माँ भारती का रक्तिम शृंगार Part-3 | Unsung Freedom Fighters | Freedom Fighters | Bharat Mata

इस देश के कुछ महान व्यक्तित्वों के बलिदानों और संघर्षों ने भारत वासियों को आज़ादी की राह पर चलने की प्रेरणा दी थी। लेकिन भारतीय इतिहास में कुछ ऐसे अद्वितीय नायक भी हैं जिनके त्याग और समर्पण को अधिकांश लोग नहीं जानते। स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने अपने जीवन की सर्वोच्च योगदान दिया, परंतु उनकी कहानियां गुमनामी के अंधेरे में खो गई।

गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी के नाम:

आज, हम भारत माता के इस वीडियो में ऐसे ही कुछ गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में जानेंगे जिनका संघर्ष और बलिदान भारत की स्वतंत्रता की नींव को मजबूत करने में महत्वपूर्ण था। आईए जानते हैं संघर्ष, वीरता, और अदम्य साहस की कहानियाँ - माँ भारती का रक्तिम शृंगार भाग 3 मे। 

सुचेता कृपलानी

सुचेता कृपलानी ने वर्ष 1940 में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भाग लिया था। इसमें 1942 के Quit India आंदोलन में उनकी भागीदारी भी शामिल थी—उन्होंने सरकार की गिरफ्तारी से बचने में सफलता पाई, हालांकि उन्हें अंततः 1944 में गिरफ्तार कर लिया गया और एक साल तक नजरबंद रखा गया था। 1946 में, सुचेता कृपलानी को संयुक्त प्रांतों से संविधान सभा के लिए चुना गया। वे ध्वज प्रस्तुति समिति की सदस्य थीं, जिसने संविधान सभा के समक्ष पहला भारतीय ध्वज प्रस्तुत किया गया था। 

चितरंजन दास 

चितरंजन दास, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेताओं में से एक, अपने विविध योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्हें देशबंधु के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने कभी भी अपने सिद्धांतों और विचारों से समझौता नहीं किया। गांधीजी के आंदोलनों का विरोध करने के बावजूद, वे गांधीजी के आंदोलन के लिए जेल जाने से भी हिचकिचाए नहीं। चितरंजन दास की शुरुआत बंगाल के क्रांतिकारी संगठन अनुशीलन समिति में सक्रियता से हुई। स्वदेशी के विचारों से प्रभावित होकर, दास जी ने बंगाल में गांवों के पुनर्निर्माण, स्थानीय स्वशासन की स्थापना, और कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए। उनके इन प्रयासों ने उन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक नेता के रूप में स्थापित किया।

बटूकेश्वर दत्त

बटुकेश्वर दत्त एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने 1924 में भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद से मिलकर हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) में शामिल होने का निर्णय लिया। 8 अप्रैल 1929 को, दत्त और भगत सिंह ने केंद्रीय विधानसभा में धुएं के बम फेंककर पब्लिक सेफ्टी बिल और ट्रेड डिस्प्यूट बिल के विरोध में प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने "इंकलाब जिंदाबाद" का नारा लगाया और " To make the deaf hear" शीर्षक वाले पर्चे वितरित किए। इस साहसिक कदम के बाद, उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया ताकि अन्य क्रांतिकारी भी स्वतंत्रता संग्राम में भाग ले सकें। बटुकेश्वर दत्ता को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई, जहां उन्होंने कठोर उपनिवेशी अत्याचारों का सामना किया। 

हेमू कलानी

कहते हैं हेमू जब सिर्फ सात साल के थे, तभी तिरंगा लेकर अंग्रेजों की बस्ती में चले जाते थे। हेमू ने 1942 में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने 'अंग्रेजो, भारत छोड़ो' के नारे के तहत भारतीयों को विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार और स्वदेशी अपनाने के लिए प्रेरित किया। सिंध के क्रांतिकारियों को सूचना मिली कि 23 अक्टूबर 1942 को एक रेलगाड़ी बलूचिस्तान में चल रहे उग्र आंदोलन को कुचलने के लिए भेजी जाएगी। हेमू कालाणी, उनके सहयोगी नंद और किशन ने इस रेलगाड़ी को नष्ट करने की योजना बनाई। वे रेल की पटरियों को तोड़ने में लगे थे, लेकिन गश्त कर रहे सिपाहियों ने हेमू को पकड़ लिया। न्यायालय ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई, जिसे कर्नल रिचर्डसन ने फांसी में बदल दिया था। 21 जनवरी 1943 को हेमू कालाणी को फांसी पर चढ़ा दिया गया था।

झलकारी बाई 

झलकारी बाई एक साहसी योद्धा थीं जिन्होंने हथियार चलाने की ट्रेनिंग ली थी। सन् 1857 की क्रांति के दौरान, वे रानी लक्ष्मीबाई के 'दुर्गा दल' में शामिल हुईं। जब दिमान दूल्हा जू ने रानी लक्ष्मीबाई को धोखा देकर किले का गेट खोल दिया और अंग्रेजों ने किले को घेर लिया, झलकारी बाई ने रानी का रूप धारण कर अंग्रेजी सेना से बहादुरी से लड़ा। झलकारी बाई ने खुद को पहचानने वाले मुखबिर को गोली मार दी, ताकि रानी की पहचान उजागर न हो सके। एक बड़े हमले के दौरान, झलकारी बाई की मृत्यू हो गई और उन्होंने अपनी अंतिम सांस ‘जय भवानी’ के उद्घोष के साथ ली थी।

शत-शत नमन उन वीर स्वतंत्रता सेनानियों को, जिन्होंने अपने अमूल्य बलिदान और अनथक संघर्ष से भारत की स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त किया। इन महान विभूतियों की आत्मा का त्याग और साहस सदैव हमारे दिलों में एक प्रेरणा की ज्योति के रूप में चमकता रहेगा।
भारत माता चैनल के साथ जुड़कर जानिए उन अज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों की अद्वितीय कहानियाँ, जिन्होंने हमारे स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी।