सभी राजाओं को सूचना पहुँचाई। उन्होनें उन्हें संदेश में कहा- "उनके राज्य में यदि कोई पतिव्रता स्त्री है। तो उसे ससम्मान राजा जनक के दरबार में भेज दिया जाए।
पतिव्रता की शक्ति और गौ-श्राप से मुक्ति
जब यह सूचना अयोध्या के राजा दशरथ को मिली। तो उन्होंने पहले अपनी सभी रानियों से पूछा। प्रत्येक रानी का यही उत्तर था कि राजमहल तो क्या आप राज्य की किसी भी महिला यहाँ तक कि झाडू लगाने वाली ही क्यों न हो उसे भी पतिव्रता ही पाएँगे। तब राजा दशरथ ने अपने राज्य की सबसे निम्न मानी जाने वाली सफाई करने वाली को बुलाया और उसे महिला को ही राज-सम्मान के साथ जनकपुर को भेज दिया।
राजा जनक ने उस महिला का स्वागत, सम्मान किया, और अगले दिन महिला छलनी लेकर गंगा किनारे गई। वहाँ पहुँच कर उसने प्रार्थना की-"हे गंगा माता! यदि मैं पूर्ण पतिव्रता हूँ। यदि मैने अपने तन और मन से अपनी पति को ही परमेश्वर माना हो। तो गंगाजल की एक बूँद भी छलनी से नीचे नहीं गिरनी चाहिए।" ऐसी प्रार्थना करके जब उसने गंगाजल को छलनी में भरा तो जल की एक बूँद भी नीचे नहीं गिरी। राजा और दरबार में उपस्थित सभी नर-नारी यह दृश्य देख आश्चर्यचकित रह गए। फिर जैसे ही उस महिला ने उस व्यक्ति की आँखों पर छींटे मारे वैसे ही उसकी आँखों की रोशनी वापस आ गयी।
ये देखकर दरबार में उपस्थित लोग बहुत ही प्रसन्न हुए। तब उस महिला को पूरे राजसम्मान के साथ पारितोषिक दिया गया। जिज्ञाशावश उस महिला से उसकी जाति के बारे में पूछा गया, तब उस महिला द्वारा बताए जाने पर, राजा आश्चर्यचकित हो गये। यही कारण था कि सीता स्वयंवर के समय राजा ने सोचा- कि जिस राज्य की सफाई करने वाली इतनी पतिव्रता है। तो उसका पति कितना शक्तिशाली होगा। यदि राजा दशरथ ने उसी प्रकार के किसी व्यक्ति को स्वयंवर में भेज दिया, और अगर उसने धनुष उठा लिया तब क्या होगा?
परंतु विधि का विधान कुछ और ही था, राजा दशरथ के पुत्र श्री राम सीता स्वयंवर मे गए और सीता माता से उनका विवाह हुआ।
रामायण से जुड़े अन्य रोचक तथ्य
यदि आप रामायण से जुड़ी और ऐसी ही रोचक कथाएँ पढ़ना चाहते हैं, तो रोचक तथ्य श्रेणी पर जाएँ या भारत माता यूट्यूब चैनल पर इस विषय पर विस्तार से वीडियो देखें।
भारत माता परिवार से जुड़ें और भारतीय संस्कृति, धर्म और अध्यात्म से संबंधित और भी प्रेरक कहानियाँ जानें।