मैहर देवी मंदिर का रहस्य | Maihar Alha Udal ki Kahani | Maihar Mandir | Maihar Alha Udal Story

पहाड़ों वाली मैहर माता मंदिर का रहस्य आज भी कोई नहीं जनता। ये है मध्य प्रदेश के सतना जिले मे त्रिकूट पर्वत पर विराजमान मां शारदा का भव्य मंदिर। वीर योद्धा मां की आरती करने यहाँ आते हैं लेकिन कभी दिखाई नहीं देते।

आल्हा-ऊदल सैकड़ों साल से कर रहे हैं माँ शारदा की आरती

मैहर माता मंदिर जहाँ भक्त आल्हा और उदल आज भी मां शारदा (मैर की देवी) की प्रथम पूजा करते हैं, शाम की संध्या आरती होने के पश्चात  जब मंदिर के कपाट बंद करके पंडित जी नीचे आ जाते हैं, तब मंदिर से घंटी की आवाज सुनाई देती है। कई बार तो पुष्प माला चढ़े होने के प्रमाण भी मिलते हैं। बड़े-बुजुर्ग कहते हैं कि मैहर वाली माता के भक्त आल्हा आज भी उनकी पूजा करने आते हैं। अब तक आपने सुनी आल्हा उदल के वीरता की कहानी, अब सुनिए इन वीरों की भक्ति गाथा।

ज्ञान सुधा से तृप्त कर, कलम विराजो आप।

शब्द सृजन के पुष्प से, करु तुम्हारा जाप।।

ऐतिहासिक रोचक तथ्यों के आधार पर आल्हा खंड के नायक आल्हा ऊदल दो भाई मां शारदा के अनन्य उपासक थे। मान्यता है की आल्हा और ऊदल ने ही सर्व प्रथम जंगलों के मध्य शारदा देवी के इस मंदिर की खोज की थी। इसके बाद आल्हा ने इस मंदिर की तलहटी में 12 वर्षों तक तपस्या कर देवी माँ को प्रसन्न किया था। माता ने उनसे प्रसन्न होकर अमर होने का आशीर्वाद दिया था।  कहा जाता है कि आल्हा माता को माई कह कर पुकारा करते थे।

माँ ने प्यार जीवन देकर,

धरा पर मुझे उतारा है,

मैं माटी का अनघड़ पुतला,

तूने मुझे संवारा है।

मंदिर के पीछे पहाड़ों के नीचे एक तालाब है, जिसे आल्हा तालाब कहा जाता है। सिर्फ इतना ही नहीं, तालाब से लगभग 2 किलोमीटर और आगे जाने पर एक अखाड़ा मिलता है, जिसके विषय में कहा जाता है कि यहां आल्हा और उदल कुश्ती लड़ा करते थे। आज भी मंदिर में आल्हा की तलवार और खड़ाऊ भक्तों के दर्शन के लिए रखी गई है।

मैहर पर्वत का नाम प्राचीन धर्म ग्रंथों के साथ पुराणों में भी प्राप्त होता है। मां शारदा देवी के दर्शन के लिए भक्त 1063 सीढ़िया चढ़कर पहुंचते हैं। यहां पर प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।

मैहर माता मंदिर | Famous Shakti Peeth in India

मंदिर के इतिहास की बात करें तो जब भगवान विष्णु ने सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित कर दिया था तब माता सती के अंग जहाँ गिरे वहां शक्तिपीठों का निर्माण हुआ। ऐसा माना जाता है यहां पर माता सती का हार और कंठ गिरा था। यही कारण है की इस स्थान को माई का हार यानि मैहर कहा जाता है। 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ मैहर मां शारदा देवी के मंदिर को माना गया है।

स्थानीय लोगों की माने तो नवरात्रि मे मैहर मेले में माता के दर्शन के लिए श्रद्धा भाव से दर्शन करने के लिए प्रतिदिन 5 लाख से भी अधिक की संख्या में लोग पहुंचते हैं।

सत्य व रहस्य की सांस्कृतिक, धार्मिक एवं ऐतिहासिक धरोहर एवम् म शारदा की भक्ति से विभूषित मैहर माता मंदिर को भारत समन्वय परिवार की ओर से कोटि कोटि प्रणाम। धर्म तथा संस्कृति के प्रकाश से आपको निरंतर आलोकित करने के लिए हम सतत प्रयासरत हैं।

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