माँ दुर्गा की प्रथम स्वरूपा माँ शैलपुत्री का भव्य अवतरण | Maa Shailputri | Bharta Mata

माँ शैलपुत्री, माँ दुर्गा के नवरूपों की प्रथम स्वरूपा हैं। नवरात्र-पूजन में प्रथम दिवस इन्हीं की पूजा और उपासना की जाती है। मान्यता है कि माँ शैलपुत्री मूलाधार चक्र की अधिष्ठात्री देवी हैं जो मानव जाति के आध्यात्मिक ज्ञान के आरम्भ का प्रतीक है। 

वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढ़ाम् शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

माँ शैलपुत्री स्वरुप की पौराणिक कथा

एक कथा के अनुसार देवी पार्वती महादेव से विवाह के पश्चात हर वर्ष नौ दिनों के लिए पृथ्वी पर आती थीं। नवरात्रि के प्रथम दिन पर्वतराज अपनी पुत्री का स्वागत करके उनकी पूजा करते थे इसलिए नवरात्र के पहले दिन मां के शैलपुत्री रुप की पूजा की जाती है। पार्वती पर्वतराज हिमालय की पुत्री थीं। पर्वत को शैल भी कहा जाता है इसलिए माता का प्रथम रूप शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है। माता शैलपुत्री का वाहन वृषभ है। मां के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ मे कमल है।

Bharat Mata (A digital plateform to provide knowledge of indian culture and heritage) की ओर से आप सभी को नवरात्रि के प्रथम दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

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