मन का सबसे बड़ा तप क्या है ? Shrimad Bhagawad Geeta | Swami Satyamitranand Maharaj Ji
भारत माता की इस प्रस्तुति मे स्वामी सत्यामित्रानंद गिरि जी महाराज जी कहते हैं संसार मे एक मात्र ऐसा विश्वपति है जिसने अपने मित्र को सहारा नहीं अपना सिंहासन दिया था, और वो कोई और नहीं भगवान श्री कृष्ण हैं।
स्वामी सत्यामित्रानंद गिरि जी महाराज द्वारा श्री कृष्ण और सुदामा की कथा
स्वामी जी बताते हैं की जब श्री कृष्ण सुदामा के पैर धो रहे थे तब सुदामा ने आश्चर्य से उनसे कहा था की ये क्या कर रहे हो? तब श्री कृष्ण उन्हे उत्तर देते हैं की मै इतिहास की रचना कर रहा हूँ। संमपन्नता ने विपन्नता के चरण धो रही थी ये बातए युगों योगों तक अमर रहेगी। लेकिन इस घटना के एक तात्पर्य यह भी है की चरित्र सर्वश्रेष्ठ संपदा है, चरित्रवान व्यक्ति ईश्वर से भी अपने चरण धुलवाने मे सक्षम होता है।
यतो वा इमानि भूतानि जायन्ते।
येन जातानि जीवन्ति।
यत् प्रयन्त्यभिसंविशन्ति।
तद्विजिज्ञासस्व। तद् ब्रह्मेति॥
अर्थात उस ब्रह्म को जान ने की कोशिश करनी चाहिए, क्यूँ की यही ब्रह्म सारे संसार को चलता है।