विजयादशमी रामराज्य स्थापना का पर्व कैसे है ? | Vijay Dashmi

विजयादशमी: सत्य की विजय का प्रतीक

10 विकृतियों से निर्मित रावण मनुष्य में सदैव ही वास करता रहा है, किंतु सत्य, प्रेम एवं सहृदयता रूपी राम द्वारा इस फनकार रूपी रावण का अंत मनुष्य में अंतर्निहित मानवता का परिचायक है। यही परिचय उस त्योहार का है जो सत्य की असत्य पर विजय का प्रतीक है, दशहरा

दशहरा: एक प्रेरणादायक पर्व

दशहरा, जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है, भारतवर्ष में मनाए जाने वाले अत्यंत महत्वपूर्ण एवं प्रेरणादायक पर्वों में से एक है। इस त्योहार को मनाने के विभिन्न रीति-रिवाज हैं, किंतु अंतत: इन सभी का मूल रूप एवं संदेश एक ही है: सत्य की विजय। विजय दशमी स्वयं के भीतर की तमस रूपी विकृति कांत एवं अधर्म पर धर्म की स्थापना का उज्जवल प्रतीक है। यह पर्व संपूर्ण मानवता के लिए एक आध्यात्मिक संदेश भी है कि अपने भीतर की नकारात्मकता को सकारात्मकता द्वारा पराजित कर एक नवीन आरंभ करना चाहिए।

ऐतिहासिक संदर्भ

हिंदू पंचांग के अनुसार, दशहरा आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, प्रभु श्री राम अपनी पत्नी सीता एवं अनुज लक्ष्मण सहित 14 वर्षों के लिए वनवास गए थे। उनके वनवास काल में लंका पति, अशोक सम्राट रावण ने माता सीता का अपहरण कर उन्हें लंका की अशोक वाटिका में बंधक बना लिया। तब श्री राम ने अपनी पत्नी के सम्मान की रक्षा हेतु और असुर राज्य रावण के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए अपने अनुज लक्ष्मण, राम भक्त हनुमान, वानरराज सुग्रीव, जामवंत, नल-नील आदि महारथियों से संपन्न वानर सेना के साथ रावण की सेना सहित लंका में भीषण युद्ध किया था।

मां दुर्गा की आराधना

ऐसी मान्यता है कि युद्ध से पूर्व प्रभु श्रीराम ने मां दुर्गा की आराधना कर शक्ति का आवाहन किया। मां ने श्री राम की परीक्षा लेते हुए पूजा के लिए रखे गए कमल के पुष्प पर कुछ में से एक पुष्प को अवश्य कर दिया। पूजा में विघ्न उत्पन्न हो गया। इस कारण से राजीव नयन अर्थात कमर से नेत्रों वाले श्रीराम ने अपना एक नेत्र मां को अर्पण करने का निर्णय लिया। देवी प्रसन्न होकर उनके समक्ष प्रकट हुईं और उन्हें विजयी होने का वरदान प्रदान किया। इसके पश्चात हुए भीषण युद्ध में प्रभु श्री राम के अद्भुत शौर्य और उनकी वानर सेना के अद्वितीय पराक्रम के कारण रावण की पराजय हुई और अश्विन मास की दशमी तिथि को प्रभु श्रीराम ने रावण का वध किया।

विजय की विभिन्न मान्यताएँ

रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्रीराम की अनुपम एकता एवं पराक्रम को रावण वध के दोहे और चौपाइयों में समाहित किया है। एक अन्य मान्यता के अनुसार, असुर राज्य ने देवताओं को पराजित कर पृथ्वी पर अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया था। ब्रह्मा से वरदान के अनुसार, महिषासुर को न तो कोई पुरुष और न कोई देवता वध कर सकते थे। तब देवी भगवती का आवाहन किया गया, और नवरात्रि के उपरांत दशमी तिथि को उन्होंने महिषासुर का वध किया।

दशहरा का उत्सव

दशहरा देश के विभिन्न भागों में अत्यंत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, जिसमें मैसूर में मनाया जाने वाला दशहरा प्रमुख रूप से लोकप्रिय है। मैसूर के महल को विजयादशमी पर भव्य रूप से सजाया जाता है और यहां देश-विदेश से आए हुए पर्यटक इस वर्ष उत्सव पर जंबो सवारी की झांकी भी देखने का सौभाग्य प्राप्त करते हैं।

सामाजिक और धार्मिक एकता

दशहरा के अवसर पर रामलीला का आयोजन होता है, जिसमें विजयदशमी पर रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतलों को जलाकर बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश दिया जाता है। विजयादशमी को दुर्गा पूजा के रूप में भी मनाया जाता है, जिसमें मां दुर्गा की आराधना की जाती है। भारत में पश्चिम बंगाल में मनाई जाने वाली दुर्गा पूजा विशेष रूप से प्रसिद्ध है।

इस प्रकार, देश के विभिन्न राज्यों में विभिन्न रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाने वाला दशहरा एक आदर्श उत्सव है। इसका रूप भले ही परिवर्तित हो, किंतु आत्मा सदैव सम्मान रहती है, जो हम के भीतर के असुर का अंत करना सिखाती है। जिस प्रकार प्रभु श्रीराम ने असुर राज्य रावण पर विजय प्राप्त कर अधर्म पर धर्म की विजय स्थापित की, उसी प्रकार मनुष्य को स्वयं व्याप्त 10 विकृतियों वाले दशानन रावण पर विजय प्राप्त करनी होगी।

आत्म-साक्षात्कार का मार्ग

यह आत्मा की विजय प्राप्त करना सरल एवं सहज नहीं है, क्योंकि इसके लिए स्वयं से युद्ध करना होगा और अपने भीतर के रावण का वध करने के लिए स्वयं राम बनना होगा। जिस दिन ऐसा संभव हो सकेगा, उस दिन विजयादशमी का पर्व सार्थक हो जायेगा।

Bharat Mata परिवार की ओर से आप सभी को विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं!

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