बसंत पंचमी | Basant Panchami | Bharat Mata

बसंत पंचमी | Basant Panchami | Bharat Mata

या कुंदेंदुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता 

या वीणा वर दंड मंडित करा या श्वेत पद्मासना

हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल माघ मास शुक्ल पक्ष की पंचमी को बसंत पंचमी मनाई जाती है। बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा करने का विधान है। मान्यताओं के अनुसार बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था। ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मा जी ने इसी दिन सरस्वती जी की रचना की थी। इस दिन मां सरस्वती की पूजा में पेन, कॉपी, किताब आदि को शामिल करते हैं। इससे ज्ञान और बुद्धि के वरदान की प्राप्ति होती है। सरस्वती की पूजा के साथ यह त्यौहार किसानों के लिए काफी महत्वपूर्ण है। बसंत पंचमी के दिन। सूखे खेत लहलहा उठते हैं। इसी मौसम में गेहूं और सरसों की खेती की जाती है। वसंत ऋतु के आने से पेड़ पौधों में फल फूल खिलने लगते हैं और कई जगहों पर इस दिन पतंगबाजी भी होती है। इस दिन पीले रंग का विशेष महत्व होता है। पीला रंग समृद्धि प्रकाश ऊर्जा और आशीर्वाद का प्रतीक सरस्वती जी को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाया जाता है। लोग पीले रंग के कपड़े पहनते हैं और पीले रंग के व्यंजन बनाते हैं। भारत में हर क्षेत्र में वसंत ऋतु का स्वागत करने का अपना पारंपरिक ढंग होता है। उसी के अनुसार हो बसंत पंचमी का त्यौहार मनाते हैं। मां सरस्वती को भोग भी हर जगह अलग-अलग लगाए जाते हैं। जैसे बंगाल में मां सरस्वती को बूंदी के लड्डू और मीठे चावल बिहार में मालपुआ खीर और बूंदी उत्तर प्रदेश में। भगवान कृष्ण को केसरिया चावल अर्पित किए जाते हैं। आज के दिन होलिका की प्रतिमा के साथ लकड़ियों को इकट्ठा करके रखा जाता है और 40 दिन बाद होलिका दहन किया जाता है।

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