हरिद्धार दर्शन यात्रा | Haridwar Darshan | Har ki Pauri Darshan | Bharat Mata
जब कभी प्राकृतिक सौन्दर्य.. वृहद् इतिहास.. उदार तथा भव्य संस्कृति एवं सभ्यता के समन्वय की चर्चा होती है.. तब विशाल भारत की अद्भुत छवि स्वतः ही अंतर्मन में विचरण करने लगती है। भारत की इस अद्भुत छवि के ह्रदय के रूप में सुशोभित है - हरिद्वार।
हरिद्वार | Haridwar temple
हरिद्वार.. भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता का अनुपम परिचायक है.. जो प्रकृति की सुन्दरता तथा धार्मिक महत्ता का अद्वितीय संगम है। देवभूमि उत्तराखंड का अति-महत्वपूर्ण नगर हरिद्वार.. हिन्दू धर्म के अनुसार एक प्रमुख तीर्थ स्थल है.. जो हिन्दुओं के सात पवित्र तीर्थ स्थलों अर्थात सप्तपुरियों में से एक है। उत्तर भारत में शिवालिक पर्वतमाला की तलहटी पर.. पवित्र पावन गंगा नदी के तट पर स्थित हरिद्वार.. ‘धर्म की नगरी’ की उपाधि से विभूषित है। समुद्र तल से 3139 मीटर की ऊँचाई पर स्थित अपने स्त्रोत.. गोमुख गंगोत्री से 253 किमी की यात्रा कर गंगा मैय्या.. हरिद्वार के क्षेत्र में प्रवेश करती हैं.. इसी कारण हरिद्वार को गंगाद्वार भी कहा जाता है।
देवभूमि उत्तराखंड के चार पवित्र धाम – बद्रीनाथ.. केदारनाथ.. गंगोत्री एवं यमनोत्री के प्रवेश द्वार के रूप में भी हरिद्वार भारतीय मानचित्र पर प्रतिष्ठित है। हरिद्वार अर्थात हरि का द्वार.. मंदिरों एवं आश्रमों का नगर है.. जिसका पवित्र और आभामयी वातावरण.. सभी को मंत्रमुग्ध कर देता है।
हरिद्वार.. उन चार पवित्र भारतीय नगरों में से एक है.. जहाँ हर 12 वर्षों में लाखों हिंदू भक्तों के एक पवित्र कुंभ मेले का आयोजन होता है तथा हर 6 वर्षों में अर्ध-कुम्भ का आयोजन होता है। हरिद्वार में हर वर्ष.. वर्षा ऋतु में कांवर मेले का भी आयोजन होता है। अपनी धार्मिक एवं आध्यात्मिक अनुभूति के कारण.. हरिद्वार.. सम्पूर्ण विश्व में धार्मिक तीर्थयात्रियों की आस्था एवं श्रद्धा का केंद्र है।
हरिद्वार की परिधि में स्थित 'पंच तीर्थ'.. गंगाद्वार अर्थात हर की पौड़ी.. कुशवर्त घाट.. कनखल.. बिल्व तीर्थ और नील पर्वत श्रद्धालुओं के मनमानस को सदैव ही आकर्षित करते रहे हैं।
हरिद्वार एक आध्यात्मिक स्थान | Haridwar a spiritual place
उत्तराखंड के तीर्थों में से एक.. कनखल.. प्राचीन काल से ही हरिद्वार के समान धार्मिक आस्था की परिपाटी पर सम्मान से सुशोभित है। कनखल अर्थात खल से मुक्त क्षेत्र.. हरिद्वार से निकट दक्षिण दिशा में स्थित है।
शिव पुराण के अनुसार.. कनखल राजा दक्ष प्रजापति की राजधानी थी.. जो ब्रह्माण्ड के अधिपति थे। वीरता एवं सफलता से मदांध दक्ष.. भगवान शिव के घोर विरोधी तथा अपनी पुत्री सती के भगवान शिव से विवाह करने के विरुद्ध थे। इसी कारण कनखल में जब उन्होंने विराट यज्ञ का आयोजन किया.. तब उसमें भगवान शिव एवं सती को आमंत्रित नहीं किया। निमंत्रण न होने पर भी.. सती हठपूर्वक.. अपने पिता द्वारा आयोजित यज्ञ में पहुंची.. जहाँ दक्ष ने उनका एवं उनके पति भगवान शिव का अनादर किया। दक्ष के इस कुकृत्य पर.. क्रोधवश सती स्वयं अग्नि में दग्ध हो गयीं। ये समाचार महादेव को प्राप्त होते ही.. उन्होंने अपनी जटा से वीरभद्र को उत्पन्न किया एवं उसे दक्ष का वध करने का आदेश दिया। वीरभद्र ने शिव के विरोधी देवताओं तथा ऋषियों को यथायोग्य दंड दिया तथा दक्ष के सिर को काट कर हवन कुंड में जला डाला। तत्पश्चात ब्रह्माजी एवं अन्य देवगणों द्वारा स्तुति किए जाने पर.. भगवान शिव ने दक्ष के शीश के स्थान पर बकरे का शीश प्रदान कर.. दक्ष का उद्धार किया।
जिस स्थान पर माता सती ने अग्निकुंड में आहुति दी थी.. उसे सतीकुंड की संज्ञा अर्जित है तथा कनखल में स्थित इस यज्ञस्थली को दक्षेश्वर महादेव मंदिर नामक सिद्ध मंदिर के रूप में ख्याति प्राप्त है।
कनखल की पावन भूमि पर अनेक मंदिर स्थित हैं.. जिनमें गंगा मंदिर.. इच्छा प्रदान हनुमान मंदिर.. शनिदेव मंदिर.. संतोषी माता मंदिर तथा तिल भागेश्वर मंदिर प्रमुख हैं। कनखल की भव्यता के प्रतीक के रूप में सुशोभित पारदेश्वर महादेव मंदिर.. एक ऐसा अद्वितीय एवं महिमामयी मंदिर है.. जहाँ भगवान शिव शुद्ध पारद अर्थात पारे के स्वरुप में विराजमान हैं। पारद शिवलिंग की कृपा से धन-धान्य.. यश.. आरोग्य.. सुख आदि की प्राप्ति होती है.. तथा असंख्य भक्त यहाँ हर वर्ष दर्शन के लिए पहुँचते हैं।
हरिद्वार का ऐतिहासिक महत्व | Historical importance of Haridwar
प्राचीनतम जीवित तीर्थों में से एक.. हरिद्वार.. प्राचीन हिन्दू शास्त्रों में भी उल्लेखित है जिसका इतिहास महात्मा बुद्ध के समय से ब्रिटिश साम्राज्य तक विस्तृत है। मान्यता है कि हरिद्वार को स्वयं त्रिदेव – ब्रम्हा.. विष्णु.. महेश ने अपने आशीर्वाद से गौरवान्वित किया है। पुराणों में हरिद्वार को.. गंगाद्वार के अतिरिक्त.. मायाक्षेत्र.. मायातीर्थ.. मायापुरी तथा सप्तस्त्रोत की संज्ञा से भी उल्लेखित किया गया है। पौराणिक अनुश्रुतियों के अनुसार.. हरिद्वार कपिल मुनि के तपोवन का क्षेत्र था.. जिस कारण से इसे कपिलास्थान भी कहा जाता है। भगवान शिव एवं भगवान विष्णु के अनुयायियों द्वारा.. इसे क्रमशः हरद्वार तथा हरिद्वार की संज्ञा से उच्चारित किया जाता है।
हरिद्वार में स्थित हर की पैड़ी अथवा हरि की पौड़ी.. सर्वाधिक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है.. जिससे सम्बंधित अनेक मान्यताएं प्रचलित हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार.. समुद्र मन्थन के पश्चात्.. जब धन्वंतरी देवता.. अमृत के लिए युद्ध कर रहे देव-दानवों से बचाकर.. अमृत ले जा रहे थे तो पृथ्वी पर अमृत की कुछ बूँदें गिर गई और वे स्थान धार्मिक महत्व वाले स्थान बन गए। अमृत की बूँदे हरिद्वार में भी गिरीं और जहाँ पर वे गिरी थीं.. वो स्थान हर की पौड़ी था। एक अन्य प्रचलित मान्यता के अनुसार श्री हरि विष्णु यहाँ आए थे। इस स्थान पर हरि के पैर पड़ने के कारण.. इसे हरि की पैड़ी कहा गया.. जो अब लोकोच्चारण द्वारा हर की पौड़ी में परिवर्तित हो चुका है।
हरिद्वार की ह्रदय-स्थली – हरि की पैड़ी.. में स्नान करना भक्तों की कामना होती है क्योंकि यह माना जाता है कि यहाँ पर स्नान से मोक्ष की प्राप्ति होती है। ब्रह्मा.. विष्णु.. महेश के वास के कारण.. हर की पैड़ी को ब्रह्मकुंड भी कहा जाता है। ऐतिहासिक मान्यता है कि देवी गंगा के स्वर्ग से धरती पर उतरने के पश्चात्.. इसी स्थल पर ब्रह्माजी ने उनका स्वागत किया था।
हरिद्वार में प्राचीन मंदिर
हरिद्वार में नील पर्वत के शिखर पर स्थित माता चंडी देवी मंदिर अत्यंत रमणीय स्थल है जो यहाँ की गौरवमयी आभा में वृद्धि करता है। शिवालिक पर्वतमाला के बिल्व पर्वत पर स्थित बिल्व तीर्थ जो मनसा देवी मंदिर के रूप में भी प्रसिद्ध है, भक्तों की मनोकामना पूर्ण करने के लिए विख्यात है। हरिद्वार की भव्यता में वृद्धि करने में यहाँ पर स्थित गायत्री शक्तिपीठ शांतिकुंज माया देवी मंदिर सिद्धपीठ सप्तऋषि आश्रम कुशवर्त घाट गंगा-आरती एवं राजाजी नेशनल पार्क आदि का भी प्रमुख योगदान है।
हरिद्वार में घूमने के लिए शीर्ष 7 मंदिर, ऋषिकेश हरिद्वार मंदिर | Top 7 Temples To Visit In Haridwar
हरिद्वार.. केवल धार्मिक ही नहीं कला विज्ञान एवं संस्कृति के क्षेत्र में भी सम्पूर्ण विश्व के आकर्षण का केन्द्र है। हरिद्वार यहाँ की आयुर्वेदिक औषधियां एवं हर्बल उपचारों के साथ ही.. गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की अनुपम गुरुकुल विद्या पद्धति के लिए भी विश्वप्रसिद्ध है। देहरादून.. ऋषिकेश तथा देवप्रयाग के निकट स्थित हरिद्वार.. प्रकृति प्रेमी पर्यटकों के लिए स्वर्ग के समान है एवं इन पर्यटक स्थलों के लिए आधार गंतव्य भी है। हरिद्वार केवल अपनी धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्ता ही नहीं.. उत्तराखंड के राज्य औद्योगिक विकास निगम तथा भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड के कारण भी प्रसिद्ध है।
धर्म की नगरी हरिद्वार में स्थित.. परम पूज्य स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज द्वारा स्थापित भारत माता मंदिर.. हरिद्वार की विशिष्टता के रूप में विद्यमान है। भारतीयता की भावना से ओतप्रोत.. 180 फ़ीट ऊँचे भारत माता मंदिर के आठों तल.. भारत की महिमा से सम्बंधित विषयों के प्रति समर्पित हैं। भारत के गौरवध्वज को फहराता.. भारत माता मंदिर.. हरिद्वार की पावन भूमि की शोभा में वृद्धि समान है।
भारतीय संस्कृति एवं धर्म का दर्पण एवं मनुष्य के मोक्ष के द्वार हरिद्वार को Bharat Mata परिवार की ओर से कोटि-कोटि प्रणाम।
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