जल की महिमा | Swami Satyamitranand Ji Maharaj | Adhyatm Ramayana | Pravachan
सुख-दुख में भगवान का स्मरण
इस प्रस्तुति में पूज्य स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज बड़े सरल लेकिन गहरे भाव में हमें जीवन का एक सुंदर दर्शन समझाते हैं। वे कहते हैं कि देवता रोज पूजा करवाते हैं, यज्ञ में प्रेम से भाग लेते हैं, लेकिन जब विपत्ति आती है, तब वे भी कहते हैं — चलो भगवान की प्रार्थना करें। हम भी कुछ ऐसे ही हैं। सुख में भगवान का नाम कम ही लेते हैं, और दुख में अचानक लगता है अब तो भगवान को पुकारना ही चाहिए, माला जपनी चाहिए, हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। जब सब ठीक होता है, तो भगवान की पूजा पत्नी या बच्चों को सौंप देते हैं और खुद ऑफिस की व्यस्तता का बहाना बना लेते हैं। लेकिन जब संकट आता है तो मन कहता है अब शांत होकर भक्ति करनी चाहिए। इसलिए संतों ने कहा कि दुख में सब भगवान को याद करते हैं लेकिन जो सुख में स्मरण करता है, वही सच्चा भक्त है। और अगर सुख में ही स्मरण करते रहो तो दुख आने की नौबत ही नहीं आती। आप जैसे लोग सुखी हैं, फिर भी भगवान का स्मरण करते हैं — यही तो सबसे बड़ा सौभाग्य है। लेकिन बाकी समाज को भी यही संदेश देना है कि सुख में भी भक्ति जरूरी है।
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गौ माता का महत्व और धर्म का संरक्षण
महाराज कहते हैं कि जब लोग कहते हैं कि धर्म कैसे चलेगा, समाज कैसे बचेगा, तो उत्तर मिलताहै — गाय के बिना कुछ नहीं बचेगा। गाय करुणा की मूर्ति है, सेवा और वात्सल्य की प्रतिमा है। इसी कारण से उसे गौ माता कहा गया। हमारे शास्त्रों ने दो माताएं बताईं — गाय और गायत्री। कहा जाता है कि गाय में 33 कोटि देवताओं का वास है, इसका मतलब है कि उसका हर अंग, हर रोम समाज के लिए समर्पित है। आज हजारों गायों का प्रतिदिन वध हो रहा है और यह पाप इस समाज को निरंतर संकट में डाल रहा है। नैतिक पतन की यही जड़ है। जब गौ के रूप में देवता ब्रह्मा के पास पहुंचे, तब ब्रह्मा जी ने सोचा अकेले कुछ नहीं होगा, संगठन करना पड़ेगा। संगठन के बिना कोई भी कार्य सिद्ध नहीं होता, यह बात स्वयं भगवान श्रीराम ने भी सिद्ध की। और अधिक धार्मिक लेख और भक्ति से जुड़े वीडियो के लिए देखें भारत माता ऑनलाइन और हमारा YouTube चैनल।
संगठन और लोकशक्ति का संदेश
राम चाहें तो अकेले ही रावण का वध कर सकते थे लेकिन उन्होंने सब देवताओं को वानर और भालू रूप में भेजा और एक विशाल संगठन तैयार किया। श्रीकृष्ण ने भी यही किया। जब इंद्र बार-बार ब्रज को वर्षा से डुबोने लगा और सब लोग उसकी पूजा करने लगे, तो कृष्ण ने कहा — इंद्र कोई अपना नहीं है, यह तो विदेशी है, इस धरती पर जिसकी पूजा होनी चाहिए, वह है गोवर्धन, जो हमारी गायों के लिए घास देता है, हमारी धरती को हरा-भरा करता है। यही था भारत का पहला स्वदेशी आंदोलन। सबने कहा — कन्हैया तू बच्चा है, क्रांति की बातें मत कर, हमें मरवा देगा। लेकिन भगवान ने कहा — जो आंदोलन करता है वह शुरू में छोटा ही होता है, चिंता मत करो, मैं साथ हूं। और जब गोवर्धन उठा, तो श्रीकृष्ण ने कहा — मेरी उंगली में दर्द हो रहा है, सब लोग लाठी लगाओ। लोगों ने लाठी लगाई, और यही था लोकशक्ति का जागरण। सबको लगा कि हम भी कुछ कर सकते हैं। जब गोवर्धन थोड़ी देर में डोलने लगा, सब घबरा गए, बोले कन्हैया अपनी उंगली फिर लगा दो। तब समझ आया कि अकेली उंगली से कुछ नहीं होता लेकिन बिना उस उंगली के भी कुछ नहीं होता। यही संदेश है कि अपने जीवन के गोवर्धन जैसे भारी कार्यों को उठाओ, लेकिन बीच-बीच में भगवान से कहो — हे नाथ, अपनी उंगली लगा दो, वरना ये काम हमसे नहीं होगा। और अधिक धार्मिक लेख और भक्ति से जुड़े वीडियो के लिए देखें भारत माता ऑनलाइन और हमारा YouTube चैनल।
आनंद वाष्पवता और जीवन का सार
जब पृथ्वी पर पाप बढ़ा, तब देवता गौ का रूप लेकर ब्रह्मा के साथ क्षीरसागर पहुंचे। परमात्मा सर्वज्ञ हैं, फिर भी सब देवता वहां पहुंचे। क्यों? क्योंकि हमारी संस्कृति कहती है कि किसी से सहायता मांगनी हो तो सामने जाकर, विनय से, आदर के साथ मांगी जाती है। मन में भाव हो — आप जानते तो सब कुछ हो प्रभु, लेकिन फिर भी हम आए हैं, क्योंकि यह कृतज्ञता, यह शिष्टाचार हमारी आत्मा का संस्कार है। जब सब देवता वहां पहुंचे, उन्होंने प्रार्थना की — हे प्रभु, आप तो आनंद में हैं, लेकिन आपकी बनाई यह सृष्टि संकट में है, राक्षस भाव बढ़ गया है, कृपया अवतार लीजिए, उतरिए, रक्षा कीजिए। और जैसे ही भगवान का स्मरण हुआ, सबकी आंखों में आनंद के आंसू आ गए। यह था "आनंद वाष्पवता" — भक्ति में डूबे देवताओं की वह अनुभूति, जो विपत्ति में भी आनंदमय हो जाती है। यही जीवन का सार है — सुख में भगवान को मत भूलो, दुख में हिम्मत मत हारो, गाय का सम्मान करो, संगठन में शक्ति भरो, और हर बड़े कार्य में भगवान की उंगली जरूर माँगो, क्योंकि उसी में सफलता की असली कुंजी छुपी है। और अधिक धार्मिक लेख और भक्ति से जुड़े वीडियो के लिए देखें भारत माता ऑनलाइन और हमारा YouTube चैनल।