राम कथा सुनने से क्या लाभ होता है? | Swami Satyamitranand Ji Maharaj | Adhyatm Ramayana | Pravachan

भारत माता की इस प्रस्तुति में स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज कहते हैं कि उपनिषदों के अनुसार जब व्यक्ति के मन से सभी संशय समाप्त हो जाते हैं, तभी उसे आत्मिक धन्यता का अनुभव होता है। भगवान श्रीकृष्ण ने भी गीता में अर्जुन को यही चेताया कि यदि मन में संदेह रहेगा, तो विनाश निश्चित है।

पार्वती जी और भगवान शंकर का संवाद

इसी संदर्भ में पार्वती जी भगवान शंकर से कहती हैं कि उन्होंने कथा सुनकर आनंद तो पाया, पर तृप्ति नहीं हुई, क्योंकि भगवान की कथा ऐसी है जिसमें कभी भी पूर्ण संतोष का अनुभव नहीं होता। तुलसीदास जी भी कहते हैं कि जो राम कथा को सुनकर तृप्ति की बात करता है, उसने उस अमृतरस को अभी चखा ही नहीं। पार्वती जी चाहती हैं कि राम कथा को विस्तारपूर्वक और गूढ़ता से सुना जाए। भगवान शंकर कहते हैं कि वे अब उसे वह गुप्ततम ज्ञान सुनाएंगे जो उन्हें स्वयं भगवान राम ने दिया था।

राम कथा का महत्व और उद्देश्य

रामेश्वरम में रावण युद्ध से पहले श्रीराम ने भगवान शिव से शक्ति की याचना की और यह भी दर्शाया कि भारत का उत्तर (हिमालय) और दक्षिण (समुद्र) एक हैं। भगवान शंकर बताते हैं कि राम कथा केवल मोक्ष की प्राप्ति नहीं कराती, बल्कि संसारिक इच्छाओं की पूर्ति — जैसे आयु, संतान, धन, शक्ति — भी देती है। कथा सुनने से अज्ञान का भय मिटता है और मनुष्य तीनों तापों से मुक्त होता है। पार्वती पूछती हैं कि जो लोग मोक्ष नहीं चाहते, उन्हें क्या मिलेगा? भगवान शंकर बताते हैं कि ऐसे लोग भी कथा से लाभान्वित होंगे — उन्हें सुख, समृद्धि और संतान की प्राप्ति होगी। एक बार भी ‘राम’ नाम का उच्चारण भवसागर से पार करा देता है।

निष्कर्ष – राम कथा सबके लिए

जैसे एक दुकानदार ने अपनी दुकान में वस्तुओं की संख्या बढ़ाई और ग्राहक बढ़ गए, वैसे ही राम कथा ने भी मोक्ष के साथ-साथ सांसारिक लाभ की बातें जोड़ दीं ताकि अधिक लोग इससे जुड़ें। अध्यात्म रामायण का यही उद्देश्य है — हर प्रकार के मनुष्य को लाभ हो, चाहे वह भक्त हो या गृहस्थ। इसलिए भगवान शंकर पार्वती जी से कहते हैं कि राम कथा सबके लिए है, इसे श्रद्धा से सुनना चाहिए।

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