माँ भारती का रक्तिम शृंगार Part-2 | भारत के स्वतंत्रता संग्राम की गुमनाम महिला स्वतंत्रता सेनानी 

भारत माता के पिछले विडिओ मे आपने जानी उन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के कई गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी की कहानी जो इतिहास के पन्नों मे कहीं छुप कर रह गए थे। लेकिन हमारा देश सदा से पुरुष प्रधान रहा है, और पुरुषों के बलिदान को ही सदा प्राथमिकता दी गई है। परंतु एक सत्य यह भी की जिस तरह आज की महिला सीमा पर देश की रक्षा कर रही है, उसी तरह भारत के स्वतंत्रता संग्राम की महिला नायको ने अहम भूमिका निभाई थी। जो नारी समाज मे अपनी ममता, कोमलता, और सहानुभूति के लिए जानी जाती है वो वीरांगना भी है। 

भारत के स्वतंत्रता संग्राम की गुमनाम महिला स्वतंत्रता सेनानी 

भारत माता के इस विडिओ में जानिए भारत की (unsung heroes women freedom fighters) अज्ञात वीरांगनाओं की कहानियाँ व महिला क्रान्तिकारियों की शौर्य गाथाएं। 

इस सूची मे Women Freedom Fighters: The Unsung Heroines पहला नाम है-

1.    मैडम भीखाजी कामा –

साल 1907 मे 46 साल की पारसी महिला भीकाजी कामा ने जर्मनी के स्टुटगार्ट में हुई दूसरी 'इंटरनेशनल सोशलिस्ट कांग्रेस' में ये झंडा फहराया था। ये भारत के वर्तमान झंडे से अलग, स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बनाए गए कई अनौपचारिक झंडों में से एक था। मैडम कामा पर किताब लिखनेवाले प्रोफ़ेसर बी.डी.यादव बताते हैं, "उस कांग्रेस में हिस्सा लेनेवाले सभी लोगों के देशों के झंडे फहराए गए थे और भारत के लिए ब्रिटेन का झंडा था, उसको नकारते हुए भीकाजी कामा ने भारत का एक झंडा बनाया और वहां फहराया।“

2.    मातंगिनी हजारा –

वर्ष 1932 में एक दिन इनकी झोंपड़ी के बाहर से सविनय अवज्ञा आंदोलन में एक विरोध यात्रा निकली। मातंगिनी भी उस यात्रा में शामिल हो गईं। उन्होंने नमक विरोधी कानून को नमक बनाकर तोड़ा। उससे उनकी गिरफ्तार हुई। फिर उन्होंने चौकीदारी कर रोको प्रदर्शन में हिस्सा लिया। उन्हे छह महीने की सजा सुनाई गई। जेल से बाहर आकर उन्होंने एक चरखा ले लिया और खादी पहनने लगीं। लोग उन्हें 'बूढ़ी '। पुलिस की चेतावनी पर भी वह नहीं रुकीं तो एक गोली उगांधी' के नाम से पुकारने लगे। 29 सितम्बर 1942 का दिन था। उन्होंने कहा 'मैं फहराऊंगी तिरंगा, आज कोई मुझे कोई नहीं रोक सकतानके दाएं हाथ पर मारी गई। अंग्रेजों ने 72 साल की उम्र में उन्हें गोलियों से छलनी कर दिया, लेकिन उन्होंने मरते दम तक तिरंगे को नहीं गिरने दिया और अंतिम सांस तक उनके मुंह से वंदे मातरम निकलता रहा।

3.    कैप्‍टन लक्ष्मी सहगल -

जुलाई 1943 में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस से प्रभावित होकर स्वतंत्रता संग्राम महिला लक्ष्मी सहगल ने उनके साथ काम करने के इच्छा व्यक्त की। जैसे ही डॉ. लक्ष्‍मी टीम में शामिल हुई वैसे ही आज़ाद हिन्द फौज़ की पहली महिला रेजिमेंट बनी जिसका नाम रानी झाँसी रेजिमेंट रखा गया। द्वितीय विश्व युद्ध में सिंगापुर में पकड़े गये आज़ाद हिन्द सैनिकों में डॉ. लक्ष्मी भी थीं। जुलाई 1946 को भारत लाये जाने के बाद उन्हें बरी कर दिया गया था। 1998 में उन्हें भारत सरकार द्वारा उल्लेखनीय सेवाओं के लिए पद्म विभूषण से सम्मनित किया गया। 

4.    तारा रानी श्रीवास्तव –

तारा रानी श्रीवास्तव एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थीं, जिन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 12 अगस्त 1942 को उन्होंने और उनके पति फुलेंदु बाबू ने सीवान पुलिस स्टेशन के सामने भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए एक मार्च का आयोजन किया। यह कार्य सरकार के प्रति एक महत्वपूर्ण अवज्ञा के रूप में देखा गया। मार्च के दौरान पुलिस ने फुलेंदु बाबू को गोली मार दी। तारा रानी ने अपने पति की चोटों को प्राथमिक चिकित्सा देने के बाद भी मार्च जारी रखा और पुलिस स्टेशन पर झंडा फहराने का प्रयास किया। उनके पति की मृत्यु के बाद, 15 अगस्त 1942 को छपरा में एक प्रार्थना सभा आयोजित की गई थी। इतना सब होने के बाद भी तारा रानी ने 15 अगस्त 1947 तक स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया।

5.    अरुणा आसफ अली –

वह स्वतंत्रता सेनानी जिन्हे भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान प्रसिद्ध मिली। वह एक निडर और साहसी नेता थीं। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विभिन्न विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया था। उन्होंने जीवन भर महिलाओं के अधिकारों और सामाजिक न्याय के लिए लड़ाई लड़ी। उनकी विरासत भावी पीढ़ियों को स्वतंत्रता और समानता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित करती रहेगी। भारत के स्वतंत्रता संग्राम की महिला नायक के रूप मे महत्वपूर्ण योगदान के कारण उन्हें 'ग्रैंड ओल्ड लेडी ऑफ इंडियन इंडिपेंडेंस' की उपाधि मिली। 

इन सभी वीरांगनाओं (Unsung women freedom fighters of India) की प्रामाणिक जानकारी का नितांत अभाव रहा है। परंतु भारत माता चैनल का प्रयास है की इन सभी महान विभूतियों का त्याग और बलिदान सदा सदा के लिए एक प्रेरणारूपी  दीपक बन कर हमारे समक्ष प्रज्ज्वलित रहे। जानिए भारत के अन्य अज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों (Women Freedom Fighters: The Unsung Heroines) की कहानी भारत माता चैनल के साथ।