जगतगुरु रामानंदाचार्य जीवनी | Jagadguru Ramanand Charya Jivani | Bharat Mata
गुरु रामानंदाचार्य जगद्गुरु रामानंदाचार्य जन्म संवत 1356 माफ कृष्ण सप्तमी। इस प्रयास के कान्यकुब्ज ब्राम्हण परिवार में पिता श्री पुणे सदन और माता सुशीला के घर हुआ। बचपन का नाम राम तथा 12 वर्ष की आयु में विशिष्ट अद्वैत श्री संप्रदाय के आचार्य राघवानंद जी से दीक्षा ली। उन्होंने जाति पाति के भेद को मिटा कर महान क्रांति की। इनका कहना था कि जाति पाति पूछे नहीं कोई हरि को भजे सो हरि का होई लोक संपर्क के निकट आने तथा जाति पाति के भेदभाव का मतभेद होने के कारण श्री संप्रदाय से अलग होकर राजावत संप्रदाय चलाया। इन्होने मिले तो जाने वाले हिंदुओं को राम मंत्र देकर। माला दी गति के नियम शिथिल कर सर्वसाधारण को एकता के सूत्र में पिरोया उनमें से संयम संसाधनों की टोली संगठित कर प्रचार को भेजा। इन के विभिन्न जाति के 12 प्रमुख शिष्य थे। तभी रैदास सेना सदन, नरहरिदास, धन्ना, दीपा इत्यादि संवत 1595 में 120 वर्ष की आयु में परलोक सिधारे ज्ञान तिलक रामरक्षा इन की प्रमुख रचनाएं हैं।
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