जानिए सावन महीना भगवान शिव को क्यों है प्रिय | श्रावण मास का महत्व | Lord Shiv and Sawan Mystery

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे
सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान्
मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।

भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म में शिव जी की आराधना आदिदेव.. देवों के देव.. महादेव.. रूद्र.. परब्रह्म के रूप में की जाती है और महामृत्युंजय जाप भोलेनाथ को प्रसन्न करने का मंत्र है |  सृष्टि के संहारक एवं समस्त प्राणियों पर अपनी दया दृष्टि रखने वाले.. भगवान शिव शंकर को सावन माह अत्यंत प्रिय है और इसी कारण से सावन माह को भारतीय जनमानस में श्रद्धेय एवं आनंदमय माना जाता है | 

सावन माह में प्रकृति अतुलनीय सौन्दर्य की प्रतिमूर्ति के रूप में भारत भूमि पर अपनी छटा बिखेरती है | मस्तक पर अर्धचंद्रमा.. जटाओं में माँ गंगा एवं गले में वासुकी नाग धारण किए हुए महादेव का श्रृंगार स्वयं प्रकृति ने किया है जिस कारण से प्राकृतिक रूप से अद्भुत सावन माह में शिव जी की पूजा.. अभिषेक और मंत्रजाप करने से भक्तों को महादेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है |

सावन माह के महत्त्व को उजागर करती हुई एक मान्यता है कि माता पार्वती ने सावन माह में भगवान शिव को पति परमेश्वर के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी और तपस्या सफल होने पर उनसे विवाह किया था | यही कारण है कि शिवजी को सावन माह अत्यधिक प्रिय है | पौराणिक कथाओं के अनुसार एक अन्य मान्यता ये भी है कि सावन माह में ही भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकले हलाहल विष को अपने कंठ में समाहित करके सम्पूर्ण सृष्टि की रक्षा की थी | विषपान के कारण उनका कंठ नीलवर्ण हो गया और भोलेनाथ को नीलकंठ नाम की प्राप्ति हुई | विष के प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया.. जिस कारण से सावन में शिवलिंग पर जल अर्पित करने का विशेष महत्व है।

हिन्दू पंचांग का पांचवा माह - सावन जिसे श्रावण भी कहते हैं.. भक्तों के अविरल प्रेम और असीम भक्तिभाव से युक्त होता है | इस माह में अत्यधिक वर्षा होने के कारण.. इसे वर्षा ऋतु का माह अथवा ‘पावस’ ऋतु भी कहा जाता है | इस माह में अनेक महत्त्वपूर्ण त्योहार मनाए जाते हैं जिसमें हरियाली तीज रक्षाबन्धन नागपंचमी आदि प्रमुख हैं। इस माह में मंदिरों और घरों में भव्य रूद्राभिषेक किया जाता है और विशेष रूप से सावन के सोमवार को भगवान शिव की सम्पूर्ण विधि विधान के साथ पूजा कर भक्त व्रत भी रखते हैं | भोलेनाथ की भक्ति में रमे भक्त.. इसी माह में कांवड़ यात्रा करते हैं और हरिद्वार.. ऋषिकेश.. नीलकंठ आदि दर्शनीय धार्मिक स्थलों पर जाकर भगवान शिव शंकर की स्तुति में लीन हो जाते हैं | कांवड़ यात्रा कई-कई दिनों तक चलती है जिसमें कांवड़िए.. बांस की लकड़ी की टोकरी से बनी कांवड़.. कंधे पर रखकर और उसमें गंगा जल लेकर भगवान शिव को अर्पित करने जाते हैं | 

पंचांग के अनुसार इस वर्ष 25 जुलाई से सावन माह आरम्भ होगा और 26 जुलाई को सावन का पहला सोमवार पड़ेगा | शिवपुराण के अनुसार महादेव स्वयं जल हैं अतः सावन माह में उनका जलाभिषेक करना अत्यंत फलदायी माना जाता है और भक्त अपने प्रिय भोलेनाथ की सच्चे मन से आराधना करके.. उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं |  परिवार की ओर से आप सभी को सावन के इस पवित्र माह की हार्दिक शुभकामनाएं | 

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