बैर और भक्ति एक साथ नहीं हो सकते | Swami Satyamitranand ji Maharaj | Bhagwad Geeta | Pravachan
श्रीमद्भगवद्गीता: जीवन का मार्गदर्शन
भारत माता की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरी जी महाराज ने श्रीमद्भगवद्गीता के गहरे रहस्यों और उसके श्लोकों के अद्भुत अर्थों को बताया है। जैसा कि हम सभी जानते हैं, गीता के हर एक शब्द में गहरी दिव्यता और रहस्य छिपा होता है। गीता के श्लोक केवल धार्मिक नहीं, बल्कि जीवन को जीने का तरीका भी सिखाते हैं। विशेष रूप से, गीता के दसवें और ग्यारहवें अध्याय में, अर्जुन द्वारा भगवान श्री कृष्ण से की गई प्रार्थना को समझते हुए, हम यह जान सकते हैं कि गीता में साहित्यिक सुंदरता और भक्ति का अद्भुत संगम है।
भगवान श्रीकृष्ण का संदेश:
श्री कृष्ण के द्वारा दी गई शिक्षाएं न केवल कर्म और भक्ति का सही मार्ग दिखाती हैं, बल्कि वे हमें यह भी समझाती हैं कि जीवन में हमें प्रेम, शांति और निर्वैरता को अपनाना चाहिए। भगवान श्री कृष्ण कहते हैं, "निर्वैर सर्व भूतेषु" - अर्थात, हमें सभी प्राणियों के प्रति वैर और घृणा को छोड़कर प्रेम और सौम्यता से जीना चाहिए। इस वीडियो में हम श्री कृष्ण के जीवन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं को भी जानेंगे, जैसे कि उनकी पकड़ने की कोशिश करने के बावजूद, वे कैसे स्वयं को असंभव परिस्थितियों से बाहर निकालने में सक्षम होते हैं। साथ ही हम यह भी समझेंगे कि भगवान श्री कृष्ण की भक्ति कैसे हमारे जीवन को शुद्ध करती है और किस प्रकार हर एक भक्त का हृदय द्वेष और क्रोध से मुक्त होकर केवल प्रेम से भरा होता है। गीता का संदेश सरल है: कर्म करो, लेकिन उसे भगवान को समर्पित करो, और मन को शांत रखो। यदि हम गीता के इन महत्वपूर्ण सिद्धांतों को अपने जीवन में अपनाते हैं, तो हम आत्मा की सच्ची शांति और परमात्मा का प्रेम प्राप्त कर सकते हैं।