भारत माता की इस प्रस्तुति मे पुराण ज्ञान गंगा की श्रंखला के लिंग पुराण (Ling Puran in Hindi) का संक्षिप्त परिचय वर्णित है। 'लिंग पुराण' शैव सम्प्रदाय का पुराण है। इस पुराण में लिंग का अर्थ विस्तार से बताया गया है।
भारत माता की इस प्रस्तुति मे पुराण ज्ञान गंगा की श्रंखला के भविष्य पुराण (Bhavishya Puran in Hindi) का संक्षिप्त परिचय वर्णित है। भविष्य पुराण को 'सौर पुराण' या 'सौर ग्रन्थ' भी कहा जाता है क्यों कि इस पुराण में भगवान सूर्य की महिमा और पूजा उपासना का वर्णन विस्तार से किया गया है।
Bharat Mata की पुराण ज्ञान श्रंखला की इस प्रस्तुति मे ब्रह्मवैवर्त पुराण का वर्णन है। यह पुराण श्री कृष्ण को समर्पित है और इसमे कृष्ण को ही परब्रहम माना गया है।
अग्नि पुराण Bharat Mata की वह प्रस्तुति है जिसमे जीवन के लिए उपयोगी सभी विधाओं की जानकारी प्राप्त होती है। अग्नि देव के मुख से कहे जाने के कारण ही इस पुराण का नाम का अग्नि पुराण है।
Bharat Mata की इस प्रस्तुति मे मत्स्य पुराण का वर्णन है। इस पुराण में 14,000 श्लोक और 291 अध्याय है। इस पुराण में प्रलय काल के समय भगवान विष्णु ने एक मत्स्य (मछली) का अवतार धारण किया इसलिए यह मत्स्य पुराण के नाम से जाना जाता है।
भारत माता के प्रस्तुत लेख में शिव पुराण का वर्णन किया गया हैं शिव पुराण एक महत्वपूर्ण हिन्दू ग्रंथ है। इस ग्रंथ मे देवों के देव महादेव की कथाओं व उपदेशों का वर्णन प्राप्त होता है।
मार्कण्डेय पुराण अठारह महापुराणों में से एक है, जो प्राचीन हिंदू ग्रंथ हैं। इसका नाम ऋषि मार्कंडेय के नाम पर रखा गया है, जिनके बारे में माना जाता है कि उन्होंने जैमिनी नामक ऋषि को पुराण सुनाया था।
स्कंध पुराण एक महत्वपूर्ण हिंदू ग्रंथ है जो भगवान शिव के पुत्र भगवान स्कंद (कार्तिकेय) पर केंद्रित है। यह अठारह महापुराणों में से एक है। स्कन्द पुराण’ शैव संप्रदाय का पुराण है। यह अट्ठारह पुराणों में सबसे बड़ा है।
प्रस्तुत विडिओ के माध्यम से आपको नारद पुराण के रोचक तथ्यों की जानकारी प्राप्त होगी और साथ ही प्राचीन भारत की समृद्ध पौराणिकता की छवि देखने को मिलेगी।
श्रीमद् भागवत पुराण हिन्दू धर्म का पवित्र ग्रंथ है जिसमें भगवान कृष्ण और उनके उपदेशों की कथाएँ हैं। यह प्रभावशाली और ज्ञानवर्धक ग्रन्थ आत्मिक प्रबोधन का प्रभावपूर्ण स्त्रोत है।
वेद और पुराण में एक मुख्य अंतर यह है कि वेदिक मंत्रों का दृष्टा ऋषियों को कहा गया है, जबकि पौराणिक ज्ञान को ग्रहण करने वाले मुनि कहलाए। वैदिक परंपरा यज्ञ और कर्मकांडीय संस्कृतियों का वहन करती है, जबकि पौराणिक परंपरा उपासना, तीर्थ, व्रत और अनुष्ठान संस्कृति का विस्तार मुनियों के माध्यम से करती है।
गीत-संगीत की प्रधानता से युक्त सामवेद हिन्दू धर्म के पवित्र ग्रन्थ वेद का तृतीय भाग है। साम का शाब्दिक अर्थ है गान.. इस वेद में संकलित मंत्रों को देवताओं की स्तुति के समय गीत के रूप में प्रयोग किया जाता था।