आध्यात्मिक गुरू परमहंस योगानंद | Paramahansa Yogananda | Bharat Mata

भारत संतों और तपस्वी ओं की जन्मभूमि है। यहां कई महान संतों ने जन्म लिया है जिनकी ख्याति देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी सूरज की किरणों की तरह फैली हुई है। इंसान तो में से एक है भारत के पहले योग गुरु परमहंस योगानंद जी 5 जनवरी 1893 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में जन्मे योगानंद के बचपन का नाम मुकुंद नाथ घोष था। योगानंद पहले साधु थे जिन्होंने यूरोप में भारत का परचम लहराया। कम उम्र में ही गुरु की खोज में घर बार छोड़ दिया और 1910 में स्वामी युक्तेश्वर गिरी जी के साथ आध्यात्मिक यात्रा शुरू कर दी। इंटर तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह स्वामी जी के पास वापस आ गए और अपनी योग और मेडिटेशन की तैयारी करने लगे। 1917 में पश्चिम बंगाल में योग और मेडिटेशन का स्कूल खोला। इसके बाद अमेरिका गए और वह बोस्टन में धार्मिक। जीबी की हैसियत से हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम के बाद वहां पर सेल्फ रिलाइजेशन फैलोशिप संस्था की स्थापना की। इस संस्था के माध्यम से उन्होंने अपने गुरु से मिली शिक्षा को आगे बढ़ाया और घूम घूम कर भाषण देना शुरू कर दिया। इस दौरान योगानंद के कई शिष्य बने 1920 से लेकर 1952 तक का लंबा सफर अमेरिका में ही गुजारा। 1935 में कई सालों बाद वह भारत लौटे। रांची में अपने इंस्टिट्यूट और योग को आगे बढ़ाया। महात्मा गांधी से मुलाकात की और गांधीजी ने योगानंद जी के संदेश को लोगों तक पहुंचाने का काम आसान किया। इसके बाद युक्तेश्वर महाराष्ट्र योगानंद जी को परमहंस की उपाधि दी। 1 साल के बाद वह फिर से अमेरिका लौट गए। उन्होंने एक किताब ऑटोबायोग्राफी ऑफ ए योगी लिखिए, जिनमें योग और जीवन से जुड़ी कई बातों का उल्लेख किया। एक महाभोज के दौरान। योगानंद जी ने समाधि ले ली। उनके शिष्यों के मुताबिक यह महासमाधि थी।

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