सिद्धार्थ गौतम कैसे बने बुद्ध ? | Buddha Purnima | महात्मा बुद्ध का जीवन, उपदेश और बुद्ध पूर्णिमा का महत्व
सम्पूर्ण संसार में सत्य एवं अहिंसा के संचार द्वारा, समस्त मानवता को जीवन का सार प्रदान करने का अद्भुत कार्य करने वाले महात्मा बुद्ध का योगदान अनमोल है। इतिहास में एक ऐसी दैवीय प्रेरणा है, जो समय के बंधन से मुक्त होकर, आज भी मानव ह्रदय में प्रेम एवं करुणा का स्त्रोत है।
महात्मा बुद्ध का जीवन एवं उपदेश
महात्मा बुद्ध ने राजसी सुख और गृहस्थ जीवन का त्याग कर, सन्यासी एवं धर्म-संस्थापक के रूप में अपनी यात्रा शुरू की। उनकी यह यात्रा सिद्धार्थ से बुद्ध बनने तक की प्रेरणादायक कहानी है, जो हमें ज्ञान प्राप्ति के मार्ग को अपनाने के लिए प्रेरित करती है।
महात्मा बुद्ध का जन्म वैशाख माह की पूर्णिमा को लुम्बिनी ग्राम में हुआ था। इस तिथि को ही उन्होंने बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे सत्य का ज्ञान प्राप्त किया और वैशाख पूर्णिमा को ही महापरिनिर्वाण की प्राप्ति भी हुई। यही कारण है कि बुद्ध पूर्णिमा एक विशेष पर्व के रूप में मनाई जाती है।
बुद्ध पूर्णिमा का महत्व
बुद्ध पूर्णिमा केवल बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए ही नहीं, बल्कि हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन महात्मा बुद्ध के जीवन और उनकी शिक्षाओं को सम्मानित किया जाता है। भारत, श्रीलंका, म्यांमार, कंबोडिया, इंडोनेशिया, चीन और जापान जैसे देशों में भी यह उत्सव 'वेसाक' के रूप में मनाया जाता है। महात्मा बुद्ध के सिद्धार्थ से बुद्ध बनने तक के मार्ग ने मानवता को मानवीय मूल्यों से परिचित कराया है।
महात्मा बुद्ध का जन्म और उनका संदेश
महात्मा बुद्ध का जन्म इक्ष्वाकु वंशीय शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर हुआ था। उनके जन्म के समय एक साधु ने भविष्यवाणी की थी कि यह बालक महान राजा अथवा महान पवित्र पथ प्रदर्शक बनेगा। राजा शुद्धोधन ने हर संभव प्रयास किया कि सिद्धार्थ को तपस्वी जीवन से विमुख रखा जाए, लेकिन उनके भीतर से राजसी सुख और विलासिता का मोह भंग हो चुका था। अंततः उन्होंने पारिवारिक मोह-माया का त्याग किया और सत्य की खोज में जीवन की कठिन यात्रा शुरू की।
बुद्ध के उपदेश और शिक्षाएं
महात्मा बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद यह जाना कि मनुष्य की कामनाएं ही उसके सभी सांसारिक कष्टों का कारण हैं। जीवन का सत्य और वास्तविक ज्ञान प्राप्त करने के बाद उन्हें 'बुद्ध' की उपाधि से अलंकृत किया गया।महात्मा बुद्ध की शिक्षाएं जीवन के अस्तित्व और स्वरूप को परिभाषित करती हैं और दुखों से मुक्ति के सरल मार्ग को दिखाती हैं। उन्होंने अपनी शिक्षाओं के माध्यम से यह बताया कि शांति, प्रेम, दया, अहिंसा और सद्भावना के मार्ग पर चलकर मानवता के कल्याण में योगदान दिया जा सकता है।
बुद्ध पूर्णिमा और इसके महत्व
बुद्ध पूर्णिमा के दिन बौद्ध भक्त वेसाक मंदिरों में जाकर भिक्षुओं से ज्ञान अर्जित करते हैं और प्राचीन छंदों का पाठ करते हैं। मंदिरों में शिशु के रूप में बुद्ध की मूर्ति को जलमग्न करके रखा जाता है, जो जीवन में शुद्धता और नवीन आरंभ का प्रतीक मानी जाती है।
इस दिन की पूजा और उपासना के माध्यम से समाज में मानवीय मूल्यों का संरक्षण और प्रतिपादन होता है। यह त्यौहार हमें प्रेम, दया, और अहिंसा का संदेश देता है, जो महात्मा बुद्ध के जीवन का मूलमंत्र था।
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Buddh Purnima की आपको हार्दिक शुभकामनाएं!