सैनिक तुझे सलाम | Sainik Tujhe Salam | स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महराज | Republic Day | Kavita

सैनिक एक भावपूर्ण शब्द है जो पूर्ण रूप से राष्ट्र गौरव को समर्पित देशभक्ति त्याग अनुशासन और सर्वोच्च बलिदान के संगठित स्वरूप को सैनिक की संज्ञा से विभूषित किया जाता है। सैनिक की भूमिका सर्वोपरि और अद्वितीय होती है वह राष्ट्र के लिए चीता है और तिरंगे के लिए अपने प्राणों की आहुति दे देता है। वह इतिहास का रचयिता होता है और अंततः इतिहास के पृष्ठों में ही उसे अमरता की प्राप्ति होती है। परम श्रद्धेय गुरु जी स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि जी महाराज के शब्दों में उनकी कविता सैनिक तुझे सलाम प्रस्तुत है

युद्धभूमि मसिपात्र है सैनिक एवं समाधान

युद्धभूमि मसिपात्र है सैनिक कलम समान

बलिदानों के पृष्ठ पर गाथा लिखी महान सीमा

पर प्रहरी बने नहीं सुविधा की चाह सीमा पर

प्रहरी बने नहीं सुविधा की चाह पटीर में

वास कर चले समर की राह पटीर निवास कर चलें

समर गिरा सुख निद्रा में लीन चक्र सैनिक

खोल सुख निद्रा में लीन जग सैनिक खोज

मात्रभूमि रक्षा करें रात-रात भर डोल

मात्रभूमि रक्षा करें रात-रात भर डोर

पथरीली भूमि पर कंटकपूर्ण सेज पथरीली भूमि

पर कंटकपूर्ण पथ से मैच भारत मां

सेवानिवृत्त प्रतिदिन बढ़ता तेज भारत मां

की सेवा ने कि प्रतिदिन बढ़ता खर्च तंद्रा

आई तनिक से तभी सुनी प्रदेश अप 15 आई

तनिक-सी तभी सुनी पदचा शस्त्र उठा धरती

पड़ा चला चले जाएं और साफ वस्त्र उठा धरती

बड़ा चला चले जाओ शाम सुख भोगी क्या जानते

सैनिक जहाज और सुख भोगी क्या जानते सैनिक

जहाज और अवसर मिलते टूटता जो बादल घनघोर

अवसर मिलते टूटता जो बादल घनघोर जाने से

पहले अभी पाती लिख दूं आज जाने से पहले

अभी पाती लिख दूं आज संभवता मिट ना पड़े

कल भारत के काज संभवतः मिट ना पड़े कल

भारत के काज मिट जाऊं चिंता नहीं आना-जाना

काम मिट जाऊं चिंता नहीं आना-जाना काम

वैभव तेरा अमर हो सूजन अभिराम वैभव तेरा

अमर हो तो जननी अभिराम रक्त सर तन में बह

गए अयोध्या धाम घात रक्त शिवरतन मेज़

अयोध्या मीन है आहात फट जाए पूरा बदन झुके

ना मेरा मात फट जाए पूरा बदन झुके ना मेरा

मात कर प्रणाम अर्थिक हुई ले चरणों की धूल

कर प्रणाम अर्थिक हुई ले चरणों की धूल

धन्य हुई पाकर तुम्हें देशरत्न सुख मोड़

घने हुई पाकर तुम्हें देशरत्न सूखने विजय

पताका हाथ ले चला गया सुरधाम विजय पताका

हाथ ले चला गया स्वभाव उस शहीद नरश्रेष्ठ

को मेरा कोण प्रणाम उसे शहीद नरश्रेष्ठ को

मेरा उन्हें प्रणाम मेरा उन्हें प्रणाम

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