प्रत्येक प्रतिभा ईश्वर की देन है | स्वामी सत्यमित्रानंद जी महाराज | Bhagavad Gita Pravachan
भारत माता चैनल की प्रस्तुति: स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज का संदेश
भारत माता चैनल की इस प्रस्तुति में स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज गीता को वर्णित करते हुए कहते हैं की हमारे जीवन में ऐसे क्षण आते हैं जब हम किसी कार्य को करते हुए पूर्ण रूप से संतुष्ट नहीं होते। कुछ लोग ऐसा महसूस करते हैं कि उनकी दिनचर्या में कोई रचनात्मकता या आत्मिक आनंद नहीं है। इसी कारण कई लोग अपना करियर बदलने का निर्णय लेते हैं। वे कहते हैं, "मैंने जो प्रोफेशन चुना था, उसमें मुझे सच्ची खुशी और संतुष्टि नहीं मिल रही थी, इसलिए मैंने इसे बदल दिया।" यह एक सामान्य अनुभव है कि जीवन में सच्चे आनंद की खोज हमें भगवान की उपासना और उनके साथ संबंध बनाने की ओर ले जाती है।
भगवान का संदेश: चित्त को शांत और स्थिर करना
भगवान कहते हैं, "जो लोग मुझे अपने चित्त में बसाते हैं, उनके प्राण मुझसे जुड़े होते हैं और मैं उनकी रक्षा करता हूँ।" यही वह स्थिति है जब व्यक्ति अपने कार्यों में पूरी तरह से रम जाता है, जैसे एक शतरंज खिलाड़ी पूरी तरह से खेल में खो जाता है। भगवान की उपासना और उनके विचारों में डूबने का यही रास्ता है, जिससे हम अपने जीवन को सही दिशा में ले जा सकते हैं। स्वामी जी के अनुसार इस संसार मे प्रत्येक प्रतिभा ईश्वर की देन है।
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इसके साथ ही यह भी बताया गया है कि भगवान श्री कृष्ण की निरंतर भक्ति, उनके साथ हर पल जुड़ा रहना, और उनकी कथाओं में रमना, यही है वह सत्य जो हमें सच्ची संतुष्टि और खुशी देता है। संसार की हर वस्तु, हर अनुभव, एक दिन नष्ट होने वाली है, लेकिन भगवान की उपासना और उनका ध्यान हमेशा शाश्वत रहता है।
भगवान के साथ संबंध बनाना: जीवन को सही दिशा में ले जाना
भगवान कहते हैं, "जो भी विभूतियां, गुण, ऊर्जा या सुंदरता तुम देख रहे हो, वह मेरी ही देन है।" यह संदेश हमें यह समझाता है कि हमें किसी भी सकारात्मक गुण या ऊर्जा को भगवान से जुड़े हुए रूप में देखना चाहिए। हर अच्छाई, हर प्रतिभा, हर सुंदरता में भगवान का अस्तित्व होता है, और हमें उनके प्रति श्रद्धा और प्रेम जागृत करना चाहिए।
इसलिए, भगवान की उपासना और उनके साथ जीवन बिताने का एकमात्र तरीका यही है कि हम उन्हें अपने हृदय में जगह दें, और हर कार्य में उन्हें महसूस करें। भगवान ने हमें यह मार्ग बताया है कि जब हम अपने मन और प्राणों को उनके साथ जोड़ते हैं, तो हम जीवन में सच्चे सुख और संतोष की प्राप्ति कर सकते हैं। प्रवचन सुनने के लिए यहां क्लिक करें।