Maa Chandraghanta : माँ दुर्गा की तृतीय स्वरूपा माँ चंद्रघंटा का भव्य अवतरण | Bharat Mata
नवरात्रि के तीसरे दिन माँ दुर्गा के तीसरे रूप चंद्रघंटा देवी के वंदन, पूजन और स्तवन करने का विधान है। चंद्रघंटा देवी के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्ध चंद्रमा विराजमान है इसलिए उन्हे चंद्रघंटा नाम से संबोधित किया जाता है।
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।
चंद्रघंटा देवी का स्वरुप
चंद्रघंटा देवी देह का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है और माँ का वाहन सिंह है। चंद्रघंटा देवी के दस हाथ हैं और ये कमल, धनुष, बाण, खड्ग, कमंडल, तलवार, त्रिशूल और गदा आदि जैसे अस्त्र और शस्त्र से सुसज्जित हैं। माँ के कंठ में श्वेत पुष्प की माला और शीर्ष पर रत्नजड़ित मुकुट विराजमान है। माता चंद्रघंटा युद्ध की मुद्रा में विराजमान रहती है और तंत्र साधना में मणिपुर चक्र को नियंत्रित करती हैं। मान्यता है कि देवी के इस रूप की पूजा करने से मन को अलौकिक शांति प्राप्त होती है।
Bharat Mata की ओर से आप सभी को नवरात्रि के तृतीय दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
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