Sardar Vallabhbhai Patel का संक्षिप्त परिचय

“एकता के बिना जनशक्ति शक्ति नहीं है जब तक,

उसे ठीक तरह से सामंजस्य में ना लाया जाए

और एकजुट न किया जाए, और तब यह

आध्यात्मिक शक्ति बन जाती है”

यह कथन है ‘भारत के लौह परुष’ सरदार वल्लभ भाई पटेल जी का. जिन्होंने भारत की एकता व शांति के लिए ऐसे प्रभावी कार्य किये, कि परिणाम स्वरुप आज उनके जन्मदिन को ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय एकता दिवस का आरम्भ वर्ष 2014 से हुआ. इस आयोजन का प्रमुख उद्देश्य सरदार वल्लभ भाई पटेल जी को श्रद्धांजलि देना है. 

इनका जन्म 31 अक्टूबर 1875 में गुजरात के नडियाद नामक स्थान पर हुआ था. सरदार जी एक अत्यंत धनी ज़मींदार परिवार के पुत्र थे. इनकी प्रारंभिक शिक्षा करमसद में और माध्यमिक शिक्षा पेटलाद में संपन्न हुयी. मात्र 16 वर्ष की आयु में ही इनका विवाह हो गया था, और 22 वर्ष की आयू में इन्होने मैट्रिक की परीक्षा पास कर ली. वर्ष 1900 में इन्होने गोधरा में वकालत के लिए एक स्वतंत्र कार्यालय स्थापित किया, और दो वर्षों के पश्चात् बोरसद में स्थानांतरित हुए. अगस्त 1910 में वल्लभ भाई पटेल लन्दन के middle temple महाविद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने गए. 

वहाँ उन्होंने पूरी लगन से पढ़ाई की और अंतिम परीक्षा को उच्च सम्मान के साथ उत्तीर्ण किया. 

इसके पश्चात् वर्ष 1913 में वल्लभ भाई पटेल भारत वापस आ गये, और अहमदाबाद में बैरिस्टर बन गये. वर्ष 1917 तक वो अपने, विनम्र व अच्छे व्यवहार, अंग्रेजी शैली की पोशाक और अहमदाबाद के गुजरात क्लब में अपनी चैंपियनशिप के लिए अत्यंत प्रसिद्ध थे. परन्तु वर्ष 1917 में राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी से प्रभावित हुए और उनके जीवन में अनेक परिवर्तन आये. पटेल जी ने गाँधी जी की अहिंसा नीति का पालन करना प्रारंभ किया. उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ भारतीय संघर्ष को आगे बढ़ाया. 

सरदार वल्लभ भाई पटेल के देश व देशवासियों के प्रति उद्देश्य व सन्देश अति स्पष्ट थे. 1928 में सरदार वल्लभ भाई पटेल जी ने बढ़े हुए करों के खिलाफ बारदोली के किसानों के प्रतिरोध का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया। बारदोली अभियान के कुशल नेतृत्व के बाद उन्हें सरदार अर्थात "नेता" की उपाधि दी गयी , और इसके पश्चात् उन्हें समस्त भारत में एक राष्ट्रवादी नेता के रूप स्वीकार किया गया. देश में आर्थिक व सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए वो गाँधी जी और नेहरु जी के विपरीत भी गए. 

स्वतंत्रता के पश्चात् वे प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू मंत्री मंडल में गृह मंत्री और उपप्रधान मंत्री बने। कार्यभार संभालने के प्रथम दिन से ही उनके सामने 562 रियासतों को भारतीय डोमिनियन के तहत एकीकृत करने का लक्ष्य था।

पटेल जी ने 6 अगस्त, 1947 को एकीकरण का कार्य प्रारंभ किया और अपनी राजनीतिक परिपक्वता के आधार पर कम अवधि में ही यह कार्य संपन्न भी किया. जूनागढ़, हैदराबाद और जम्मू-कश्मीर जैसे स्थानों पर कुछ विरोध हुआ, परन्तु सरदार जी के अथक प्रयासों ने समस्त चुनौतियों का सामना दृढ़ता से किया. उन्हें अखिल भारतीय नौकरशाही सेवा के निर्माण का श्रेय भी दिया जाता है क्योंकि उन्होंने महसूस किया कि भारत के विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक व्यवस्थित ढांचा महत्वपूर्ण है. सरदार जी के सम्मान में भारत सरकार ने विश्व की सबसे ऊंची 182 मीटर की प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' का निर्माण किया, और उनके ग्रहराज्य गुजरात में स्थापित किया. भारत सरकार द्वारा  राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान के लिए वर्ष 1991 में सरदार वल्लभ भाई पटेल जी को भारत रत्न से सम्मानित भी किया गया. 

भारत समन्वय परिवार ऐसे महान राजनेता और राष्ट्र भक्त को सादर प्रणाम करता है. उनके द्वारा किये गए एकता के अथक प्रयास प्रत्येक भारतीय को सदा-सदा के लिए प्रेरित करते रहेंगे.