Sam Manekshaw | इंदिरा गांधी को स्वीटी कहने वाले बहादुर सैम | Samबहादुर

“Give me a man or a woman with common sense and who is not an idiot and I assure you can make a leader out of him or her.”


यह कथन है फील्ड मार्शल सैम होर्मूसजी फ्रामजी जमशेदजी मानेकशॉ का। ये भारत माता के वो साहसी पुत्र हैं जिन्हे सैम बहादुर के नाम से भी जाना जाता है। इनका जन्म 14 अप्रैल वर्ष 1914  मे हुआ था। इनके माता-पिता का नाम होर्मिज़्ड और हिल्ला मानेकशॉ था। उनके पिता होर्मिज़्ड मानेकशॉ एक डॉक्टर थे, और शहर में एक सफल क्लिनिक और फार्मेसी चलाते थे। मानेकशॉ ने अपनी प्राथमिक स्कूली शिक्षा पंजाब में पूरी की और फिर नैनीताल के शेरवुड कॉलेज चले गए। 1931 में उन्होंने सीनियर कैम्ब्रिज विशेष योग्यता के साथ उत्तीर्ण की। बचपन मे ही सैम बहादुर ने अपने पिता से लंदन मे चिकित्सा का अध्ययन करने और डॉक्टर बनने की इच्छा व्यक्त की, परंतु उनके पिता ने प्रारंभ में ही इस विचार का विरोध किया। इसके बाद अपने पिता की आपत्तियों के पश्चात भी, सैम ने लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित दिल्ली प्रवेश परीक्षा दी और उत्तीर्ण की। वर्ष 1932 मे मानेकशॉ भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून के प्रथम प्रवेश में शामिल हुए। मानेकशॉ को कैडेटों के पहले बैच के हिस्से के रूप में चुना गया था जिसका नाम ‘THE PIONEERS’ था। उन्हें 12वीं फ्रंटियर फोर्स रेजिमेंट की चौथी बटालियन में नियुक्त किया गया था। उनकी सक्रिय सैन्य आजीविका द्वितीय विश्व युद्ध में सेवा से आरंभ होकर चार दशकों और पांच युद्धों तक फैली रही। वर्ष 1939 मे इन्होंने बॉम्बे मे सिलू बोडे से विवाह किया। द्वितीय विश्व युद्ध में लड़ते हुए मानेकशॉ को सात गोलियां लगीं थी और  उन्हें अपनी वीरता के लिए मिलिट्री क्रॉस से सम्मानित किया गया। वर्ष 1947 में भारत के विभाजन के पश्चात, उन्हें 8वीं गोरखा राइफल्स में फिर से नियुक्त किया गया था। 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध और हैदराबाद संकट के दौरान मानेकशॉ को योजना बनाने की भूमिका सौंपी गई थी। सैन्य संचालन निदेशालय में सेवा के दौरान उन्हें ब्रिगेडियर के पद पर पदोन्नत किया गया था। सैम बहादुर वर्ष 1952 में 167 इन्फैंट्री ब्रिगेड के कमांडर बने और 1954 तक इस पद पर रहे जब उन्होंने सेना मुख्यालय में सैन्य प्रशिक्षण के निदेशक का पदभार संभाला। 
इंपीरियल डिफेंस कॉलेज में उच्च कमान पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद, सैम बहादुर जी को 6वें इन्फैंट्री डिवीजन का जनरल ऑफिसर कमांडिंग नियुक्त किया गया। उन्होंने डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज के कमांडेंट के रूप में भी अपनी सेवाएं प्रदान की। वर्ष 1963 में, मानेकशॉ को सेना कमांडर के पद पर पदोन्नत किया गया और उन्होंने पश्चिमी कमान संभाली, और वर्ष 1964 में पूर्वी कमान में स्थानांतरित हो गए। 
मानेकशॉ को 8 जून 1969 को आठवें सेनाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने भारतीय सेना को युद्ध के एक कुशल उपकरण के रूप में विकसित किया। मानेकशॉ भारतीय सेना को आधुनिक बनाने और पाकिस्तान के साथ युद्ध के लिए तैयार करने के लिए उत्तरदायी थे।
सैन्य कौशल के साथ-साथ सैम मानेकशॉ अपनी हाजिर-जवाबी के लिए भी अति प्रसिद्ध थे। 1971 के युद्ध के पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने मानेकशॉ से पूछा – क्या लड़ाई के लिए तैयारियां पूरी हैं? इस पर मानेकशॉ ने उसी क्षण कहा- “ I am always ready sweety”. प्रधान मंत्री को sweety कहने का साहस व हुनर मात्र मानेकशॉ मे ही था। 
इसी युद्ध के समय इंदिरा गांधी को यह आभास भी हुआ था, की मानेकशॉ army की सहायता से तख्ता पलट करने का प्रयास करने वाले हैं। जब यह बात मानेकशॉ को पता चली तब उन्होंने इंदिरा गांधी से कहा की “क्या आपको नहीं लगता की मै आपकी जगह पर आने के लायक नहीं हूँ? आपकी नाक भी लंबी है, मेरी नाक भी लंबी है, लेकिन मै दूसरों के मामले मे नाक नहीं घुसाता हूँ।”  
 वर्ष 1971 में, पूर्वी पाकिस्तान में बंगाली राष्ट्रवादी आंदोलन का समर्थन करने के लिए भारत ने पाकिस्तान के साथ युद्ध किया। मानेकशॉ ने भारतीय सेना को युद्ध में जीत दिलाई, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का निर्माण हुआ। 
युद्ध के बाद, गांधी ने मानेकशॉ को फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत करने और उन्हें डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के प्रमुख के रूप में नियुक्त करने का निर्णय लिया। राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा के लिए   , भारत के राष्ट्रपति ने 1972 में मानेकशॉ को पद्म विभूषण से सम्मानित किया। इसके पश्चात वर्ष 1977 में, उन्हें राजा बीरेंद्र द्वारा ऑर्डर ऑफ त्रि शक्ति पट्टा फर्स्ट क्लास, नेपाल साम्राज्य के नाइटहुड का ऑर्डर से सम्मानित किया गया था।
अपनी सैन्य उपलब्धियों से परे, सैम मानेकशॉ सत्यनिष्ठा, साहस और विनम्रता के प्रतीक थे, हैं, व रहेंगे। उनकी अनुकरणीय नेतृत्व शैली, अपने सैनिकों के कल्याण के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता के साथ मिलकर, उन्हें अपने अधीनस्थों और पूरे देश, दोनों का सम्मान और प्रशंसा प्राप्त हुई। भारत समन्वय परिवार बहादुरी, नेतृत्व और देशभक्ति के सच्चे प्रतीक फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की अदम्य भावना को शत-शत नमन करता है। उनके ज्ञान के शब्द और उपाख्यान हमारे जीवन में मार्गदर्शक सिद्धांतों के रूप में काम करते हुए, हमारे साथ गूंजते रहेंगे।
जय हिन्द। जय भारत माता।