भारत माता की इस प्रस्तुति मे माता तुलसी और भगवान शालीग्राम के विवाह की कथा का विस्तृत वर्णन किया गया है, जो की हिन्दू धर्म के प्रमुख व्रत एवं त्योहारों मे से एक है।
सनातन धर्म मे फाल्गुन मास की शिव रात्री (Shivratri Utsav) का बहुत महत्व है. शिव रात्री से जुड़ी अनेक कथाएं हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर महादेव पहले बार शिवलिंग के स्वरूप में प्रगट हुए थे।
भारत माता की यह प्रस्तुति विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ पूरी रथ यात्रा को समर्पित है। इस यात्रा को परम भक्ति एवं आस्था का केंद्र माना जाता है। जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा हिंदू पौराणिक कथाओं और संस्कृति में बहुत महत्व रखती है। रथ यात्रा का आयोजन पुरी में किया जाता है, जो ओडिशा का एक प्रमुख शहर है।
त्रिशूर पूरम Thrissur Pooram Festival केरल के त्रिशूर जिले की संस्कृति और परंपरा का एक उत्सव है, जो वडक्कुमनाथन मंदिर में आयोजित किया जाता है। यह उत्सव वडक्कुनाथन मंदिर पर केंद्रित है जहाँ भगवान शिव को श्रद्धा अर्पित करने के लिये जुलूस भेजा जाता है। अन्य व्रत एवं त्योहारों की जानकारी - Bharat Mata
करगा महोत्सव, बैंगलोर का एक प्रमुख त्योहार है जो चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। करगा, देवी द्रौपदी को समर्पित एक वार्षिक उत्सव है, जो उन्हें नारी शक्ति का प्रतिनिधित्व करने वाली आदर्श महिला के रूप में सम्मानित करता है।
गुरु नानक जयंती, जिसे गुरपुरब के नाम से भी जाना जाता है। सिखों द्वारा समस्त संसार में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण व पवित्र त्योहार है। यह गुरु नानक देव जी की जयंती को को चिह्नित करता है।
भारतीय हिन्दू पंचांग सूर्य मास और चन्द्र मास की गणना के अनुसार चलता है। अधिक मास चन्द्र वर्ष का एक अतिरिक्त भाग है जो हर 32 माह 16 दिन और 8 घन्टों के अंतर से आता है।
होली से सम्बंधित कई ऐतिहासिक एवं पौराणिक कथाएँ हैं। मान्यता है कि प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नामक बलशाली असुर था, जो भगवान विष्णु का घोर विरोधी था।
रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है। इस लेख में रक्षाबंधन के इतिहास, भगवान श्रीकृष्ण और द्रौपदी की कहानी, दानवराज बलि और माता लक्ष्मी की कथा, और रानी कर्णावती और हुमायूं की कहानी का विवरण प्रस्तुत किया गया है।
भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म में शिवजी की आराधना देवों के देव महादेव के रूप में की जाती है। भगवान शिव शंकर को सावन माह अत्यंत प्रिय है, और इसी कारण सावन माह को भारतीय जनमानस में श्रद्धा और आनंदमय माना जाता है।
भारतवर्ष में इस त्यौहार को मनाने के विभिन्न रीति-रिवाज हैं किन्तु अंततः इन सभी का मूल रूप एवं सन्देश एक ही है – सत्य की विजय
चैत्र शुक्ल नवमी के दिन त्रेता युग में रघुकुल शिरोमणि महाराज दशरथ एवं महारानी कौशल्या के यहाँ अखिल ब्रम्हांड नायक ने पुत्र के रूप में जन्म लिया था। दिन के 12 बजे जैसे ही सौन्दर्य निकेतन शंख, चक्र, गदा एवं पद्म धारण किये हुए चतुर्भुज धारी श्री राम प्रगट हुए तो मानो माता कौशल्या उन्हें देखकर विस्मित हो गईं।